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Tuesday, August 15, 2023

VANIYA KUL KSHATRIYA VAISHYA - .वानियाकुल_क्षत्रिय_(तमिल_तैलिक वैश्य वंशीय)

#VANIYA KUL KSHATRIYA VAISHYA - .वानियाकुल_क्षत्रिय_(तमिल_तैलिक वैश्य वंशीय)

#कुलरत्न#

#सम्राट राजेन्द्र चोल प्रथम (1014 - 1044ई.)

#(1) 36 लाख वर्ग किमी का साम्राज्य ,

#(2) 10 लाख सेना . श्रीरामचंद्र व सम्राट अशोक के बाद सबसे बड़ा भारतीयवंशी शासक था।

#(3) चोलों के भय से महमूद गजनवी कभी दक्षिण भारत नहीं आया ।

#(4) हर उगते सूरज के साथ इनके साम्राज्य का विस्तार होता था।

#(5) चौल वंश के 9वें राजा राजेन्द्र चोल सबसे महान गिने जाते है क्योंकि उन्होंने चौल साम्राज्य का विस्तार ना सिर्फ भारत में किया अपितु इसे श्रीलंका समेत मलेशिया, बर्मा, थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, सिंगापुर और मालदीप तक फैलाया।

#(6) हिन्दु धर्म को चोलों ने ही विदेशों में फैलाया और बौध्दों के प्रभाव को कम किया ।

#(7) राजेन्द्र प्रथम (1014-1044ई.) राजराज प्रथम का पुत्र एवं उत्तराधिकारी 1014 ई. में चोल राजवंश के सिंहासन पर बैठा।

#( अपने विजय अभियान के प्रारम्भ में उसने पश्चिमी चालुक्यों,पाण्ड्यों एवं चेरों को पराजित किया।

#(9) इसके बाद लगभग 1017 ई. में सिंहल (श्रीलंका) राज्य के विरुद्ध अभियान में उसने वहां के शासक महेन्द्र पंचम को परास्त कर सम्पूर्ण सिंहल राज्य को अपने अधिकार में कर लिया।

#(10) सिंहली नरेश महेन्द्र पंचम को चोल राज्य में बंदी के रूप में रखा गया। यही पर 1029 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।

#(11) सिंहल विजय के बाद राजेन्द्र चोल ने उत्तर पूर्वी भारतीय प्रदेशों को जीतने के लिए विशाल हस्ति सेना का इस्तेमाल किया।

#(12) राजेन्द्र प्रथम के सामरिक अभियानों का महत्त्वपूर्ण कारनामा था- उसकी सेनाओं का गंगा नदीपार कर कलिंग एवं बंगाल तक पहुंच जाना।

#(13) कलिंग में चोल सेनाओं ने पूर्वी गंग शासक मधुकामानव को पराजित किया। सम्भवतः इस अभियान का नेतृत्व 1022 ई. में विक्रम चोल द्वारा किया गया।

#(14) गंगा घाटी के अभियान की सफलता पर राजेन्द्र प्रथम ने 'गंगैकोण्डचोल' की उपाधि धारण की तथा इस विजय की स्मृति में कावेरी तट के निकट 'गंगैकोण्डचोल' नामक नई राजधानी का निर्माण करवाया।

#(14) उसने सिंचाई हेतु चोलगंगम नामक एक बड़े तालाब का भी निर्माण करवाया।

#(15) राजेन्द्र प्रथम ने अरब सागर स्थित सदिमन्तीक नामक द्वीप पर भी अपना अधिकार स्थापित किया। चोल शासक द्वारा यह पश्चिम का सर्वप्रथम अभियान था।

#(16) श्रीलंका को विजित कर राजेन्द्र ने पाण्ड्य तथा चेरों को परास्त किया।

#(17) इन राज्यों पर अधिकार करने के पश्चात् राजेन्द्र चोल ने अपने पुत्र राजाधिराज प्रथम को पाण्ड्य प्रदेश का वायसराय (महामण्डलेश्वर) नियुक्त किया तथा उसे चोल पाण्ड्य की उपाधि दी।

#(17) राजेन्द्र प्रथम की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विजय 1025 ई. कडारम के श्रीविजय साम्राज्य के विरुद्ध थी।

#(18) राजेन्द्र प्रथम द्वारा बंगाल पर आक्रमण निश्चित रूप् से तमिल प्रदेश द्वारा प्रथम सैनिक अभियान था।

#(19) राजेन्द्र प्रथम ने श्री विजय शासक विजयोत्तुंगवर्मन को पराजित कर जावा,सुमात्रा एवं मलया प्रायद्वीप पर अधिकार कर लिया।

#(20) उसने 'गंगैकोण्डचोल', 'वीर राजेन्द्र', 'मुडिगोंडचोल' आदि उपाधियाँ धारण की थीं।

#(21) महान विद्याप्रेमी होने के कारण ही उसने पंडित चोल की उपाधि ग्रहण की। उसने दो बार अपना दूतमंडल भी चीन में भेजा था।

#(22) उत्तरी भारत की विजय यात्रा में जिन राज्यों को राजेन्द्र ने आक्रान्त किया, उनमें कलिंग, दक्षिण कोशल, दण्डभुक्ति (बालासोर और मिदनापुर) राढ, पूर्वी बंगाल और गौढ़ के नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय है।

#(23) उत्तर-पूर्वी भारत में इस समय पालवंशी राजा महीपाल का शासन था। राजेन्द्र ने उसे पराजित किया, और गंगा नदी के तट पर पहुँचकर 'गगैकोंण्ड' की उपाधि धारण की।

इस अभियान का कारण अभिलेखों के अनुसार गंगाजल प्राप्त करना था। यह भी ज्ञात होता है कि पराजित राजाओं को यह जल अपने सिरों पर ढोना पड़ा था।

#(24) उत्तरी भारत में स्थायी रूप से शासन करने का प्रयास राजेन्द्र चोल ने नहीं किया।

#(25) अपने साम्राज्य का विस्तार कर चोल राज्य ने समुद्र पार भी अनेक आक्रमण किए, और पेगू (बरमा) के राज्य को जीत लिया।

#(26) निःसन्देह, राजेन्द्र प्रथम अनुपम वीर और विजेता था। उसकी शक्ति केवल स्थल में ही प्रकट नहीं हुई, नौ-सेना द्वारा उसने समुद्र पार भी विजय यात्राएँ कीं।

#(27) उसके बाद के चोलों का शासन काल 1070 A D से 1279 A D तक रहा | इस समय तक, चोल साम्राज्य ने शिखर को प्राप्त किया और विश्व का सबसे शक्तिशाली देश बन गया |

#(28) चोलाओं ने दक्षिण पूर्व एशियन देश पर कब्ज़ा कर लिया और उस समय इनके पास विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना व जलसेना था।

#(29) संघ की द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल (एबीकेएम) की बैठक में सम्राट राजेंद्र चोल के राज्याभिषेक (1014 -2014) की 1,000 वीं वर्षगांठ पर एक साल तक जश्न मनाने की घोषणा की गई थी और मनाया भी गया।

#(30) बीजेपी की तमिलनाडु यूनिट की प्रेसिडेंट तमिलिसई सौंदर्याराजन के अनुसार राजेंद्र चोल को चुनने का आधार उनका तमिलों में वीर योद्धा का दर्जा होना ही नहीं है, जिन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया के ज्यादातर हिस्से को जीता था, बल्कि यह राज्य की विभाजनकारी राजनीति से ऊपर उठकर धार्मिक सोच रखने वाले लोगों की बात करना है। उन्होंने कहा, 'वह केवल तमिल राजा और राज्य का गौरव नहीं थे, उनका जश्न मनाना द्रविड़ राजनीति के इस चलन के खिलाफ जाना है कि केवल द्रविड़ सोच वाले लोगों को महत्व देना चाहिए और धार्मिक सोच रखने वालों सहित अन्य लोगों को पीछे धकेल देना चाहिए।'

#(31) भारतीय नौसेना ने प्राचीन राजा राजेन्द्र चोल के राज्याभिषेक की 1000वीं वर्षगांठ मनाने की घोषणा 3 नवंबर 2014 को की थी ।

तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैय्या ने चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट के प्रांगण से नागापट्टनम के लिए एक जहाज को रवाना किया. यह चोल के नौसेना की उपलब्धियों का प्रतीक होगा. नागापट्टनम को राजेंद्र चोल के नौसेना के एक नौसैनिक अड्डों में से माना जाता रहा है.

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विशाल जीवंत चोल मंदिर:

1.तंजावुर स्थित बृहदीश्वर मंदिर - राजाराज चोल ने बृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया। विश्व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़े से बनें हैं यह भव्य मंदिर राजा राज चोल के राज्य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।

2.गंगईकोंडाचोलेश्वरम मंदिर .

3.दारासुरम स्थित ऐरावतेश्वर मंदिर,
तमिलनाडु

4. ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार पुरी के वर्तमान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण वीर राजेन्द्र चोल के पौत्र और कङ्क्षलग के शासक अनंतवर्मन चोड्गंग (1078-1148) ने करवाया था। 1174 में राजा आनंग भीम देव ने इस मंदिर का विस्तार किया जिसमें 14 वर्ष लगे।

यह 4लाख वर्ग फीट में फैला हैं।

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