VAISHYA HERITAGE - श्री मुरली मनोहर मंदिर (डाकणियों का मंदिर), लक्ष्मणगढ़
इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण सेठ गिरधारीलाल रामजीलाल गनेड़ीवाला ने वर्ष 1845 में करवाया था। गनेड़ीवाल परिवार मूल रूप से सिंघल गोत्रीय मारवाड़ी अग्रवाल परिवार है। उसके बाद वर्ष 2016 में इसका जीर्णोद्धार हुआ। लेकिन सोचने की बात ये है कि इसको डाकणियों का मंदिर क्यों कहते हैं । स्थानीय बुजुर्ग लोगों के अनुसार मन्दिर की उत्तरी दीवार पर राक्षस हिरण्यकश्यप का वध कर रहे भगवान नृसिंह का भित्ति-चित्र बना हुआ है। मन्दिर के पास बस स्टैण्ड पर आने वाली ग्रामीण महिलाएं अपने बच्चों को डांटने के लिए उक्त चित्र का सहारा लेती। भगवान नृसिंह के आक्रामक स्वरूप वाले चित्र को डायन (डाकण) बताकर बच्चों को चुप रखने का प्रयास करती। इसी कारण उक्त मन्दिर को धीरे-धीरे डाकणियों का मन्दिर कहा जाने लगा।
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।