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Sunday, December 22, 2024

मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी

मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी

मारवाड़ी लोगों के बारे में एक कहावत बड़ी प्रसिद्द है कि “जहाँ न पहुँचे बैल गाड़ी, वहाँ पहुँचे मारवाड़ी” वाकई में जबाब नहीं है इनका और इनके व्यापार करने के तरीके का, तभी तो भारत के अरबपतियों में इनका नाम सबसे ज्यादा है। हमारे देश की ज्यादातर बड़ी कम्पनियां इन्हीं मारवाड़ियों की हैं। आखिर क्या है इनकी सफलता का राज ? “मारवाड़ी लोग क्यों होते हैं सफल व्यापारी” सब कुछ बताएँगे, इनकी पूरी कुंडली खंगाल कर आपके सामने लाएंगे, इसलिए बने रहियेगा हमारे साथ क्योंकि हम नहीं करते इधर-उधर की बात, हमारे आर्टिकल में होती है सिर्फ और सिर्फ काम की बात। तो आइये अब शुरू करते हैं।

मारवाड़ियों की पृष्ठभूमि

मारवाड़ी समुदाय का सम्बन्ध दक्षिण-पश्चिम राजस्थान के जोधपुर क्षेत्र के पूर्व रियासत मारवाड़ से है। दूसरे शब्दों में राजस्थान की अरावली पर्वतमाला के पश्चिमी भाग को मारवाड़ के नाम से जाना जाता है जिसमे मुख्यतः जोधपुर, बीकानेर, जालौर, नागौर, पाली, एवं आस-पास के क्षेत्र शामिल होते हैं। यह लोग अपनी व्यापारिक विस्तार के लिए दूर-दूर तक यात्रा करने के लिए प्रसिद्द हैं। मारवाड़ क्षेत्र से बाहर निकलते ही इनके मूल क्षेत्र के कारण ही इनको मारवाड़ी के नाम से जाना गया।

ये राजस्थान के बनिया समुदाय की श्रेणी से आते हैं, जो सामान्यतः ओसवाल, अग्रवाल, खंडेलवाल, बरनवाल, महेश्वरी, रस्तोगी, स्वर्णकार (सोनी) आदि के नाम से जाने जाते हैं। इनके रग-रग में व्यापार होता है, इनके जीवन की सबसे मुख्य प्राथमिकता इनका व्यापार है। इनका मानना है कि अगर अच्छा होगा व्यापार तो सुखमय होगा संसार।

सूत्र बताते हैं कि पहले के जमाने में मारवाड़ में अकाल बहुत पड़ता था। इसलिए वहाँ के लोग अनाज और पैसों को बहुत ही संभाल कर रखते थे ताकि अगर कोई मुसीबत आ जाए तो उसका सामना किया जा सके और वही बचत की आदत उनमे ऐसी पड़ी जो उनके सफलता और अमीरी का सूत्रधार बन गई और वैसे भी मारवाड़ी लोग बहुत ही परिश्रमी होते हैं। मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को बचपन से ही परिश्रमी, संयमी और पैसों के प्रति सचेत और जागरूक बनाने पर जोर देते हैं।

मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को पैसों के बारे में कुछ इस तरह समझाते हैं, जैसे :

“जिंदगी चलती है पैसों से और पैसे आते हैं काम से, इसलिए अपने काम से प्यार करें, दुनियाँ आपसे प्यार करने लगेगी”

प्रसिद्द मारवाड़ी हस्तियां और उनके व्यवसाय

लक्ष्मी मित्तल > जिनका लन्दन में इस्पात का कारोबार है, एक प्रसिद्द बिज़नेस मैन हैं।

राहुल बजाज > (Bajaj Auto Limited) जिनका गाड़ियों का कारोबार पुरे भारत में फैला हुआ है।

गौतम सिनिया > जिनका रेमण्ड का कपड़ा एक बड़ा भारतीय ब्रांड है पुरे देश में बिकता है।

वेणुगोपाल धूत > (Videocon) एक प्रसिद्द भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता और विक्रेता।

कुमार मंगलम बिड़ला > आदित्य बिड़ला समूह जो भारत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है।


मारवाड़ी लोगों की दस खाश विशेषताएं निम्नलिखित हैं:व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण होते हैं।
हिसाब की समझ रखते है।
पैसों से प्रेम करते हैं।
समय की कीमत समझते हैं।
दूरदृष्टि वाली सोच रखते हैं।
जबर्दस्त संयम रखते हैं।
काम से प्यार करते हैं।
चतुराई से भरे होते हैं।
साधारण जीवन जीते हैं।
धन को निवेश करते हैं।

आइये और मारवाड़ी लोगों की उन दस खाश विशेषताओं को विस्तार से जानते हैं :
(1) व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण होते हैं।

मारवाड़ी लोगों का पारिवारिक और रिस्तेदारिक वातावरण ही व्यापारिक होता है जिसके कारण उनके बच्चे बचपन से ही व्यापारिक गतिविधियों से बखूबी रूबरू होते हैं। वैसे भी मारवाड़ी लोग अपने बच्चों के शिक्षा में ज्यादा पैसे नहीं खर्च करते हैं बल्कि वे कहते हैं कि अपना व्यापार ही तो संभालना है कौन सी किसी की नौकरी करनी है बस काम भर की पढ़ाई करलो वह भी फॉर्मेलिटी के लिए बाकी अपने धंधे को जानो और समझो। इसी कारण से उनके बच्चे बड़े होते-होते पूरी तरह से व्यापारिक सूझ-बुझ से परिपूर्ण हो जाते है।
(2) हिसाब की समझ रखते है।

मारवाड़ी लोग अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही हिसाब-किताब के बारे में जानकारी देने लगते हैं। वे कहते हैं कि अगर हम हिसाब-किताब को दुरुस्त नहीं रखोगे तो एक बड़ा साम्राज्य कैसे स्थापित करोगे और वैसे भी पैसा कमाना अगर कला है तो पैसा बचाना उससे भी बड़ी कला है। और अगर हिसाब की समझ नहीं होगी तो व्यापार पर कंट्रोल कैसे रखोगे। इसलिए उनके बच्चे बचपन से ही हिसाब के मामले में समझदार होते हैं।
(3) पैसों से प्रेम करते हैं।

कहते हैं कि लक्ष्मी वैश्य की धरोहर होती है और उसमे भी अगर वह मारवाड़ी हो तो फिर बात ही क्या है। मारवाड़ी लोग पैसों से बहुत प्रेम करते हैं। पैसों के प्रति उनका रुझान कुछ इस तरह होता है कि उन्हें अगर किसी रिस्तेदार के यहाँ शादी-व्याह में भी जाना हो तो वे अपनी दुकान एक घंटे पहले बंद करने में भी सभी तरह के हिसाब लगाते हैं।
(4) समय की कीमत समझते हैं।

जो लोग समय की कीमत को समझते हैं वे अपना एक पल भी व्यर्थ के कामों में नहीं गंवाते हैं। हर किसी के पास 24 घंटे ही होते हैं और उसी समय को जो मैनेज करना सीख लेते हैं वे अपने जीवन को जिस भी दिशा में ले जाना चाहें ले जा सकते हैं। इस बात को मारवाड़ी लोग भली-भाँति जानते हैं और उसका सही इस्तेमाल करते हुए अपना ज्यादातर समय अपने व्यापार को देने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें जो चाहिए वह उनके व्यापार से ही मिलेगा।
(5) दूरदृष्टि वाली सोच रखते हैं।

मारवाड़ी लोग अपनी हर एक डील खुली आँखों से करते हैं, अब वह चाहे व्यापारिक हो, सामाजिक हो, रिस्तेदारिक हो या फिर प्रॉपर्टी से सम्बंधित हो, वह आज जो दे रहे हैं उसके बदले कल क्या और कैसे मिलेगा। उनके हर एक आज में सुनहरा कल छुपा होता है जिसे देखने का नजरिया उनमे होता है और उसी नज़रिये का इस्तेमाल करते हुए वे दूरदृष्टि वाली सोच का इस्तेमाल करके अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं।
(6) जबर्दस्त संयम रखते हैं।

मारवाड़ी लोगों की सफलता का एक सबसे बड़ा कारण है कि वे लड़ाई-झगड़ों से दुरी बनाकर रखते हैं। उनका मानना है कि हमें व्यापार करना होता है अगर हम लोगों से लड़ने-भिड़ने में, वाद-विवाद में या फिर कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फसेंगे तो हमारा व्यापारिक नुकसान होगा। वे कहते हैं कि हम अपने सभी प्रकार के नुकसानों की भरपाई अपने व्यापार से करते हैं। इसलिए हम कोशिश करते हैं कि लड़ाई-झगड़े से बचके रहें अब चाहे इसके लिए थोड़ा-बहुत नुकसान ही क्यों ना उठाना पड़े।
(7) काम से प्यार करते हैं।

मारवाड़ी लोग अपने काम से प्यार करते हैं। वे अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित रहते हैं बल्कि हम यह कह सकते हैं कि वे अपने काम को ही सबसे ज्यादा तबज्जो देते हैं। मारवाड़ियों के बारे में कहा जाता है कि वे नौकरी नहीं करना चाहते कुछ भी हो, कैसा भी हो, छोटा ही हो लेकिन कोई भी अपना ही व्यापार हो उसी में ही उनको तसल्ली मिलती है।
(8) चतुराई से भरे होते हैं।

चतुराई के मामले में भी मारवाड़ियों की दाद देनी होगी। वे दुनियाँ के किसी भी स्थान पर चले जाएँ उन्हें कोई बेवकूफ नहीं बना सकता बल्कि वे उसे ही अपना उत्पाद कैसे न कैसे करके चेप ही देते हैं। किसी के दिमाग में कुछ भी चल रहा हो लेकिन मारवाड़ी के दिमाग में हमेशा उसका व्यापार चल रहा होता है। वे दोस्ती भी व्यापारिक लोगों से ही करते हैं वह भी उनसे जिनसे भविष्य में उन्हें लाभ प्राप्त हो सके और यही चतुराई उन्हें सफल बनाने में ज्यादा कारगर साबित हुई है।
(9) साधारण जीवन जीते हैं।

इन लोगों के पास कितना भी पैसा हो उसे दिखाते नहीं हैं अर्थात शो-ऑफ नहीं करते। साधारण खाना खाते हैं , साधारण कपड़े पहनते हैं, साधारण जीवन शैली अपनाते हैं। इनके दिमाग में सिर्फ एक ही चीज चलती है कि पैसा कैसे कमाएं और उस पैसे से और पैसा कैसे बनाएं।
(10) धन को निवेश करते हैं।

यह लोग अपने धन को निवेश करते हैं किसी ऐसी जगह जहाँ से और ज्यादा धन की प्राप्ति हो सके। इनका मानना होता है कि धन की जहाँ बहुत ज्यादा जरुरत हो वहीँ खर्च करें और जितना हो सके उसे बचाने की कोशिश करें और उसे ऐसी जगह निवेश करें जहाँ से उसकी बृद्धि हो, जैसे – व्यापार में, प्रॉपर्टी में, किसी को कर्ज में जहाँ से ब्याज की प्राप्ति हो या फिर कहीं और जहाँ से वह पैसा-पैसे को खींच सके।

मारवाड़ियों पर बने चुटकुले
(1) लाला कल्लूमल की समझदारी

एक मारवाड़ी (लाला कल्लूमल) ने मिठाई की दुकान खोली, उन्हें अपनी दुकान पर एक कर्मचारी की आवश्यकता थी, उन्होंने दुकान पर एक बोर्ड लगाया और लिखा > एक कर्मचारी की आवश्यकता है जिसे शुगर की बीमारी हो, उस बोर्ड को पढ़कर एक आदमी उनसे पूछता है कि, लाला जी एक बात समझ में नहीं आयी कि शुगर की बीमारी वाला कर्मचारी ही आप क्यों रखना चाहते हैं ?

इस पर लाला जी बोले भाई साहेब जिसे शुगर होगा वह मिठाई चुराकर नहीं खायेगा जिससे मै कर्मचारियों से होने वाले एक प्रकार के नुकसान से चिंतामुक्त हो जाऊंगा।

(2) मारवाड़ी और सरदार की यारी

एक मारवाड़ी और एक सरदार अच्छे दोस्त होते हैं, एक बार सरदार जी की तबियत बिगड़ जाती है और उन्हें खून की जरुरत पड़ती है और वह अपने मारवाड़ी दोस्त से खून मांगते हैं, और मारवाड़ी अपनी दोस्ती को निभाते हुए उसे खून दे देता है। सरदार जी जब ठीक हो जाते हैं तो उसके पास आते हैं और धन्यवाद कहते हुए उसे नई स्कूटर की चाभी देते हुए कहते कि ये एक छोटा सा उपहार मेरी तरफ से आपके लिए। स्कूटर पाते ही मारवाड़ी बहुत खुश होता है।

कुछ साल बाद फिर वही हालात पैदा होता है, सरदार जी बीमार होते हैं और मारवाड़ी भाई बड़ी ख़ुशी से दोबारा उन्हें खून देते हैं और मन में लड्डू भी फुट रहा था की देखो अबकी सरदार जी क्या गिफ्ट देते हैं, हो सकता है अबकी कोई और बड़ा उपहार दें। एक सप्ताह बाद मारवाड़ी भाई के मन में कयास के लड्डू फुट ही रहे थे कि सरदार जी अपने हाथों में एक फूलों का गुलदस्ता लेकर उनके घर पहुँचते हैं और धन्यवाद करते हुए उनके हाथ में पकड़ा देते हैं।

थोड़ी देर बाद सरदार जी जब बोले कि अच्छा अब मै चलता हूँ, इस पर मारवाड़ी भाई ने पूछा कि एक बात तो बताइये कि पिछली बार तो अपने मुझे स्कूटर गिफ्ट किया था लेकिन अबकि सिर्फ एक फूलों का गुलदस्ता, मुझे बात कुछ समझ में नहीं आई, इस पर सरदार जी ने मुस्कुराकर जबाब दिया > पिछली बार मेरे रगो में सरदार का खून था लेकिन अबकि बार मेरे रगो में एक मारवाड़ी का खून भी तो शामिल है यह कहते हुए सरदार जी मुस्कुराते हुए घर से बाहर चले जाते हैं और मारवाड़ी भाई अपने-आप में बुदबुदाते हैं > साला अपना ही खून धोखा दे गया।

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