GANERIWAL FAMILY - गनेड़ीवाल घराना
गनेड़ीवाला परिवार एक मारवाड़ी सेठ घराना है, जो राजस्थान के वित्तीय, सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ा है।1800 के अंत में उनका प्रभाव कोषाध्यक्षों, व्यापारियों और फाइनेंसरों के रूप में बढ़ा, उनके राजस्थान के शाही परिवारों के साथ घनिष्ठ संबंध थे। गनेड़ीवाला परिवार के सदस्यों ने राजस्थान में विभिन्न हिंदू मंदिरों और भव्य हवेली का निर्माण करवाया जो की राजस्थान के पारंपरिक मारवाड़ी घरानों की विशेषता है।
राजा बलदेव दास बिड़ला के दादा शोभाराम बिड़ला ने गनेड़ीवाल परिवार के साथ काम किया, इससे पहले कि बिड़ला भारत के प्रमुख उद्योगपतियों के रूप में उभरे।
छत्रपति शिवाजी महाराज गनेड़ीवालो की हवेली में अक्सर आया करते थे। उनके गनेड़ीवालों के साथ घनिष्ठ संबंध थे। 1800 में, सेठ पूरनमल गनेड़ीवाल (गनेड़ीवाल परिवार की एक शाखा) हैदराबाद के निज़ाम के कोषाध्यक्ष और फाइनेन्सर बन गए। यह बाकी परिवार के लिए स्वीकार्य नहीं था जो मानते थे कि उनके परिवार का हिन्दू राजघराने सी ही जुड़े रहना उनके कर्तव्यों में था। हालांकि सेठ पूरनमल गनेड़ीवाल अपनी हिंदू जड़ों से जुड़े रहे और हैदराबाद के सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक का निर्माण किया - सीताराम बाग मंदिर।
गनेड़ीवाल परिवार ट्रस्टों ने 1800 के दशक से मंदिर, स्कूल, कुएँ और धर्मशालाएँ का निर्माण करवाया। सेठ पूरनचंद गनेड़ीवाल ने 1830 में हैदराबद के सीताराम बाग मंदिर का निर्माण करवाया था, 1850 में उन्होंने ही पुष्कर के रंगजी नाथ मंदिर का निर्माण करवाया। लक्ष्मणगढ़ का मोड़ी विश्वविद्यालय गनेड़ीवाला परिवार द्वारा दान की गई भूमि पर बनाया गया है। सीताराम बाग मंदिर 25 एकड़ में फैला है और इसे एक विरासत संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नासिक में सेठ राम दत्त गनेड़ीवाल श्री रघुनाथजी मंदिर को 120 एकड़ भूमि में फैला हुआ है की माँ ने दान किया था। गीता वाटिका गोरखापुर जिसे गीता गार्डन के रूप में भी जाना जाता है, सेठ जयदयाल गनेड़ीवाल द्वारा दान की गई भूमि पर बनाया गया था। गनेड़ीवाल परिवार की हवेलियाँ फतेहपुर, मुकुंदगढ़, लक्ष्मणगढ़, रतनगढ़ में है । चार चौक की हवेली शेखावाटी की सबसे बड़ी हवेली है, जिसके मालिक गनेड़ीवाल परिवार की शाखा से हैं। गनेड़ीवाल परिवार द्वारा बनवाये गए मंदिर रतनगढ़, मुकुंदगढ़, फतेहपुर, सिरसा, गनेरी आदि जगहों पर हैं।
लेख साभार: नरसिंह सेना
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