RADHACHARAN SETH - किस्मत हो तो राधाचरण सेठ जैसी, मिठाई दुकानदार से MLC का सफर
आरा : राधाचरण सेठ दूसरी बार एमएलसी का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। आरा-बक्सर स्थानीय प्राधिकार के बिहार विधान परिषद के चुनाव में जीत मिली। आरजेडी के सम्राट अनिल को एक हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिए। राधाचरण के सेठ बनने और फिर सेठजी से नेता बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। आरा शहर में तो कई लोग कहते हैं कि किस्मत हो तो राधाचरण सेठ जैसी। वैसे इनकी कामयाबी की सबसे बड़ी वजह इनका मिलनसार स्वभाव भी है। राधाचरण की खासियत है कि वो कभी भी कसी से उखड़कर बात नहीं करते हैं, चाहे वो मसला जैसा भी हो।
भोजपुर-बक्सर से दोबारा एमएलसी बने राधाचरण सेठ
आरा रेलवे स्टेशन पर राधाचरण सेठ मिठाई की दुकान चलाते थे। पढ़ाई-लिखाई इतनी है कि रुपए पहचान जाते हैं और अपना नाम पता लिख लेते हैं। मिठाई दुकान चलाते-चलाते राधाचरण सेठ एक दिन होटल के मालिक हो गए। फिर जमीन और रियल एस्टेट के बिजनेस में उतर गए। नया-नया बालू का ठेका सरकार ने देना शुरू किया तो राधाचरण ने वहां भी बाजी मार ली। इसके बाद तो राधाचरण सेठ ने नोट पीट डाला। बिहार में आमतौर पर दौलत कमाने के बाद आदमी शोहरत की चाहत रखता है। राधाचरण सेठ भी कहां मानने वाले थे। 2015 विधान परिषद चुनाव में आरा-बक्सर सीट से आरजेडी का टिकट लेकर राधाचरण ने सबको चौंका दिया। भोजपुर-रोहतास के बाहुबली विधायक माने जानेवाले सुनील पाण्डेय के भाई हुलास पाण्डेय को हराकर राधाचरण सेठ ने सियासत में एंट्री मारी। अब तो राधाचरण सेठ की पहचान भोजपुर के प्रतिष्ठित नेताओं में होती है।
SABHAR: NAVBHARAT TIMES
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