#SANGHI JI KA MANDIR SANGANER - संघी जी का मन्दिर
#SANGHI JI KA MANDIR SANGANER |
जय जिनेन्द्र बंधुओं, आज की भाववन्दना में चलते हैं, ऐसे मन्दिरजी में जो बना तो सात मंजिला है, पर केवल दो ही तल के दर्शन हो सकते हैं, बाकी के 5 तल भूगर्भ में यक्षों द्वारा रक्षित हैं ।
आइये दर्शन करते हैं, इस अति रहस्यमयी व अतिशयवान तीर्थ के
यह मंदिर बहुत प्राचीन है, मन्दिर का निर्माण कब हुआ इसका सही आकलन नहीं किया जा सकता, परन्तु विद्वानों के अनुसार मन्दिर का निर्माण आठवी सदी में हुआ था । मन्दिर के एक द्वार पर सम्वत् 1011 अंकित किया हुआ है ।
मन्दिर में मूल प्रतिमा आदिनाथ भगवान की है तथा इस प्रतिमा के आगे अन्य प्रतिमाओं की वेदी बनी हुई है ।
मन्दिर जी में दो गुफाऐं है, जिन्हें वर्तमान में तलघर में बदल दिया गया है। प्रथम तल पर अतिप्राचीन प्रतिमाएं विराजमान है तथा द्धितीय तल पर चौबीसी का निर्माण किया हुआ है। चौबीसी पर बडे शिखर बने हुये है । द्धितीय तल पर पाण्डुशिला का निर्माण किया हुआ है । मन्दिर जी की बाहरी दीवार पर भक्तामर स्त्रोत 48 श्लोको के शिलालेख बनाये गये है ।
मान्यता है कि मन्दिर जी कुल 7 मंजिल का बना हुआ है परन्तु अभी वर्तमान में केवल 2 ही मंजिल के ही दर्शन होते है ।
मन्दिरजी के अन्दर की दीवार पर शिलालेख है, जिस पर मन्दिर जी के इतिहास के बारें मे लिखा गया है । लोकमान्यता के अनुसार शिलालेख के पीछे एक द्धार है जिसके अन्दर से मन्दिरजी में जाया जा सकता है ।
मान्यता के अनुसार मन्दिर के तलघर में यक्षदेव द्धारा रक्षित जिन चैत्यालय हैं, जिसमें केवल बालयती तपस्वी साधु ही प्रवेश कर सकते है। तलघर में स्थित जिनबिम्बों को जनता के दर्शनार्थ आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज ने सन् 1933 में, आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज ने सन् 1971 में आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज ने सन् 1994 तथा मुनि श्री सुधासागर जी महारज सन् 1999 में लाये थे । जिन्हें समय पर पुन: तलघर में रखकर गया और तलघर के रास्ते को बन्द कर दिया गया ।
वर्ष 2017 में, पुनः जैन मुनि सुधा सागर महाराज जी - सांगानेर के ढाई सौ साल पुराने जैन मंदिर की गुफा से नागराज के बीच जाकर अलौकिक जिन बिंब प्रतिमाओं को अभिषेक के लिए निकाल कर लाए थे ।
मुनि श्री 18 साल बाद ये प्रतिमाएं निकाल कर लाएं थे । जिनमें 98 जिनबिंब और ताम्र यंत्र मिले थे,
मुनि सुधासागर महाराज तलघर में से यक्ष रक्षित जिनालय को निकालने के लिए सुबह 6:30 बजे मंदिर के तलघर के द्वार पर पहुंचे थे। उन्होंने सर्वप्रथम प्रार्थना की। फिर भूगर्भ में उतरे। उन्होंने वहां आराधना कर संकल्पबद्ध होकर 25 जून तक के लिए यक्ष-रक्षित जिन प्रतिमाओं को बाहर लाने की विधिपूर्ण की।
मुनिश्री ने गुफा का रहस्य बताते हुए कहा कि वहां पर आक्सीजन की बहुत कमी है। दल-दल भी पिछली बार की अपेक्षा अधिक मिला था। गुफा में जिस ओर पिछली बार उन्हें नागराज मिले थे, उस ओर वह नहीं गए थे । उन्होंने कहा, हमारी भी मर्यादा है। इस बार मूर्तियों के अलावा वहां मुझे बहुत सारे प्राचीन ताम्र यंत्र मिले हैं। इनके पढ़ने के बाद और रहस्यों के बारे में पता चलेगा।
मन्दिर जी में आवास, भोजनालय की सशुल्क व्यवस्था है तथा मन्दिर जी प्रांगण में ऋषभ देव ग्रंथमाला भी है, जैन धर्म से सम्बन्धित पुस्तकें व अन्य धार्मिक चिन्ह आदि लिए जा सकते है।
क्षेत्र में आवास व भोजन की व्यवस्था है ।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मन्दिर जी के दर्शन सुबह 5 बजे से 9 बजे तक
कैसे पहुंचें
सड़क: बस स्टेण्ड जयपुर 15 किमी, सांगानेर 2 किमी
रेलवे स्टेशन: जयपुर 16 किमी, सांगानेर 200 मीटर
एक बार इस आतिशय क्षेत्र के दर्शन लाभ अवश्य लेवे
जैनम जयति शासनम
SABHAR : वास्तुगुरू महेन्द्र जैन (कासलीवाल)
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।