डॉ. अनामिका जैन अम्बर देश की विख्यात हिंदी कवयित्री हैं. हिंदी-उर्दू कवि सम्मेलन, मुशायेरे में उनका नाम इन दिनों सबसे ऊपर आता है. मौलिकता, कवित्व, चरित्र, सौम्यता, नैतिक मूल्यों के प्रति उनका समर्पण आदि उनकी प्रमुख विशेषताएं हैं. अनेक टीवी सीरियल्स में हिंदी कविता को समर्पित उनके काव्य पाठ आते रहते हैं. आइये जानते हैं कुछ देश की इस बड़ी कवयित्री के विषय में...
काव्य परिचय:
अनामिका जैन अम्बर बाल कवयित्री हैं. बचपन से ही उनको कविता लिखने एवं बोलने का शौंक था. उनकी कविता "शहीद के बेटे की दीपावली" से उन्हें खूब पहचान मिली. छोटी सी बच्ची जब काव्य मंचों से देश के सैनिकों का दर्द गाती थी तो सबकी आँखे नम हो जाया करती थी. इस कविता के बाद उनका लेखन दिन दुनी रात चौगुनी गति से बढ़ता गया. वर्तमान हिंदी काव्य मंचों पर मौलिकता की दृष्टि से सबसे ऊपर यदि किसी कवयित्री का नाम लिया जाता है तो वह निर्विवाद डॉ. अनामिका जैन अम्बर का नाम होता है.
उनकी कुछ प्रमुख रचनाओ में
शहीद के बेटे की दीपावली
दामिनी (दिल्ली बलात्कार कांड पर आधारित कविता)
रुक्मणी (भगवान् श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणी के पत्नी अधिकार को लेकर लिखी कविता)
कंगना (बिटिया की विदाई पर)
महाराणी पद्मावती (पद्मिनी)
पी संग खेले होली रे...
आँखों के रस्ते मेरे दिल में समां गया...
पतझर में जो बसंत की बहार कर गए....
आँखों के इस कारोबार में....
अपने मोहन की मैं संवरी हो गई...
आओ झूमो नाचो गाओ....
बंद पिंजरे के कैद परिंदे....
आदि न जाने कितनी कवितायेँ उनकी कलम से निकली जिन्होंने उनकी जिव्हा से श्रोताओं के दिलों तक का सफ़र तय किया....
डॉ अनामिका अम्बर ने पहला मंच सन 1997 में चौदह वर्ष की अल्पायु में पढ़ा था. उसके बाद अनवरत उनकी काव्य यात्रायें जारी हैं. देश भर के बड़े मंचों पर उनको जनता का अपार नेह मिलता रहा है. कविता का उनके जीवन में इतना प्रभाव था की उन्होंने जीवनसाथी के रूप में भी हिंदी काव्य मंचों के लाडले कवि सौरभ जैन सुमन को अपना जीवन साथी चुना.
माँ शारदे की कृपा स्वयं पर मानने वाली डॉ अनामिका अम्बर ने माँ को समर्पित "माँ शारदे वंदना" का ऐसा सृजन किया की यदि अब वह मंच पर हों तो सरस्वती वंदना करने का अवसर किसी अन्य को देना संचालक के लिए संभव ही नहीं हो पाता. माँ सरस्वती के 108 नामो को आधार बनाते हुए गढ़ी हुई स्तुति का कोई तोड़ नहीं है.
डॉ अनामिका जैन अम्बर के काव्य उपलब्धियों के विषय में जितना कहा जाए कम है...उनकी पहचान उनकी कविता है....उनकी शाश्वत प्रस्तुति है....उनकी वाक्पटुता, उनकी मुखरता, उनकी सादगी, उनकी कवितव् पर पकड़ है....
टीवी पर अनामिका:
यूँ तो अनेक चैनल डॉ अनामिका अम्बर की कविताओं को दिखाते रहते हैं किन्तु विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं:
सब टीवी का प्रसिद्ध शो "वाह वाह क्या बात है"
जीवन परिचय:
डॉ अनामिका अम्बर का जन्म सन 1983 में बुंदेलखंड के ललितपुर जिले के धनगौल ग्राम में हुआ. उनके पिता श्री उत्तम चंद जैन ललितपुर शहर के नामी वकील हैं. उनकी माता श्रीमती गुणमाला जैन गृहणी हैं. अनामिका की आरंभिक शिक्षा ललितपुर के कोंवेंट विद्यालय में हुई. एक ओर जहाँ उन्होंने लौकिक शिक्षा ग्रहण की वहीँ माता जी के धार्मिक संस्कार भी उनमे कूट कूट के समा रहे थे. बचपन से ही हिंदी के प्रति उनकी रूचि उन्हें हिंदी कविताओं की ओर खींचने लगी. उनको संगी साथी भी ऐसे ही मिल गए जो कविता के प्रति रुचिकर थे. उनका साथ अनामिका को और अधिक बल देने लगा. धीरे धीरे उनकी रूचि उनको हिंदी कविता के मंच तक ले आयी. बाल कवयित्री के रूप में उन्हें श्रोता मन से सुनने लगे. पारिश्रमिक के रूप में मिलने वाला बहुत थोडा मान उन्हें प्रेरक पुरस्कार सा लगने लगा.
बारवी कक्षा के बाद उनका चयन सी.पी.एम.टी. में हो गया. किन्तु पूरे खानदान में इकलौती बेटी होने के कारण परिवार ने उन्हें डाक्टरी की पढाई के लिए दूर भेजना उचित नहीं समझा इसलिए उन्होंने ग्वालियर के जीवाजी विश्व् विद्यालय से विज्ञान में स्नातक एवं परास्नातक पास किया. पढाई के प्रति उनकी निष्ठां उन्हें वाचस्पति की डिग्री की ओर ले गई. जीवाजी यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने Ph.D. किया.
इसी मध्य हिंदी काव्य मंचों के युवा कवि सौरभ जैन सुमन के साथ उनकी भेंट हुई. दोनों की जोड़ी को हिंदी मंचो पर पसंद किया जाने लगा. 6 वर्ष अनवरत उनके साथ कविता के मंच करने के बाद सन 2006 में दोनों ने घर वालों की सहमती से विवाह किया. उसके बाद हिंदी काव्य मंचों का प्रथम विख्यात कवियुगल होने का गौरव भी प्राप्त किया. यूँ तो कुछ और भी नाम ऐसे हैं जिन्होंने हिंदी मंचों पर एक दुसरे को जीवन साथी के रूप में चुना है किन्तु सौरभ सुमन-अनामिका अम्बर में विशेष ये रहा की विवाह के उपरांत भी दोनों मंच पर अपनी प्रस्तुति देते रहे और सफलता के शिखर की ओर अग्रसित होते रहे. आज कवि सम्मेलनों के मंच पर एक मात्र युगल दंपत्ति के रूप में दोनों स्थापित हैं.
सौरभ-अनामिका के इस पुनीत युगल को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनका नाम क्रमशः काव्य-ग्रन्थ रखा गया. दोनों बेटो में भी शुरू से कविता के गुण हैं. काव्य जहाँ छोटी सी आयु में शब्द संयोजन में विशेष रूचि रखता है वहीँ छोटा बेटा ग्रन्थ प्रस्तुति के मैदान में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
डॉ अनामिका अम्बर ने मेरठ में अपना एक निजी प्ले-स्कूल भी खोला हुआ है. जिसका सञ्चालन वह स्वयं करती हैं. लगातार बाहर रहने के कारण प्राचार्य एवं संचालक मंडल स्कूल देखता अवश्य है किन्तु व्यस्त रहते हुए भी अनामिका अपना पूरा समय स्कूल को देती हैं.
साभार: anamikajainambar.blogspot.com/2017/10/profile-anamika-jain-ambar-poetess.html
Lajwaab
ReplyDeleteवर्तमान हिंदी प्रेमियों की पीढ़ी डॉ अनामिका की कविता सुनने के लिए बेचैन रहते हैं।उनकी लोकप्रियता अभी शीर्ष पर हैं।
ReplyDeleteGood
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