AYODHYAVASI VAISHYA
भगवान श्रीराम के समय अयोध्या नगर निवासी वैश्य कर्म मेँ प्रवृत्त लोग उनके वनवास जाते समय मोहवश उनके साथ निकल पीछे पीछे चल पड़े और उनके यात्रा मार्ग मेँ उनके आग्रह पूर्वक भेजे जाने पर वहीं उनकी प्रतीक्षा मेँ रहे, फिर कुछ समय बाद ज़ब भरत जी उनको वापस लौटाने का आग्रह करने निकले तो भी सभी प्रजा जन उनके साथ चल पड़े, ये सारे लोग चित्रकूट तक गए, वहाँ भरत जी एवम राम जी की भेंट हुयी, प्रभु श्रीराम रात्रि मेँ सभी को सोता छोड़ आगे बढ़ गए, भरत जी प्रभु की चरण पादुका लेकर वापस आ गए लेकिन काफ़ी प्रजाजन वहीं प्रभु को ढूंढ़ते और लौटा ले जाने की आशा से रुक आस पास उन्हें ढूंढ़ते रहे.. और वहीं रुक गए की ज़ब प्रभु मिल जायेंगे तो उन्हें मना कर ले जायेंगे.. लेकिन श्रीराम जी वहाँ से आगे गहन वन मेँ आगे बढ़ते गए.. वापसी मेँ भी वे पुष्पक विमान से अयोध्या पहुँच गए.. चित्रकूट और आस पास प्रतीक्षा करते रुके लोग चौदह वर्ष बाद ही ज़ब श्रीराम जी वापस आएंगे तब उनके साथ ही वापस अयोध्या जायेंगे यह सोच रुके रह गए और वहीं आस पास बस गए.. ये लोग वहीं जंगली उत्पाद हर्र , बहेड़ा , आंवला, क़ृषि उत्पाद , ग्रामीणों द्वारा बुने कपडे,बर्तन , सर्राफा, अनाज आदि का व्यापर करने लगे.. अपना परिचय ये अयोध्यावासी वैश्य के रूप मेँ देते,
आज भी चित्रकूट, बाँदा , अयोध्या और हमीरपुर, मौदहा से बाँदा तक ही सर्वाधिक अयोध्यवासी वैश्य हैं, उनकी अधिकतम संख्या प्रभु श्रीराम के यात्रा मार्ग मेँ ही हैं, महाराष्ट्र मेँ नागपुर के आगे फिर तत्कालीन द्रविड़ संस्कृति का क्षेत्र था जो भाषा आचार विचार के कारण इधर के लोगो से बिल्कुल भिन्न था, उनके बीच उत्तर भारत के लोग समन्वय नहीं बना सके तभी उधर अधिक लोग नहीं हैं फिर जहाँ जो लोग थे वे रोजगार, व्यापार आदि के कारण इधर उधर बस्ते रहे लेकिन अपना परिचय वे अयोध्यावासी वैश्य के रूप मेँ देते रहे, आज भी सारे विश्व मेँ फैले अयोध्यावासी वैश्य अपने आराध्य के रूप मेँ एकमात्र प्रभु श्रीराम को ही मानते हैं, इनके द्वारा बनवाये लगभग सारे ही मन्दिरों मेँ प्रमुख रूप से श्रीराम जानकी हनुमान जी के ही विग्रह स्थापित हैं, ये मन्दिर श्रीराम जानकी मन्दिर कहलाते हैं,
अयोध्यावासी वैश्यों मेँ surname के रूप मेँ प्रमुख रूप से.. गुप्ता ,, मोदी , रुपवाल , बघेल, अवधवाल, वाणी , वणिक, परदेशी , कश्यप , कौशल, चूड़ी वाले , बस्ता वाले , अवधिया स्वर्णकार , सोनी ,आदि शब्द प्रचलित हैं, कुछ लोग प्रभु श्रीराम की ख्याति कौशल पति के रूप मेँ होने के कारण अपना गौत्र कश्यप की जगह कौशल भी बताते हैं..
अयोध्यावासी वैश्य
गौत्र.. कश्यप
कुरी... चौरासी (84)
अखिल भारतीय श्री अयोध्यावासी वैश्य महासभा
डॉ. विनोद गुप्ता (निवर्तमान अध्यक्ष...
नया चुनाव अभी नहीं हुआ )
कार्यालय.. महामंत्री का निवास ही कार्यालय होता हैं.. स्थाई कार्यालय नहीं हैं
महामंत्री ऐड. अरुण गुप्ता
निवासी..01 सिविल लाइन्स, एटा, उ. प्र.
अनुमानित आबादी.. लगभग 30 लाख
उ. प्र., मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र मेँ मुख्य अधिकतम आबादी
अधिक आबादी वाले जिले.. बाँदा, चित्रकूट , फ़ैजाबाद , फर्रुखाबाद , मैनपुरी , बाराबंकी ( उ. प्र.)
नागपुर, अहमद नगर , वर्धा, मुम्बई ( महाराष्ट्र )
भोपाल , विदिशा , सतना, कटनी , अनूपपुर, जबलपुर , मंडला, नरसिंगपुर , बालाघाट , सिवनी , करेली , ग्वालियर , छतरपुर ( मध्य प्रदेश )
वरिष्ठ लेखक..(स्व.) जस्टिस गुलाब गुप्ता ,( स्व.) कमल भैया (सम्पादक -मंगल तारा ), श्री बाबूलाल जी गुप्त बाँदा,डॉ. एस. के. दास, विजय शंकर कौशल, सिद्ध गोपाल गुप्त, श्रीहरि वाणी (सम्पादक - वैश्य परिवार एवम रचयिता - दूर देश से आते आखर..)
पत्रिकाएं..अयोध्यावासी वैश्य समाचार - सम्पादक - श्रीहरि वाणी एवम विजयशंकर कौशल
आजादी के आंदोलन मेँ योगदान.. स्व. नारायण काशीनाथ परदेशी राहुरी , स्व. बाबूलाल जी वाणी, आदि अनेक
राजनीति मेँ भागीदारी..
आचार्य रामदेव वैश्य, पूर्व विधायक - रुदौली - बाराबंकी, द्वारिका प्रसाद गुप्ता, पूर्व विधायक - बैकुंठपुर - सरगुजा, स्व. बादशाह गुप्ता, विधायक - मैनपुरी , न्यायमूर्ति गुलाब गुप्ता हिमांचल उच्च न्यायालय, प्रवीण चन्द्र गुप्ता पी सी एस, डॉ. हरिओम IAS, आचार्य शिवप्रसाद जी गुप्ता, ज्ञान चंद्र गुप्ता, इलाहबाद उच्च न्यायालय, रमेश चंद्र गुप्ता, सेवा निवृत्त न्यायाधीश, मदन चंद्र गुप्ता.. सेवानिवृत्त न्यायाधीश, के. सी. गुप्ता, अनेक और महानुभावो के नाम स्मरण मेँ नहीं आ पा रहे हैं,
SABHAR : श्रीहरि वाणी
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