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Friday, July 15, 2022

मारवाड़ के बनिये कभी नही बदले

मारवाड़ के बनिये कभी नही बदले

सभी को बदलते हुए देखा है मैंने; बस मारवाड़ के बनिये कभी नही बदले। सब जातियों में यहां कन्वर्टेड भी मिल जाएंगे। सिंध, अमरकोट, बलूचिस्तान से आए हुए लोग भी। लेकिन मारवाड़ी बनियो में नही मिलता कोई। आज भी कराची में मोहता परिवार की छूटी हुई हवेली गवाह है इस बात की।

इसलिए उनके प्रति मेरा सम्मान बहुत अधिक है। ये मेरे निजी अध्ययन है की क्यों एक व्यापार में इतने सफल होते हैं:-
1) वो बचपन से व्यापार में हाथ बढ़ाना शुरू कर देते है
2) अधिकांश लड़के लड़कियां CA, ईकोनोमिक्स, कॉमर्स लेते हैं। ये पढ़ाई में रुचि कम लेते है और व्यापार में अधिक। सभी कम उम्र के लड़के अपनी दुकानों पर जाकर ज़रूर बैठते हैं। आज के टाइम भी सबसे अधिक स्टार्ट अप इनके ही हैं।
3) लड़ाई झगड़ा बिल्कुल नही करते, अगर कहीं लड़ाई का माहौल दिखे तो भी साइड हो जाते है। मेंरे बैचमेट लड़के तक मुझे आकर शिकायत कर देते थे किसी मुद्दे पर,लेकिन खुद लड़ाई नही करते थे
4) लड़की को लक्ष्मी स्वरूप मानते है। घर में बेटी हो तो प्रसन्नता इतनी अधिक की व्यक्त नही कर सकते।
5) शुरू से ही नए व्यापार की बातें करते रहते है इनके लड़के, स्कूल कॉलेज से ही।
6) अन्य जातियों को स्नेह देते हैं किन्तु सबसे अधिक क्षत्रिय समाज को, क्षत्रिय लड़कियो को विशेष स्नेह देते हैं।
7) साधारण सी लाईट ऑन ऑफ करते वक्त भी जय श्री कृष्णा बोलते हैं।
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सबसे अधिक भागवत कथाएँ, मेलो जागरणों पे पैसा यही समाज खर्च करता है। ऐसा कोई तीर्थ स्थल नही होगा जहां बनिया के डोनेशन के पैसे से धर्मशाला नही बनी हुई हो।
9) बिड़ला परिवार ने सबसे सुंदर मंदिरों को निर्माण करवाया।
10) एक से बढ़कर एक जैन मंदिर बनाये गए।
11) हॉस्पिटल, स्कूल, ऐसा कोज सार्वजनिक स्थल या कार्य नही। जहां ये सामने नही आते।
12) बहुत ही सात्विक जीवन जीते हैं। भोजन शाकाहारी रहता है हमेशा। लेकिन होते चटोरे ही हैं।
13) इनकी महिलाएं बहुत ही अधिक धर्म भीरू होती है। एक एक दंतकथा, याद रहती है
14) सबसे अधिक गुप्त दान करने वाला समाज भी यही है। अपनी कमाई के एक हिस्सा ज़रूर धर्म कर्म पर लगाते हैं, नियमित तौर पर।
15) अपने जात भाईयों को कभी नीचे नही गिरने देते, व्यापार में घाटा हो तो वापस पैसा उधार देकर खड़ा कर देते हैं। ये गुण सभी समाजों को बनियो से सीखना चाहिए।
मैंने सभी जातियों में धर्म विरुद्ध बातें करते हुए लड़के लड़की देखे है मारवाड़ में। लेकिन बनिया को कभी नही। अभी चौमासे पे सबसे अधिक भागवत कथाओं का आयोजन बनिया और जैन मुनियों द्वारा उनके पंथ के बड़े कार्यक्रम होते है हमारे यहां।

लेख साभार: भारती पंवार जी

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