AGRAWAL REVOLUTIONARY - स्वतंत्रता संग्राम में अग्रवाल सेठों का योगदान
"तलवारों पर जिस्म वार दिए, अंगारों पर जिस्म जलाया है..
तब जाकर कहीं हमने, अग्रवंश का ध्वज फैराया है.."
सेठ रामजीदास गुड़वाला - 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के भामाशाह... इन्होंने अपनी अरबों की दौलत 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ लगा दी थी.. 1857 की क्रांति में अंग्रेजों ने भारतीयों को परास्त करने के बाद सेठ जी को जंगली कुत्तों के आगे छुड़वा दिया था और अंत मे उसी घायल अवस्था मे फांसी पर लटका दिया..
सेठ हुकुमचंद अग्रवाल जैन - सेठ हुकुमचंद हिसार के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने हरयाणा में 1857 में क्रांति का बिगुल बजाया था। अंग्रेजों ने 1857 के दमन के पश्च्यात इन्हें इन्ही के घर के आगे इनके भाई फकीर चंद के साथ फांसी पर लटका दिया था और इनकी अकूत संपत्ति लूट ली थी.
लाला झंकुमल सिंघल - 1857 की क्रांति में जब गौहत्या को लेकर अंग्रेजों के खिलाफ बजे बिगुल की आग मेरठ के धौलाना ग्राम में पहुंची तब धौलाना के लाला झनकूमल सिंघल ने एप 13 राजपूत साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। जिसके बाद इन 14 वीरों को फांसी पर लटका दिया गया। आज उनकी स्मृति में उनके गांव धौलाना में विजय स्मारक बना है
मास्टर अमीर चंद - इनका जन्म दिल्ली के प्रसिद्ध अग्रवल परिवार में हुआ था। ये अंग्रेजों के खिलाफ "आकाश" पत्रिका निकाला था। 23 सितंबर 1912 को दिल्ली के चांदनीचौक पर इनके दल ने ब्रिटिश अफसर वाइसराय की शोभायात्रा पर बम विस्फोट किया। बम विस्फोट के बाद मास्टर जी ने 'लिबर्टी नाम का इश्तिहार निकाला। इसमें उन्होंने लिखा कि - "हम भारतीय अंग्रेजों के मुकाबले बड़ी संख्या में हैं हम इनसे डरने के बजाए इनकी तोपखाने और बंदूके सब छीन सकते हैं। केवल क्रांति ही उपाय है भारत को स्वतंत्र करवाने का।" 19 फरवरी 1914, में मास्टर जी को गिरफ्तार कर लिया गया और मास्टर जी हंसते हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए।
लाला लाजपत राय - अंग्रेजों के खिलाफ सबसे बुलंद स्वर में आंदोलन चलाने वाली तिकड़ी लाल-बाल-पाल के लाल लाला लाजपत जी ने साइमन कमीशन के खिलाफ आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया और राष्ट्र पर अपने प्राणों का उत्सर्ग किया
दिनेश-बादल-विनय - बंगाल के लाल-बाल-पाल के नाम से मशहूर दिनेश-बादल-विनय की तिगड़ी ने अंग्रेजों पर अत्याचार करने वाले सिम्पसन को गोली से उड़ा दिया था जिसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जमनालाल बजाज - आजादी के दीवानों में अग्रवाल समाज के सेठ जमनालाल बजाज का नाम अग्रणी रूप में लिया जाना चाहिए !!
यह रहते महात्मागांधी के साथ थे, लेकिन मदद गरमदल वालो की करते थे ! जिससे हथियार आदि खरीदने में कोई परेशानी नही हो !!
इनसे किसी ने एक बार पूछा था, की आप इतना दान कैसे कर पाते है ?
तो सेठजी का जवाब था ---मैं अपना धन अपने बच्चो को देकर जाऊं, इससे अच्छा है इसे में समाज और राष्ट्र के लिए खर्च कर देवऋण चुकाऊं ।
ये कुछ नाम थे इसके अलावा कई अग्रवीरों ने जिसे नृसिंह अग्रवाल, लाला मटोलचंद अग्रवाल, हनुमान प्रसाद पोद्दार, रामप्रकाश अग्रवाल, लोहिया आदि अनेकअग्रवीरों ने तन-मन-धन तीनों से स्वनातंत्रता के महासमर में भाग लिया..
लेखक - प्रखर अग्रवाल
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