SETH BIHARI LAL KA MANDIR
सेठ बिहार लाल ने 160 वर्ष पहले करवाया था इस मंदिर का निर्माण, जहां अंग्रेज अपनी प्रतिमा स्थापित करवाने पर अड़ा था।
कानपुर से 60 किमी की दूरी पर स्थित घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव बुढ़वां में करीब 160 साल पुराना श्रीराधा-कृष्ण का मंदिर है।इसकी नींव अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान जमीनदार सेठ बिहारी लाल ने रखवाई थी।मंदिर की लंबाई करीब डेढ़ सौ फिट ऊंची और यहां पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बड़ा मेला लगता है।इस दिन यहां पर प्रेमी जोड़े आते हैं और श्रीराधा मां-कृष्ण के दरवार पर माथा टेक कर विवाह की मन्नत मांगते हैं।
जब जमीनदार यहां पर कुएं का निर्माण करवा रहे थे, तब जमीन के नीचे से श्रीराध-कृष्ण की मूर्ति निकली थी। उन्होंने अपने घर को तोड़ाकर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।इसकी भनक अंग्रेज जनरल हैवलॉक को हुई तो वह आ धमका और मंदिर के गुंबद पर अपनी प्रतिमा विराजमान कराने के लिए अड़ गया।अंग्रेज ने प्रतिमा गुंबद पर रखते ही वह जमीन पर गिर गई।बावजूद जनरल हैवलॉक ने नहीं माना और एक माह तक मंदिर परिसर पर डटा रहा।आखिरकार हार कर उसने श्री राधाकृष्ण से माफी मांगी और वहां से चला गया। फिर गांववालों ने वहां पर राधा मां की मूर्ति रखवाई।
जमीन से निकली थी मूर्ति
घाटमपुर और जहानाबाद के बीच स्थित बुढ़वा गांव में यह एतिहासिक श्रीराधा-कुष्ण मंदिर है।जो करीब 160 साल पुराना है।मंदिर के मंदिर श्रीराध-कुष्ण की प्रतिमा विराजमान है।यहां पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बड़ा मेला लगता है।हजारों की संख्या में भक्त मंदिर परिसर पर आकर श्रीराधा-कृष्ण के दर पर माथा टेक मन्नत मांगते हैं।पुजारी बताते हैं कि जमीनदार सेठ बिहारी लाल अपने घर के बाहर कुआं खुइवा रहे थे, तभी जमीन से करीब तीस फिट नीचे श्रीराधा-कृष्ण की मूर्ति मिली। मजदूरों ने सेठ को जाकर इसकी जानकारी दी।सेठ ने घर को ढहा कर कुएं के पास करीब डेढ़ सौ फिट ऊंचे मंदिर का निर्माण करवाया। विधि-विधान से मंदिर के अंदर श्रीराधा-कृष्ण की मूर्ति की स्थापना करवाई। गांववालों के कहने पर सेठ ने गुबंद पर बाजार से खरीदकर एक और मूर्ति मंगवाई और उसे वहां स्थापित करवाने लगा।
तभी आ धमका अंग्रेज जनरल हैवलॉक
कानपुर छावनी में जनरल हैवलॉक तैनात था।इसी दौरान क्रांतिकारियों और गोरों की फौज के बीच साढ़ नदी के पास यु़द्ध होने लगा।जानकारी मिलते ही जनरल हैवलॉक अपनी टुकटी के साथ वहां पहुंची और क्रांतिकारियों का कत्लेआम करने के बाद वह सीधे बुढ़वा गांव पहुंच गया। जनरल हैवलॉक ने सेठ को बुलवाया और मंदिर के गुंबद पर अपनी मूर्ति लगवाने को कहा।सेठ के साथ गांववालों से इसका विरोध किया तो जनरल ने सौ से ज्यादा लोगों को अरेस्ट कर घाटमपुर भिजवा दिया।जनरल हैवलॉक ने गांववालों को छोड़ने के बदल मंदिर पर अपनी प्रतिमा स्थापित करवाने की शर्त रख दी।गांववालों को अंग्रेज की बात माननी पड़ी और उसकी मूर्ति को मंदिर के गुंबद पर जैसे स्थापित करने के लिए बढ़े वैसे ही वह टूट कर जमीन पर गिर गई।पूरे एक माह तक जनरल हैवलॉक अपनी मूर्ति को गुंबद पर स्थापित करवाने के लिए जद्दोजहद करता पर कामयाबी नहीं मिली।जनरल हैवलॉक को श्रीराधाकृष्ण की शक्ति के आगे सरेंडर करने के साथ ही वहां से माफी मांगकर निकलना पड़ा।
क्रांतिकारियों की बना शरणस्थली
पुजारी ने बताया कि जनरल हैवलॉक के जाने के बाद तात्या टोपे, नान पेशवा, सैयद माल्टा सहित दर्जनों क्रांतिकारी अंग्रेज सेना से बचने के लिए मंदिर के अंदर रहते थे। इसकी जानकारी जब अंग्रेजों को हुई तो जहानाबाद के थानेदार ने मंदिर का घेराव कर लिया। क्रांतिकारियों को समर्पण के लिए कहा, पर जब अंदर से उन्होंने फायरिंग की तो सिपाही भागे। इसी की फाएदा उठाते हुए क्रांतिकारी पीछे के दरवाजे से निकल गए। कुछ देर के बाद अंग्रेज फौज आ धमकी। फौजियों ने मंदिर के अंदर जैस कदम रखा वैसे उन पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया। इस दौरान कई अंग्रेज फौजी मारे गए तो कई घायल हो गए। बदले में अंग्रेजों ने मंदिर का क्षति पहुंचाने के लिए उसमें गोले दागे, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं।
यहां टूटे रिश्ते जुड़ते हैं
मंदिर के पुजारी ने बताया कि जमीनदार की मौत के बाद उनके बेटे ने मंदिर की देखरेख की और उनके निधन के बाद अब सेठ राजाराम जी मंदिर के जीर्णोव्द्धार के लिए पैसे देते हैं। वह परिवार सेमत स्वरूप नगर में रहते हैं और एक बड़े सराफा कारोबारी हैं।पुजारी ने बताया कि यहां पर जन्माष्टमी की दिन भक्तों की अटूट भीड़ उमड़ती है। प्रेमी जोड़े दूर-दराज से आते हैं और मंदिर पर पूजा-अर्चना करने के बाद अपने विवाह की मन्नत मांगते हैं।पुजारी बताते हैं कि जिन युवतियों की शादी के बाद ससुराल पक्ष से अनमन हो जाती है तो वह यहां आकर श्रीराधा-कृष्ण के दर पर पूजा करती हैं। महज कुछ दिन के बाद ससुरालवाले झगड़ा भूलकर बहू को विदा करा ले जाते हैं। पुजारी ने बताया कि तलाकशुदा महिला-पुरूष मंदिर में आते हैं और श्रीराधा-कृष्ण में हाजिरी लगाकर मिलने की प्रार्थना करते हैं।
साभार : नरसिंह सेना
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