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Friday, April 22, 2022

NAMAMI BANSAL - IAS

NAMAMI BANSAL - IAS 

एक मामूली से बर्तन दुकानदार की बेटी बिना कोचिंग के बनी IAS अफसर


आप सभी जानते है जीवन का दूसरा नाम संघर्ष होता है। ज़िन्दगी में सफलता उसके ही हाथ लगती है जो संघर्षो से लड़ कर खुद को चमकाता है। जिसने सघर्षो से लड़ना सिख लिया मानो उसने जीवन में कामयाबी को जीत लिया। अगर कोई भी इन्सान मेहनत करे तो वह हर नामुमकिन काम को मुमकिन बना सकता है। मेहनत करने वालो की कभी भी हार नहीं होती है, वह हमेशा ही पराजय होते है। ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है यूपीएससी टोपर नमामि बंसल ने। जिन्होंने साल 2017 में सफलता हासिल कर यूपीएससी क्रैक किया है। आज हम अपने इस पोस्ट के ज़रिये नमामि बंसल के संघर्षो के बारे में बताने जा रहे है। जिन्होंने अपने संघर्ष से लड़ कर जीत हासिल की है। और साल 2017 में उत्तराखंड यूपीएससी टॉपर हुई है। जिसकी कहानी युवाओ के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है।


दरअसल, लाजपत राय मार्ग ऋषिकेश निवासी राज कुमार बंसल यानि नमामि बंसल के पिता को एक दिन अचानक से फोन आया कि उनकी बेटी आईएएस की परीक्षा में सफल हो गई है। यह खबर सुनते ही उनके पिता खुशी झूम उठे। मानो जैसे उनके ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। बता दे नमामि बंसल के पिता राज कुमार बंसल का ऋषिकेश में एक बर्तन की दुकान है। आपको बता दे नमामि ने अपनी प्राथमिक स्तर से लेकर इंटर तक की शिक्षा एनडीएस गुमानीवाला से की है। जिन्होंने दसवीं के परीक्षा में 92.4 और इंटर में 94.8 अंक हासिल करके स्कूल के साथ-साथ ऋषिकेश का नाम भी रोशन किया है। उनके माँ बाप को हमेशा से ही उन पर गर्व रहता था। उन्होंने कभी भी अपने माता पिता का सर नहीं झुकाया और हमेशा से ही सफलता पाती रही।


बताते चले नमामि फिलहाल दिल्ली में सेंट्रल डिप्यूटेशन पर कार्यरत हैं। आपको बता दे उन्होंने बीए अर्थशास्त्र ऑनर्स लेडी श्री राम कॉलेज दिल्ली व एमए ओपन यूनिवर्सिटी हल्द्वानी से अर्थशास्त्र विषय से किया है। इतना ही नहीं, एमए में ओपन यूनिवरसिटी की टॉपर रही, और उनको राज्यपाल केके पॉल ने 17 अप्रैल 2017 में गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया था। आगे नमामि बताती है कि इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्होंने किसी भी तरह का कोचिंग ज्वाइन नहीं किया था। उन्होंने अपने विषयों की तैयारी इंटरनेट के द्वारा ही की थी, और परीक्षा को पास भी करके दिखाया। आगे वह बताती है कि इंटरनेट पर सारी जानकारियां उपलब्ध होती हैं। जिससे छात्र इससे मदद ले कर पूरी पढ़ाई कर सकते है, और अपना मुकाम हासिल कर सकते है।

इतना ही नहीं वह बालिका शिक्षा के साथ ही पहाड़ों से होने वाले पलायन को रोकने के लिए प्राथमिकता से काम करेंगी। नमामि की मां शरिता बंसल व भाई विभू बंसल ने बताया कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी गर्व की बात है। उनकी माता ने कहा कि यह हमारी जिंदगी का सबसे बड़ी खुशी का दिन है, साथ ही साथ उनकी मां ने यह भी बताया कि उनकी बेटी नमामि अपनी पढ़ाई व तैयारी के साथ घर के सभी कामों में उनका हाथ बांटती थी। बता दे नमामि बंसल ने बतौर आईएएस अधिकारी कैडर के लिए पहली पसंद अपना गृह राज्य उत्तराखंड चुना और दूसरा विकल्प राजस्थान। इन दोनों राज्यों को चुनने के पीछे का कारण यह है कि इन दोनों ही राज्यों में नमामि की पसंद के कई विषय हैं। जिन पर वो बतौर नौकरशाह काम करना चाहती थी। नमामि के अनुसार उत्तराखंड उनका अपना राज्य है, यहां की समस्याओं और संसाधनों से वो अच्छी तरह से वाकिफ हैं।

आगे कहती है कि उत्तराखंड पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील भू-भाग है। उत्तराखंड ने पर्यावरण से छेड़छाड़ की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। हाल की आपदाएं इसका उदाहरण हैं। लेकिन यह भी सच है कि हमें विकास कार्यक्रमों को भी जारी रखना है। इसलिए विकास और पर्यावरण के बीच हमें संतुलन साधना सीखना होगा।

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