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Sunday, December 22, 2024

गुजराती, मारवाड़ी, सिंधी बनिया पैसा कमाने में इतने अच्छे क्यों हैं?

गुजराती, मारवाड़ी, सिंधी पैसा कमाने में इतने अच्छे क्यों हैं?

किसी व्यवसाय को हासिल करना कोई आसान काम नहीं है। खैर, भारत में कुछ ऐसे समुदाय हैं जो व्यवसायों में फलते-फूलते हैं। गुजराती, मारवाड़ी और सिंधी जो भी व्यवसाय करते हैं उसमें बेहद सफल होते हैं।

आइए एक नजर डालते हैं कि कैसे वे बेहद आसानी से कारोबार करते हैं।
व्यापार में मारवाड़ी

मारवाड़ी पहले से योजना बनाते हैं। हालांकि यह स्वाभाविक रूप से आता है और सबसे स्पष्ट है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है क्योंकि कुछ लोग योजना बनाने में महान नहीं होते हैं, जबकि अन्य होते हैं। इसलिए, जिस तरह से कोई योजना बनाता है वह भी मायने रखता है।

वे अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं। प्रत्येक व्यवसाय स्वामी अपने व्यवसाय का विस्तार करने की योजना बनाता है, हालांकि, उनमें से कुछ ही होते हैं जो इसे अपने दैनिक जीवन में लागू करते हैं। साथ ही, वे हमेशा नए अवसरों और विकास की तलाश में रहते हैं क्योंकि इससे उन्हें आधुनिक और उन्नत शैली के अनुसार अपना व्यवसाय बदलने की अनुमति मिलती है।
सिंधी व्यापार शैली

अपने खाने के प्यार के लिए जाने जाने के अलावा, मारवाड़ी व्यवसाय के साथ-साथ प्यार भी करते हैं। भारतीय इतिहास इस बात का प्रमाण है कि सिंधियों का व्यापार प्राचीन काल से चला आ रहा है। यदि आप सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा के इतिहास में तल्लीन करें, तो उनके स्थापत्य खंडहरों के अलावा, व्यापारिक सिक्के भी पाए गए हैं जो धन और व्यापार के प्रति उनके गहरे प्रेम को दर्शाते हैं।

बॉलीवुड से लेकर फैशन तक, सिंधियों ने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है और वे अब व्यापार का पर्याय बन गए हैं। वास्तव में, यह माना जाता है कि माइकल जैक्सन, नेल्सन मंडेला आदि जो सूट पहनते हैं, वे हांगकांग में रहने वाले सिंधियों द्वारा सिलवाए गए हैं।

सिंधियों ने लगभग हर क्षेत्र में योगदान दिया है। चाहे वह शिक्षा हो, कानून हो, राजनीति हो, रियल एस्टेट हो, या फिल्में हों; आप निश्चित रूप से सिंधी को फलते-फूलते पाएंगे।

गुजराती: द बॉर्न एंटरप्रेन्योर्स

गुजराती कारोबार करने की अपनी अच्छी समझ के लिए जाने जाते हैं। न केवल वे भारत में व्यापार में बहुत अच्छा कर रहे हैं, बल्कि वे विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं।

दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक गौतम अडानी भी एक गुजराती हैं। यहां तक ​​कि मुकेश अंबानी भी गुजराती हैं। उनके अलावा, विप्रो के अजीम प्रेमजी, पालनजी मिस्त्री और उदय कोटक, सभी गुजराती हैं और भारत के प्रमुख व्यवसायी हैं।

आपने हमेशा एक गुजराती को दुकान का मालिक देखा होगा, चाहे वह बड़ा हो या छोटा। यहां तक ​​कि अगर वे 9 से 5 की नौकरी कर रहे हैं, तो उनमें से अधिकांश अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए एक साइड बिजनेस करते हैं। वे जानते हैं कि किसी अवसर का पूरा उपयोग कैसे करना है और इसलिए, वे व्यवसाय में फलते-फूलते हैं।

यदि आप भी अपना व्यवसाय करना चाहते हैं और गुजराती, मारवाड़ी या सिंधी नहीं हैं; तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वे इसे कैसे प्राप्त करते हैं और आपके द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक व्यवसाय में महारत हासिल करते हैं।

मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी

मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी

मारवाड़ी लोगों के बारे में एक कहावत बड़ी प्रसिद्द है कि “जहाँ न पहुँचे बैल गाड़ी, वहाँ पहुँचे मारवाड़ी” वाकई में जबाब नहीं है इनका और इनके व्यापार करने के तरीके का, तभी तो भारत के अरबपतियों में इनका नाम सबसे ज्यादा है। हमारे देश की ज्यादातर बड़ी कम्पनियां इन्हीं मारवाड़ियों की हैं। आखिर क्या है इनकी सफलता का राज ? “मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी” सब कुछ बताएँगे, इनकी पूरी कुंडली खंगाल कर आपके सामने लाएंगे, इसलिए बने रहियेगा हमारे साथ क्योंकि हम नहीं करते इधर-उधर की बात, हमारे आर्टिकल में होती है सिर्फ और सिर्फ काम की बात। तो आइये अब शुरू करते हैं।

मारवाड़ियों की पृष्ठभूमि

मारवाड़ी समुदाय का सम्बन्ध दक्षिण-पश्चिम राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र के पूर्व रियासत मारवाड़ से है। दूसरे शब्दों में राजस्थान की अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी भाग को मारवाड़ के नाम से जाना जाता है जिसमे मुख्यतः जोधपुर, बीकानेर, जालौर, नागौर, पाली, एवं आस-पास के क्षेत्र शामिल होते हैं। यह लोग अपनी व्यापारिक विस्तार के लिए दूर-दूर तक यात्रा करने के लिए प्रसिद्द हैं। मारवाड़ क्षेत्र से बाहर निकलते ही इनके मूल क्षेत्र के कारण ही इनको मारवाड़ी के नाम से जाना गया।

ये राजस्थान के बनिया समुदाय की श्रेणी से आते हैं, जो सामान्यतः ओसवाल, अग्रवाल, खंडेलवाल, बरनवाल, महेश्वरी, रस्तोगी, स्वर्णकार (सोनी) आदि के नाम से जाने जाते हैं। इनके रग-रग में व्यापार होता है, इनके जीवन की सबसे मुख्य प्राथमिकता इनका व्यापार है। इनका मानना है कि अगर अच्छा होगा व्यापार तो सुखमय होगा संसार।

सूत्र बताते हैं कि पहले के जमाने में मारवाड़ में अकाल बहुत पड़ता था। इसलिए वहाँ के लोग अनाज और पैसों को बहुत ही संभाल कर रखते थे ताकि अगर कोई मुसीबत आ जाए तो उसका सामना किया जा सके और वही बचत की आदत उनमे ऐसी पड़ी जो उनके सफलता और अमीरी का सूत्रधार बन गई और वैसे भी मारवाड़ी लोग बहुत ही परिश्रमी होते हैं। मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को बचपन से ही परिश्रमी, संयमी और पैसों के प्रति सचेत और जागरूक बनाने पर जोर देते हैं।

मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को पैसों के बारे में कुछ इस तरह समझाते हैं, जैसे :

“जिंदगी चलती है पैसों से और पैसे आते हैं काम से, इसलिए अपने काम से प्यार करें, दुनियाँ आपसे प्यार करने लगेगी”

प्रसिद्द मारवाड़ी हस्तियां और उनके व्यवसाय

लक्ष्मी मित्तल > जिनका लन्दन में इस्पात का कारोबार है, एक प्रसिद्द बिज़नेस मैन हैं।

राहुल बजाज > (Bajaj Auto Limited) जिनका गाड़ियों का कारोबार पुरे भारत में फैला हुआ है।

गौतम सिनिया > जिनका रेमण्ड का कपड़ा एक बड़ा भारतीय ब्रांड है पुरे देश में बिकता है।

वेणुगोपाल धूत > (Videocon) एक प्रसिद्द भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता और विक्रेता।

कुमार मंगलम बिड़ला > आदित्य बिड़ला समूह जो भारत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है।


मारवाड़ी लोगों की दस खाश विशेषताएं निम्नलिखित हैं:व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण होते हैं।
हिसाब की समझ रखते है।
पैसों से प्रेम करते हैं।
समय की कीमत समझते हैं।
दूरदृष्टि वाली सोच रखते हैं।
जबर्दस्त संयम रखते हैं।
काम से प्यार करते हैं।
चतुराई से भरे होते हैं।
साधारण जीवन जीते हैं।
धन को निवेश करते हैं।

आइये और मारवाड़ी लोगों की उन दस खाश विशेषताओं को विस्तार से जानते हैं :
(1) व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण होते हैं।

मारवाड़ी लोगों का पारिवारिक और रिस्तेदारिक वातावरण ही व्यापारिक होता है जिसके कारण उनके बच्चे बचपन से ही व्यापारिक गतिविधियों से बखूबी रूबरू होते हैं। वैसे भी मारवाड़ी लोग अपने बच्चों के शिक्षा में ज्यादा पैसे नहीं खर्च करते हैं बल्कि वे कहते हैं कि अपना व्यापार ही तो संभालना है कौन सी किसी की नौकरी करनी है बस काम भर की पढ़ाई करलो वह भी फॉर्मेलिटी के लिए बाकी अपने धंधे को जानो और समझो। इसी कारण से उनके बच्चे बड़े होते-होते पूरी तरह से व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण हो जाते है।
(2) हिसाब की समझ रखते है।

मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही हिसाब-किताब के बारे में जानकारी देने लगते हैं। वे कहते हैं कि अगर हम हिसाब-किताब को दुरुस्त नहीं रखोगे तो एक बड़ा साम्राज्य कैसे स्थापित करोगे और वैसे भी पैसा कमाना अगर कला है तो पैसा बचाना उससे भी बड़ी कला है। और अगर हिसाब की समझ नहीं होगी तो व्यापार पर कंट्रोल कैसे रखोगे। इसलिए उनके बच्चे बचपन से ही हिसाब के मामले में समझदार होते हैं।
(3) पैसों से प्रेम करते हैं।

कहते हैं कि लक्ष्मी वैश्य की धरोहर होती है और उसमे भी अगर वह मारवाड़ी हो तो फिर बात ही क्या है। मारवाड़ी लोग पैसों से बहुत प्रेम करते हैं। पैसों के प्रति उनका रुझान कुछ इस तरह होता है कि उन्हें अगर किसी रिस्तेदार के यहाँ शादी-व्याह में भी जाना हो तो वे अपनी दुकान एक घंटे पहले बंद करने में भी सभी तरह के हिसाब लगाते हैं।
(4) समय की कीमत समझते हैं।

जो लोग समय की कीमत को समझते हैं वे अपना एक पल भी व्यर्थ के कामों में नहीं गंवाते हैं। हर किसी के पास 24 घंटे ही होते हैं और उसी समय को जो मैनेज करना सीख लेते हैं वे अपने जीवन को जिस भी दिशा में ले जाना चाहें ले जा सकते हैं। इस बात को मारवाड़ी लोग भली-भाँति जानते हैं और उसका सही इस्तेमाल करते हुए अपना ज्यादातर समय अपने व्यापार को देने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें जो चाहिए वह उनके व्यापार से ही मिलेगा।
(5) दूरदृष्टि वाली सोच रखते हैं।

मारवाड़ी लोग अपनी हर एक डील खुली आँखों से करते हैं, अब वह चाहे व्यापारिक हो, सामाजिक हो, रिस्तेदारिक हो या फिर प्रॉपर्टी से सम्बंधित हो, वह आज जो दे रहे हैं उसके बदले कल क्या और कैसे मिलेगा। उनके हर एक आज में सुनहरा कल छुपा होता है जिसे देखने का नजरिया उनमे होता है और उसी नज़रिये का इस्तेमाल करते हुए वे दूरदृष्टि वाली सोच का इस्तेमाल करके अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं।
(6) जबर्दस्त संयम रखते हैं।

मारवाड़ी लोगों की सफलता का एक सबसे बड़ा कारण है कि वे लड़ाई-झगड़ों से दुरी बनाकर रखते हैं। उनका मानना है कि हमें व्यापार करना होता है अगर हम लोगों से लड़ने-भिड़ने में, वाद-विवाद में या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फसेंगे तो हमारा व्यापारिक नुकसान होगा। वे कहते हैं कि हम अपने सभी प्रकार के नुकसानों की भरपाई अपने व्यापार से करते हैं। इसलिए हम कोशिश करते हैं कि लड़ाई-झगड़े से बचके रहें अब चाहे इसके लिए थोड़ा-बहुत नुकसान ही क्यों ना उठाना पड़े।
(7) काम से प्यार करते हैं।

मारवाड़ी लोग अपने काम से प्यार करते हैं। वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते हैं बल्कि हम यह कह सकते हैं कि वे अपने काम को ही सबसे ज्यादा तबज्जो देते हैं। मारवाड़ियों के बारे में कहा जाता है कि वे नौकरी नहीं करना चाहते कुछ भी हो, कैसा भी हो, छोटा ही हो लेकिन कोई भी अपना ही व्यापार हो उसी में ही उनको तसल्ली मिलती है।
(8) चतुराई से भरे होते हैं।

चतुराई के मामले में भी मारवाड़ियों की दाद देनी होगी। वे दुनियाँ के किसी भी स्थान पर चले जाएँ उन्हें कोई बेवकूफ नहीं बना सकता बल्कि वे उसे ही अपना उत्पाद कैसे न कैसे करके चेप ही देते हैं। किसी के दिमाग में कुछ भी चल रहा हो लेकिन मारवाड़ी के दिमाग में हमेशा उसका व्यापार चल रहा होता है। वे दोस्ती भी व्यापारिक लोगों से ही करते हैं वह भी उनसे जिनसे भविष्य में उन्हें लाभ प्राप्त हो सके और यही चतुराई उन्हें सफल बनाने में ज्यादा कारगर साबित हुई है।
(9) साधारण जीवन जीते हैं।

इन लोगों के पास कितना भी पैसा हो उसे दिखाते नहीं हैं अर्थात शो-ऑफ नहीं करते। साधारण खाना खाते हैं , साधारण कपड़े पहनते हैं, साधारण जीवन शैली अपनाते हैं। इनके दिमाग में सिर्फ एक ही चीज चलती है कि पैसा कैसे कमाएं और उस पैसे से और पैसा कैसे बनाएं।
(10) धन को निवेश करते हैं।

यह लोग अपने धन को निवेश करते हैं किसी ऐसी जगह जहाँ से और ज्यादा धन की प्राप्ति हो सके। इनका मानना होता है कि धन की जहाँ बहुत ज्यादा जरुरत हो वहीँ खर्च करें और जितना हो सके उसे बचाने की कोशिश करें और उसे ऐसी जगह निवेश करें जहाँ से उसकी बृद्धि हो, जैसे – व्यापार में, प्रॉपर्टी में, किसी को कर्ज में जहाँ से ब्याज की प्राप्ति हो या फिर कहीं और जहाँ से वह पैसा-पैसे को खींच सके।

मारवाड़ियों पर बने चुटकुले
(1) लाला कल्लूमल की समझदारी

एक मारवाड़ी (लाला कल्लूमल) ने मिठाई की दुकान खोली, उन्हें अपनी दुकान पर एक कर्मचारी की आवश्यकता थी, उन्होंने दुकान पर एक बोर्ड लगाया और लिखा > एक कर्मचारी की आवश्यकता है जिसे शुगर की बीमारी हो, उस बोर्ड को पढ़कर एक आदमी उनसे पूछता है कि, लाला जी एक बात समझ में नहीं आयी कि शुगर की बीमारी वाला कर्मचारी ही आप क्यों रखना चाहते हैं ?

इस पर लाला जी बोले भाई साहेब जिसे शुगर होगा वह मिठाई चुराकर नहीं खायेगा जिससे मै कर्मचारियों से होने वाले एक प्रकार के नुकसान से चिंतामुक्त हो जाऊंगा।

(2) मारवाड़ी और सरदार की यारी

एक मारवाड़ी और एक सरदार अच्छे दोस्त होते हैं, एक बार सरदार जी की तबियत बिगड़ जाती है और उन्हें खून की जरुरत पड़ती है और वह अपने मारवाड़ी दोस्त से खून मांगते हैं, और मारवाड़ी अपनी दोस्ती को निभाते हुए उसे खून दे देता है। सरदार जी जब ठीक हो जाते हैं तो उसके पास आते हैं और धन्यवाद कहते हुए उसे नई स्कूटर की चाभी देते हुए कहते कि ये एक छोटा सा उपहार मेरी तरफ से आपके लिए। स्कूटर पाते ही मारवाड़ी बहुत खुश होता है।

कुछ साल बाद फिर वही हालात पैदा होता है, सरदार जी बीमार होते हैं और मारवाड़ी भाई बड़ी ख़ुशी से दोबारा उन्हें खून देते हैं और मन में लड्डू भी फुट रहा था की देखो अबकी सरदार जी क्या गिफ्ट देते हैं, हो सकता है अबकी कोई और बड़ा उपहार दें। एक सप्ताह बाद मारवाड़ी भाई के मन में कयास के लड्डू फुट ही रहे थे कि सरदार जी अपने हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता लेकर उनके घर पहुँचते हैं और धन्यवाद करते हुए उनके हाथ में पकड़ा देते हैं।

थोड़ी देर बाद सरदार जी जब बोले कि अच्छा अब मै चलता हूँ, इस पर मारवाड़ी भाई ने पूछा कि एक बात तो बताइये कि पिछली बार तो अपने मुझे स्कूटर गिफ्ट किया था लेकिन अबकि सिर्फ एक फूलों का गुलदस्ता, मुझे बात कुछ समझ में नहीं आई, इस पर सरदार जी ने मुस्कुराकर जबाब दिया > पिछली बार मेरे रगो में सरदार का खून था लेकिन अबकि बार मेरे रगो में एक मारवाड़ी का खून भी तो शामिल है यह कहते हुए सरदार जी मुस्कुराते हुए घर से बाहर चले जाते हैं और मारवाड़ी भाई अपने-आप में बुदबुदाते हैं > साला अपना ही खून धोखा दे गया।

गुजराती लोग इतने अमीर कैसे बने

गुजराती लोग इतने अमीर कैसे बने, और ज़्यादातर व्यापार में अच्‍छे क्यों होते हैं?


एक कहावत है गुजरातियों के बारे में कि मारवाड़ी से सामान खरीदकर और सिंधी को बेचकर भी जो मुनाफा कमा ले…वही असली गुजराती।

सबसे पहली बात जो सब लोगों को पता होनी चाहिए, खासकर उन लोगों को जो अमीर बनने की इच्छा रखते हैं कि ” अमीरी हमेशा बिज़नेस से ही आती है, अमीरी कभी भी जॉब से नहीं आती।

गुजराती अमीर कैसे बने, इसके बारे में जानने से पहले थोड़ा गुजरात की समृद्धि के बारे में जान लीजिये ताकि आपको इनकी अमीरी की सही वजह पता चले।

गुजरात, भारत का एक बहुत ही समृद्ध राज्य है जो जनसँख्या में 9वें स्थान पर हैं तथा क्षेत्रफल में 6ठें स्थान पर है। गुजरात 1600 किलोमीटर समुद्री तट से घिरा हुआ है जो की भारत में किसी भी राज्य के समुद्रीतट से बहुत बड़ा हैं और यहाँ से बहुत बड़े स्तर पर अंतराष्ट्रीय व्यापर होते हैं। गुजरात में भारत की सिर्फ 5 % आबादी है फिर भी भारत में 25% आयात अकेले गुजरात ही करता है। इतना ही नहीं, अकेल गुजरात 25 % कॉटन उत्पादन करता है, 25% दूध भी गुजरात में ही उत्पादित होता है , पूरी दुनिया का 80 % हीरा गुजरात के सूरत में पॉलिश होता हैं , 27% दबाइयाँ भी गुजरात में ही बनती है ,पेट्रोलियम रिफाइनरी का सबसे बड़ा कारखाना भी गुजरात में ही है।

गुजरात भारत का तीसरा सबसे शक्तिशाली राज्य है और सबसे ज्यादा प्रॉफिटेबल इकॉनमी भी इसकी ही है। उत्पादन में गुजरात देश की तुलना में जहां पूरा देश 25 % उत्पादित कर रहा है वहीं गुजरात अकेले 40 % उत्पादन कर रहा है। टेक्सटाइल के क्षेत्र में पूरे एशिया में गुजरात का दबदबा है और माना जाता है कि आने वाले समय में गुजरात टेक्सटाइल के मामले में पूरी दुनिया में सबसे आगे होगा।

अगर गुजरात एक देश होता तो- चीन और साउथ कोरिया के बाद गुजरात दुनिया की तीसरी सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकॉनमी होती।

हमारे देश के ज्यादातर अमीर गुजरात से ही हैं , भारत के 50% अरबपति गुजरात से ही हैं

मुकेश अम्बानी, गौतम अडाणी, दिलीप सांघवी, अज़ीम प्रेमजी , करसनभाई पटेल और पंकज पटेल ये सभी गुजरात के कुछ प्रमुख अरबपति हैं।

अब जानते हैं कि गुजराती लोग अमीर कैसे बने

# गुजरात के लोगों के अमीर बनने का सबसे बड़ा और शुरुआती कारण गुजरात की भौगोलिक स्थिति है। चुकीं गुजरात के पास 1600 किलोमीटर का बड़ा समुद्र तट हैं जो भारत का सबसे बड़ा समुद्र तट है और यह भारत में अंतराष्ट्रीय व्यापर का सबसे प्रमुख केंद्र है। यहाँ सदियों से व्यापार होता रहा है जिसके कारण लोगों को व्यापर करने के मौके मिलते रहे और व्यापार यहाँ के लोगों के रग-रग में बस गया और यहीं से अमीरी की शुरुआत हो गयी।

# गुजरात के लोगों की यही खास बात है की जहां अन्य राज्य के लोग जॉब की तलाश में होते हैं, वहीं गुजराती बिज़नेस की शुरुआत कर दूसरों को रोजगार देने में लगे होते हैं।

# अगर किसी गुजराती की फाइनेंसियल कंडीशन सही न हो तो वे अपने कैरियर की शुरुआत जॉब से करते हैं। चूकिं गुजरात बिज़नेस का एक बड़ा केंद्र है जिसके कारण वहाँ के युवा को दूसरे राज्यों की तुलना में जॉब भी आसानी से मिल जाती हैं और फिर वे अपने जॉब से साथ-साथ खुद का बिज़नेस स्टार्ट करने में लग जाते हैं।

# गुजराती लोगों की शुरुआत छोटी ही क्यूँ न हो लेकिन इनका इरादा अपने बिज़नेस को बड़ा से बड़ा करने की ओर ले जाने का होता है। इनका कहना होता है कुछ भी करो बड़ा करो चाहे शुरुआत छोटे से ही क्यों न हो और यही सोच इन्हें सबसे आगे ले जाती हैं।

# गुजराती लोग अपने संस्कृति को बहुत महत्व देते हैं। वो चाहे दुनिया में कही चले जाएँ अपने संस्कार, भाषा, गुरु, धर्म का हमेशा सम्मान करते हैं और उनसे जुड़े रहते हैं। यही कारण है कि जो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने और अटल रहने में हमेशा अपनों की मदद मिलती है।

# गुजरातियों के लिए कोई भी चीज़ बाधा नहीं बनती है वे शुरुआत करने के लिए किसी भी बिज़नेस से शुरुआत कर सकते हैं चाहे वो बिज़नेस छोटा ही क्यों न हो। उनमें कोई घमंड नहीं होती है कि वे ऐसा काम नहीं करेंगे या वैसा काम नहीं करेंगे। हर काम को वे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, कुछ न करना उनके लिए अपमान की बात हो सकती है।

# गुजरातियों में धैर्य बहुत ज्यादा होता वे जिस चीज़ की शुरआत करते हैं उसमें अपनी जी जान लगा देते हैं, ऐसा नहीं कि प्रॉफिट नहीं हो रहा है तो तुरंत छोड़कर किसी दूसरे काम में लग जाते हैं। तबतक उस काम में लगे रहकर कड़ी मेहनत करते हैं जब तक कि फायदा न होने लगे।

# ये लोग बहुत दूरदर्शी होते हैं, ये आने वाले समय को बहुत पहले से भांप लेते हैं कि आने वाले समय में कौन सी इंडस्ट्री ग्रो करेगी और समय आने पर जबतक लोग सोचते हैं ये शुरुआत कर बड़े लेवल पर पहुँच चुके होते हैं।

# गुजराती लोग, सभी की बहुत रेस्पेक्ट करते हैं जिसके कारण दूसरे बिजनेसमैन और इसके कस्टमर हमेशा इनके बिज़नेस से जुड़े रहते हैं। कहा जाता है कि इनके शब्दों में भी उतनी ही मिठास होती है जितनी कि इनके भोजन में।

# ये लोग बिज़नेस से होने वाले प्रॉफिट को पुनः बिज़नेस को एक्सपैंड करने में लगा देते हैं और पैसों की ज्यादा बर्बादी नहीं करते।

# गुजराती लोग जल्दी डिसीजन लेते हैं। वे रिस्क लेने से नहीं डरते हैं लेकिन इनमें एक बात होती है कि ये रिस्क सोच समझकर लेते हैं, ये ज्यादातर वैसे काम करते हैं जिसमे कम रिस्क और ऊँची सफलता हो।

# गुजराती युवाओं को बिज़नेस करने में उनके पूरे परिवार से सपोर्ट मिलता है। उनके परिवार का हर सदस्य उन्हें प्रोत्साहित करता है और अपने क्षमता के हिसाब से उनके बिज़नेस में भी हेल्प करता है।

# ये लोग जब बिज़नेस में सफल हो जाते हैं तो ये दूसरों को भी बिज़नेस करने में मदद करते हैं। इनमें जलन की भावना न होकर परोपकार की भावना होती है। ये हमेशा दूसरों को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं।

# ये लोग अपने दुश्मनों को खत्म न करके उनसे दुश्मनी ख़त्म करते हैं और उन्हें दोस्त बना लेते हैं जिससे उन्हें किसी दुश्मन की चिंता न होती है और अपने बिज़नेस को पूरा समय देते हैं तथा सफलता की ऊंचाइयों को छूते हैं।

# गुजराती लोग पैसे को सोच समझकर खर्च करते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि ये रॉयल जीवन नहीं जीते हैं। उनकी जीवन शैली भी अच्छी होती है लेकिन वे ऐसा तब करते हैं जब उनके पास बहुत सारा पैसा हो जाता है और यह खर्च उनके लिए मामूली रह जाता है।

# ये हमेशा कुछ नया करने की सोचते हैं उनके पास भरपूर मात्रा में क्रिएटिविटी होती हैं। एक अच्छा विचार मिलने पर उसे पूरा करने में लग जाते हैं।

# ये अपने बिज़नेस खड़ा करने में जी-जान लगा देते हैं इन्हें कड़ी मेहनत करने की आदत होती हैं ये बहुत मेहनती होते हैं।

# इनके बारे में कहा जाता है कि ये बिज़नेस में इतने होशियार होते हैं की मारवाड़ी से सामान खरीदकर और सिंधी को बेचकर भी मुनाफा कमा लेते हैं।

# ये लोग जानते है कि जीवन में हमेशा अच्छे मौके आते रहते हैं इसलिए ये हमेशा मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार रहते हैं और समय आने पर उसका पूरा फायदा भी उठाते हैं।

# और सबसे बड़ी बात कि पैसा कमा लेने के बाद पैसे को स्थायी बनाने और उसे बढ़ाने में इन्हे महारत हासिल है।

# गुजराती लोगों की एक खास बात है कितनी भी बड़ी उच्चइयों पर पहुंच जाने पर भी घमंड और शान नहीं दिखते हैं ।

-श्रीश राज, लेखक, आधुनिक व्यवसायी