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Monday, March 20, 2023

J K TEMPLE - KANPUR - सेठ कमलापति सिंघानिया द्वारा निर्मित कानपुर का जे.के. मंदिर

J K TEMPLE - KANPUR - सेठ कमलापति सिंघानिया द्वारा निर्मित कानपुर का जे.के. मंदिर

कानपुर के जे के मंदिर को श्री राधा कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।इस मंदिर का निर्माण 50 साल पूर्व सिंघानिया परिवार की जे.के. ट्रस्ट ने करवाया था।इस कारण इसे जे. के. मंदिर कहा जाता है।इस मंदिर को गोलूबांसी सेठ कमलापति सिंघानिया की धर्मपत्नी श्रीमती रामप्यारी देवी के कहने पर बनवाया गया था। जब उन्होंने अपने पति से इस बारे में चर्चा की तब उनके द्वारा जे. के. ट्रस्ट को इस मंदिर को बनाने का दायित्व दिया।इस मंदिर का शिलान्यास सिंघानिया परिवार के सुपुत्री श्री पद्मावती सिंघानिया के द्वारा समिति श्रावण शुक्ल 8 विक्रमी संवत 1668 दिनांक गुरुवार 25 जुलाई सन 1942 को शाम 7:26 पर किया गया।

इस मंदिर में स्थापित सभी मूर्तियों को अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा स्थापित कराया गया है।मंदिर की प्रमुख मूर्ति श्री राधा कृष्ण जी की है।इसकी प्रतिष्ठा श्रीमती राम प्यारी देवी जी के द्वारा ही कराई गई थी।इस मंदिर की छत बहुत ऊंची है,जिससे हवा और प्रकाश आसानी से आ जा सकता है।इस मंदिर का निर्माण सन 1953 में हो गया था,लेकिन जनता के लिए यह मंदिर सन 1960 में खोला गया।सन 2010 में इसकी 50 वीं सालगिरह भी मनाई गई थी।




पंच तत्वों का सही सयोंजन
मंदिर का निर्माण पंचतत्व की सही क्रम से किया गया है।यह पंचतत्व पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु और आकाश है।मंदिर के मुख्य द्वार से राधा कृष्ण साफ नजर आते हैं।ऐसा माना जाता है, कि मुख्य द्वार प्रथ्वी को प्रदर्शित करता है।इसके बाद आता है, जल तत्व मुख्य द्वार से थोड़ी दूर चलते ही जैसे ही आप आगे बढ़ेंगे तो शानदार फव्वारा आपका मन प्रसन्न कर देगा।

जल तत्व के बाद अग्नि तत्व का स्थान आता है, मंदिर में थोड़ा घूमने के बाद आप जैसी ही मंदिर की सीढ़ियां आगे चलेंगे तो आपको यज्ञ आदि के लिए स्थान नजर आएगा यह स्थान अग्नि तत्व को प्रदर्शित करता है।इसके बाद जब आप मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको एक बहुत बड़ा शानदार हॉल नजर आएगा यह हॉल मंदिर में वायु तत्व का प्रदर्शक है।मंदिर की इस विशाल हॉल में जब आप ऊपर की तरफ देखेंगे तो एक विशाल गुंबद आपको नजर आएगा यह विशाल गुंबद आपको आकाश तत्व की अनुभूति कराता है।इन सभी तत्वों को देख कर आपको सभी तत्वों का एक सही क्रम में प्रयोग किया जाना प्रदर्शित होगा।

दिशाओं का सही सयोंजन
मंदिर के शिखर के ठीक नीचे राधा कृष्ण जी की एक शानदार मूर्ति विराजमान है।कानपुर गंगा तट पर बसा है, कानपुर की सड़कों के समांतर बने भवनों का मुख्य मुख्य रूप से उत्तर पूर्व दिशा की ओर है।इन मकानों का 2 दिशाओं में होने के कारण जब इन मकानों की खिड़की से जे. के. मंदिर को देखा जाता है, तो वह थोड़ा तिरछा नजर आता है।जे. के. मंदिर का निर्माण सभी दिशाओं को सीध में रखकर किया गया है,अर्थात पूरब,पश्चिम,उत्तर और दक्षिण सभी दिशाएं अलग अलग है।कहीं भी दो दिशाएं एक साथ नहीं मिलती।
जे. के. मंदिर का मुख पूरी तरह से पूर्व दिशा की तरफ है, मंदिर में स्थित राधा कृष्ण की मूर्ति मंदिर के केंद्र में स्थापित की गई है और राधा कृष्ण की मूर्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर है।मूर्ति के ठीक पीछे पश्चिम दिशा, बाएं हाथ पर उत्तर और दाहिने हाथ पर दक्षिण दिशा है।इस मंदिर कि बनावट के कारण यहां पर अपार सकारात्मक ऊर्जा हमेशा बनी रहती है।

मंदिर परिसर
इस मंदिर में प्रमुख हिंदू देवी देवताओं को समर्पित पांच मंदिर है,जिसमें से राधा और कृष्ण का मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा अन्य चार मंदिर हनुमान जी, लक्ष्मीनारायण, अर्धनारीश्वर और नर्मदेश्वर को समर्पित है।श्री राधा कृष्ण मंदिर एक शानदार पार्क और झील के पास स्थित है।रात में मंदिर पूर्ण तरीके से रोशनी से नहा जाता है और रोशनी के कारण झील के पानी में मंदिर का एक सुहावना दृश्य प्रस्तुत होता है।

श्री राधा कृष्ण जी के मंदिर में जन्माष्टमी के दिन अत्यधिक मात्रा में श्रद्धालुओं का आना जाना रहता है। कानपुर स्थित जे के टेंपल प्रत्येक दिन सुबह 5:00 बजे से 12:00 बजे तक और शाम 4:00 से 10:00 बजे तक खुला रहता है।जन्माष्टमी के दिन हिंदू मान्यता के अनुसार कृष्ण का जन्म हुआ था, इस दिन जे. के. मंदिर में एक मेले का आयोजन किया जाता है।इस मेले के दौरान भारतवर्ष से लोग यहां घूमने आते हैं‌।

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