RAJA TODARMAL - राजा टोडरमल
अग्रवंशी सेठ और अकबर के नवरत्न राजा टोडरमल अग्रवाल ने सन् 1585 में भव्य विश्वनाथ मंदिर का निर्माण काशी में करवाया था ..
भगवान विश्वनाथ का ज्योतिर्लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंग में आदिलिंग अर्थात प्रथम माना जाता है। ये अनादि काल से अस्तित्व में है। काशी विश्वनाथ के महत्व को समझाते हुए गोस्वामी जी ने राम चरित मानस में लिखा है - "बिनु छल विस्वनाथ पद नेहु, राम-भगत कर लच्छन एहू" अर्थात बिना किसी छल कपट के प्रभु विश्वनाथ के चरण कमलों में प्रीति रखना ही राम भक्त का लक्षण है।
लेकिन देश मे विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण करके इसे बार बार विखंडित किया और धर्म परायण हिंदुओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। -ऐसे ही एक घटना का जिक्र है-
आपने टोडरमल का नाम तो सुना ही होगा ये अकबर के नवरत्न थे लेकिन फिर भी अभिमानी नहीं थे और विप्रशिरोमणि गौस्वामी की रामकथा से बहुत प्रभावित थे। जब तुलसीदास जी का कुछ काशी के पंडो ने अपमान किया और ये काशी छोड़ कर जाने लगे तब टोडरमल जी ने उनके लिए काशी में एक अखाड़े का निर्माण करवाया था।
राजा टोडरमल अग्रवाल परम धार्मिक और सात्विक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। सन् पंद्रह सौ पचासी ई. में राजा टोडरमल अग्रवाल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। डॉ. एएस भट्ट ने अपनी किताब 'दान हारावली' में इसका जिक्र किया है कि टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण पंद्रह सौ पचासी में करवाया था।
एकबार तुलसीदास जी मथुरा यात्रा पर गए थे लेकिन जब वो वापस काशी लौटे तो काशी टोडरविहीन हो चुकी थी। काशी विश्वनाथ मंदिर पुनःनिर्माण करवाने की वजह से मलेच्छ इनके शत्रु हो गए थे इसी कारण इनकी हत्या कर दी गयी थी। टोडरमल जी ऐसे मानव रत्न हैं लेकिन इनका जिक्र आज बहुत कम सुनाई देता है।
साभार: राष्ट्रीय अग्रवाल महासभा
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