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Tuesday, June 21, 2022

"धर्मस्य मूलं अर्थः" - THE GREAT VAISHYA

"धर्मस्य मूलं अर्थः" - THE GREAT VAISHYA

वैश्य किसी भी सभ्य राष्ट्र और उसकी समृद्धि का आधार होते हैं। आज भले ही भारत के वामपंथी धनिकों के प्रति नफरत फैलाते हैं पर क्या वैश्यों के बिना आज हमारे वर्तमान भारत की कल्पना संभव थी?
भारत की परंपरा सदैव लक्ष्मी नारायण की पूजा की रही है.... दरिद्र नारायण या गरीबी में भगवान का कांसेप्ट गांधी पता नहीं कहा से ले आये थे? लक्ष्मी के बिना तो नारायण भी अधूरे हैं...
देश का गौरव अंतरिक्ष संस्थान एक वैश्य विक्रम साराभाई की देन है तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भी प्रेमचंद रॉयचंद की देन जो कि ओसवाल वैश्य हैं। भरतवंशियों द्वारा संचालित प्रथम बैंक देने वाले अग्रवाल नवरत्न लाला लाजपत राय थे। देश का प्रथम रोबोट बनाने वाले दिवाकर वैश्य थे। देश मे नवरत्न कंपनिया (सिंघानिया, बजाज, डालमिया, मित्तल, जिंदल, रुइया बिड़ला आदि से लेकर ओला, ओयो, जोमाटो आदि) बनाने वाले वैश्य हैं और भारत की अर्थव्यवस्था वैश्यों के ही कंधो पर टिकी हुई है... यह बात प्राचीन काल से भारत के नीतिनिर्माण करने वाले और राजन्य वर्ग समझता रहा है। लोग कहते हैं कॉरपोरेट्स की सत्ता से सांठ गाठ है लेकिन नहीं देश के सत्तावर्ग को हमारी जरूरत है.. आज ही नहीं बल्कि पुराप्राचीन भारत से भी थी...
भामाशाह और महाराणा प्रताप की जोड़ी विश्व प्रसिद्द है.. राजपूताने में सेठों को विशेष आदर सत्कार प्राप्त था तो पंजाब में भी राजा रंजीत सिंह ने अग्रवालों और जैनों को अमृतसर में बुलाकर बसाया था ताकि अमृतसर भी लाहौर जैसी समृध्दि प्राप्त कर सके... गांधी को भी बिड़ला और बजाज की जरूरत पड़ी थी।
अखंड भारत की कल्पना को साकार करने वाले आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति सूत्र के पहले ही अध्याय में कहा है -
धनिकःश्रोत्रियोराजानदवैिद्यस्तुपंचमः ॥
पंचयत्रनविद्यतेन तत्रदिवसंवसेत् ॥ ९ ॥
अर्थात - घनिक, वेदकाज्ञाता-ब्राह्मण, राजा, नदी, और पांचवां वैद्य ये पांच जहां विद्यमान नर नहीं हैं तहां एकदिनभी वास नहीं करना चाहिये ॥ ९ ॥
चाणक्य ने कहा है धर्मस्य मूलं अर्थः और अशोक सिंघल से लेकर कोठारी बंधुओं और सीताराम गोयल से लेकर बिड़ला परिवार तक वैश्यों ने इसे सिद्ध भी किया। गौमाता के लिए रामकृष्ण डालमिया तो माँ गंगा के लिए स्वामी सानंद (जीडी अग्रवाल) ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया। हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक प्रेस बनाई तो जिन्नाह के मुस्लिम लीग के विरोध में लाला लाजपत राय जी ने पंजाबी हिन्दू महासभा बनाई...
यही बात भीष्म पितामह भी महाभारत में कहते हैं -
राजा को चाहिए कि वह देश के धनी व्यक्तियों का सदा भोजन-वस्त्र और अन्नपान आदि के द्वारा आदर सत्कार करे और उनसे विनयपूर्वक कहे, 'आपलोग मेरे सहित मेरी इन प्रजाओं पर कृपादृष्टि रखें। भरतनंदन ! धनी लोग राष्ट्र के मुख्य अंग हैं। धनवान पुरुष समस्त प्राणियों में प्रधान होता है, इसमें संशय नहीं है।
(सोर्स - महाभारत, शांति पर्व , राजधर्मानुशासन पर्व के 88 वें अध्याय के श्लोक 29-31)
आज भले ही नेता नगरी अपनी राजनीति चमकाने के लिए अम्बानी अडानी करें लेकिन कुछ दिन पूर्व ही शरद पवार अडानी का मंच पर सम्मान करते हुए दिखे थे और कुछ माह पूर्व ही ममता बनर्जी भी अडानी के साथ उनके राज्य में निवेश करने की वार्ता के लिए देखीं गयी थीं।
SABHAR- प्रखर अग्रवाल

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