RAJESH BINDAL NEW ALLAHABAD HIGHCOURT CHIEF JUSTICE
जस्टिस राजेश बिंदल होंगे इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
कलकाता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से पहले जस्टिस राजेश बिंदल जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत थे। वहां पर इस पद पर जस्टिस बिंदल की सेवाएं 9 दिसंबर 2020 से प्रभावी थीं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत जस्टिस राजेश बिंदल का नाम फाइनल हो गया है। 26 जून से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश के रूप में मुनिशवर नाथ भंडारी कार्यरत हैं।
कलकाता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से पहले जस्टिस राजेश बिंदल जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पद पर कार्यरत थे। वहां पर इस पद पर जस्टिस बिंदल की सेवाएं 9 दिसंबर 2020 से प्रभावी थीं। जस्टिर बिंदल ने पंजाब और हरियाणा में 80 हजार मामलों का निस्तारण किया था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होने वाले जस्टिस राजेश बिंदल का जन्म 16 अप्रैल 1961 को हरियाणा के अंबाला शहर में हुआ। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 1985 में एलएलबी करने के बाद वह सितंबर 1985 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 2004 से एक दशक से ज्यादा समय तक केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के समक्ष चंडीगढ़ प्रशासन का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने पंजाब और हरियाणा में लगभग 80 हजार मामलों का निस्तारण किया। जस्टिस बिंदल उच्च न्यायालय के समक्ष कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के मामले में पंजाब और हरियाणा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के साथ 1992 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में शामिल हुए। उन्होंने सतलुज-यमुना जल से संबंधित विवाद के निपटारे में पंजाब राज्य के साथ एराडी ट्रिब्यूनल के समक्ष और सर्वोच्च न्यायालय में हरियाणा का पक्ष रखा। हाईकोर्ट में उच्च न्यायालय के समक्ष आयकर विभाग हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया।
उन्हेंं 22 मार्च 2006 को पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। वह 2016 में मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के लिए मसौदा नियम तैयार करने के लिए गठित समिति के अध्यक्ष रहे। इसके साथ अंतरराष्ट्रीय बाल अपहरण विधेयक 2016 के नागरिक पहलुओं का अध्ययन करने के लिए उन्होंने सिफारिशों और मसौदे के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने पंजाब और हरियाणा में लगभग 80 हजार मामलों का निस्तारण किया। जम्मू-कश्मीर के उच्च न्यायालय आने से पहले वह कंप्यूटर समिति, एरियर्स समिति सहित अन्य कई समितियों का नेतृत्व कर रहे थे।
साभार: दैनिक जागरण
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