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Monday, December 6, 2021

DEVASHEESH GOYAL - OHLOCAL

DEVASHEESH GOYAL - OHLOCAL

मेरठ के देवाशीष ने स्थानीय और छोटे दुकानदारों के लिए ऐप लॉन्च किया, पहले ही साल 2 करोड़ का बिजनेस

पिछले कुछ सालों में ऑनलाइन मार्केटिंग की डिमांड बढ़ी है। गांवों में भी लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। कई मायनों में इसके फायदे भी हैं, लेकिन दूसरी तरफ इससे स्थानीय दुकानदारों को नुकसान भी हो रहा है। धीरे-धीरे उनके कस्टमर कम हो रहे हैं। इसको लेकर मेरठ के रहने वाले देवाशीष गोयल ने एक पहल की है।

उन्होंने एक ऐप लॉन्च किया है जिसके जरिए स्थानीय दुकानदार आसानी से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्लेटफॉर्म से मार्केटिंग कर सकते हैं। इतना ही नहीं ग्राहकों को भी एक दिन के भीतर उनकी पसंद का प्रोडक्ट मिल जाएगा। एक साल के भीतर उन्होंने 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस किया है।

28 साल के देवाशीष इंजीनियरिंग के बाद एक स्टार्टअप से जुड़ गए। उन्होंने करीब 5 साल तक स्टार्टअप के लिए काम किया। इससे उन्हें टेक्नोलॉजी के साथ मार्केटिंग को भी समझने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब वे खुद का कोई स्टार्टअप करेंगे।

ऑनलाइन मार्केटिंग में गैप बहुत है

देवाशीष कहते हैं कि अलग-अलग ट्रेंड्स को लेकर रिसर्च के बाद हमें पता चला कि अभी ऑनलाइन मार्केटिंग का जमाना है। लोग तेजी से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं। इस वजह से स्थानीय और छोटे दुकानदारों को घाटा हो रहा है। उनके ग्राहक कम हो रहे हैं। कुछ स्थानीय दुकानदार ऑनलाइन शिफ्ट भी होना चाहते हैं तो उन्हें सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलता है।


28 साल के देवाशीष ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। लंबे वक्त तक उन्होंने स्टार्टअप के साथ काम भी किया है।

वे कहते हैं कि कोरोना के दौरान बड़ी कंपनियां ऑनलाइन मार्केटिंग कर रही थीं, लेकिन छोटे दुकानदारों का धंधा बंद हो गया था। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उनकी मौजूदगी थी नहीं और दुकान पर ग्राहक आ नहीं रहे थे। तभी हमने इसको लेकर प्लानिंग करना शुरू किया।

जनवरी 2021 में शुरू किया स्टार्टअप

अगस्त 2020 में जब लॉकडाउन की पाबंदी हटी तो देवाशीष ने छोटे और स्थानीय दुकानदारों से कॉन्टैक्ट करना शुरू किया। उन्होंने उनकी दिक्कतें समझी और उनके सहूलियत के मुताबिक ऐप बनाने की तैयारी शुरू कर दी। करीब 6 महीने की मेहनत के बाद जनवरी 2021 में उन्होंने Ohlocal नाम से अपना स्टार्टअप लॉन्च किया।

देवाशीष कहते हैं कि ऐप लॉन्च करने, स्टार्टअप शुरू करने और ऑफिस के लिए सेटअप जमाने में उनके 10 से 15 लाख रुपए खर्च हुए। जो उन्होंने अपनी सेविंग्स से खर्च की। इस दौरान उन्हें कई शहरों में जाना पड़ा। अभी भी लगातार वे फील्ड विजिट करते हैं। इसमें अच्छी खासी रकम खर्च होती है।

वे कहते हैं कि जैसे-जैसे लोगों को हमारे बारे में जानकारी मिली, वे हमसे जुड़ने लगे। कुछ ही महीनों में हमने मेरठ से होते हुए गुरुग्राम, नोयडा जैसे शहरों में अपनी पहुंच बना ली। वहां के लोकल दुकानदारों को अपने साथ जोड़ लिया। इसी तरह कस्टमर्स की भी संख्या बढ़ने लगी।

किफायती डर में अपने ही शहर से ऑनलाइन शॉपिंग


देवाशीष बताते हैं कि हमारी टीम हर दुकान का वैरिफिकेशन करती है। उसके बाद ही हम अपने ऐप पर उसे लिस्ट करते हैं।

देवाशीष कहते हैं कि मेरठ, नोयडा, गुरुग्राम सहित कई शहरों में हमने स्थानीय दुकानदारों को अपने साथ जोड़ा है। अभी 200 के करीब दुकानदार हमसे जुड़े हैं। ये सभी इलेक्ट्रॉनिक और होम अप्लायंसेज से संबंधित हैं। इसी तरह 4 हजार से ज्यादा हमारे साथ कस्टमर्स भी जुड़े हैं।

वे बताते हैं कि मान लीजिए आप मेरठ में हैं। आपको एक फ्रीज या कूलर की जरूरत है। आपको यह जानकारी नहीं है कि मेरठ में ये प्रोडक्ट कहां मिलते हैं और उनकी कितनी कीमत है। या किस दुकान पर किफायती रेट है। ऐसे में आप क्या करेंगे?

देवाशीष कहते हैं कि आप हमारे ऐप के जरिये आसानी से इसकी न सिर्फ जानकारी ले सकते हैं, बल्कि स्थानीय दुकान से ऑनलाइन शॉपिंग के जरिये घर पर प्रोडक्ट भी मंगा सकते हैं। वो भी किफायती रेंज में। इसी तरह दुकानदार भी अपना प्रोडक्ट आसानी से बिना किसी अतिरिक्त कमीशन के बेच पाएंगे। इसमें वक्त की भी काफी ज्यादा बचत होगी।

कैसे करते हैं काम? क्या है बिजनेस मॉडल?


देवाशीष कहते हैं कि हमारे ऐप पर दूसरे ऐप के मुकाबले हर प्रोडक्ट की कीमत कम होगी और वह प्रोडक्ट स्थानीय ही होगा।

अगर कोई कस्टमर Ohlocal के जरिये शॉपिंग करना चाहता है तो वह सबसे पहले ऐप या वेबसाइट के जरिये लॉगइन करता है। फिर अपना लोकेशन सिलेक्ट करता है। इसके बाद जो प्रोडक्ट उसे खरीदना है उसकी क्वायरी करता है। जिसकी जानकारी संबंधित लोकेशन पर मौजूद दुकानदारों के पास फौरन पहुंच जाती है।

इसके बाद दुकानदार उस प्रोडक्ट की बेस्ट प्राइस मेंशन करते हैं। जिसके आधार पर कस्टमर उस दुकानदार से कॉन्टैक्ट करके शॉपिंग कर सकता है। वह चाहे तो सीधे उस दुकान पर जाकर खरीदी कर सकता है या ऑनलाइन अपने घर भी बुला सकता है। देवाशीष का दावा है कि उनके ऐप के जरिये एक घण्टे में प्रोडक्ट की डिलीवरी हो जाती है।

अपने रेवेन्यू को लेकर देवाशीष कहते हैं कि हम कस्टमर्स से कोई चार्ज नहीं लेते हैं। दुकानदारों को भी रजिस्ट्रेशन के लिए फीस नहीं देनी है। हम हर ट्रांजेक्शन पर एक फिक्स अमाउंट चार्ज करते हैं, जो बेहद कम होता है। इसके अलावा हमने दुकानदारों के लिए ऐडवर्टाइजिंग प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है। वे आसानी से हमारे ऐप के जरिये अपने बिजनेस का प्रमोशन कर सकते हैं। इसके लिए भी हम मिनिमम चार्ज उनसे कलेक्ट करते हैं। फिलहाल हमारा रेवेन्यू मॉडल यही है।


फिलहाल देवाशीष की टीम में 12 लोग काम करते हैं। जल्द ही वे अपनी टीम मेंबर्स की संख्या बढ़ाएंगे।

अभी देवाशीष इलेक्ट्रॉनिक और होम अप्लायंसेज को लेकर काम कर रहे हैं। उनके साथ 12 लोगों की टीम है। जल्द ही वे शहरों की भी संख्या बढ़ाने वाले हैं और ज्यादा से ज्यादा कैटेगरी भी ऐड करने वाले हैं। इसको लेकर उन्होंने प्लानिंग भी शुरू कर दी है।

अगर इस तरह के स्टार्टअप को लेकर आप भी प्लानिंग कर रहे हैं तो यह स्टोरी आपके काम की है

मान लीजिए आप किसी शहर में नए हैं, आपको अपनी लोकेशन के हिसाब से कपड़े की दुकान, मॉल, होटल या मेडिकल की जरूरत है। तो आप क्या करेंगे? आमतौर पर हम इसके लिए गूगल करते हैं। कई बार हमें जानकारी मिल जाती है, कई बार ऐसा भी होता है कि उस जगह पर मौजूद छोटी दुकानों के बारे में गूगल पर जानकारी उपलब्ध नहीं होती। इतना ही नहीं, अगर आप खुद का छोटा-मोटा बिजनेस, स्टार्टअप या दुकान चलाते हैं, लेकिन आपकी अच्छी कमाई नहीं हो पाती है, कस्टमर्स तक आपके प्रोडक्ट की जानकारी नहीं पहुंच पाती है।

इस परेशानी को दूर करने के लिए झारखंड के चाईबासा के रहने वाले सत्यजीत पटनायक ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। उनके ऐप के जरिए देश के 40 शहरों में करीब 4 हजार छोटे-बड़े बिजनेस जुड़े हैं। महज 6 महीने में ही उन्होंने 3 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया है।

साभार: दैनिक भास्कर 

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