BRAVE VAISHYA COMMUNITY - वीर वैश्य
अफ़ग़ानिस्तान के हिंदुकुश पर्वत पर हिन्दू बनियों का नरसंघार करने के लिए पाकिस्तान के जोकर ज़ैद हामिद का मन मचल रहा है. वो बात अलग है कि ये अभी खुद ही जेल में मचल रहा है. लेकिन ये सोच लगभग हर पाकिस्तानी/अफगानी यहां तक कि हिंदुस्तानी मुसलमानों की भी है.. इनकी हिंदुओं विशेष कर बनियों से नफरत का कारण क्या है?
क्योंकि जब इस्लाम की खून से लपलपाती तलवारें आयी थी तो जो जाती इनकी तलवारों के आगे झुक कर मुसलमान नहीं बनी वो थे कुलीन वैश्य.. जिन्होंने मुग़लों और यहां तक कि अंग्रेजों के शासन काल मे रहकर भी भव्य मंदिर बनवाये, गौरक्षा के लिए संघर्ष किया. हिंदू अपना धर्म त्याग कर मुसलमान बन जाएं इसलिए कई गुना जजिया कर उनपर लगता था लेकिन बनियों ने अरबों खरबों के व्यापार के बावजूद भारी मात्रा में जजिया भर कर भी अपना धर्म नहीं छोड़ा। यहां तक कि इतिहास में प्रसंग है कि मुसलमान काल मे जब गांव के गरीब लोग जजिया नहीं भर पाते थे तब गांव के नगरसेठ पूरे गांव का जजिया भर देते थे।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद में जब भारतीयों के संस्करों पर और उनके संस्थानों पर पश्चिम की छाप पड़ रही थी उस समय अग्रकुल रत्न जयदयाल गोयनका जी और हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने ऐसा संस्थान (गीताप्रेस) बनाया जो विशुद्ध रूप से परंपरावादी भारतीय संस्कारों में रंगा था। जिस पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जरा भी छाप नहीं पड़ी। जिसने भारत की संस्कृति, देव-अवतारों, गौमाता, गीता, गंगा, गायत्री का देश की विभिन्न भाषायों में प्रचार किया..
ये वही बनिया जाती है जो आज भी पूरे गौरव से सनातन का झंडा गाड़े हुए है... हिन्दू धर्म के मंदिरों के निर्माण, भारतीय ग्रंथ की छपाई से लेकर गौशालाओं, धर्मशालाओं, सनातन संस्थाओं का निर्माण आदि वैश्यों द्वारा ही संभाला जा रहा है..
बनिये ही हैं जो विशुद्ध शाकाहारी हैं जिन्हें आजभी मुसलमानों और ईसाइयों के घर के पानी तक से भी परहेज है और उन्हें गौभक्षक मल्लेछ मानती है। जिनका ईसाई और मुसलमान पंथ में मतान्तरण नहीं हुआ गौरक्षा और गौहत्या बंदी के लिए सेठ रामकृष्ण डालमिया ने तो आमरण अनशन लाया था जिसे उन्होंने मरते समय तक निभाया और गौमाता के लिए शहीद हो गए.
वही बनिये (अशोक सिंघल) जिन्होंने रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन चलाकर आज सैकड़ों सालों से भारत भूमि के माथे पर लगा बाबरी मस्जिद का कलंक धो दिया। वही बनिये (बिड़ला-डालमिया-पोद्दार) जिन्होंने कृष्ण जन्मभूमि मंदिर का निर्माण करवाया। ये उनकी धर्मनिष्ठा ही थी। वही बनिये (टोडरमल) जिन्होंने रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास जी की रक्षा की और काशी विश्वनाथ का पुनरूत्थान किया। जिन बनिया उद्योगपतियों ने पूरे भारत मे भव्य सनातन धर्म के मंदिर बनाये।
वैश्य जाती ही है जो वर्तमान समय मे पूरी निष्ठा और परंपरा से सनातन धर्म का पालन कर रही है। तो सनातन धर्म प्रिय ऐसी जाती से विधर्मियो को नफरत होना तो स्वाभविक ही है..
SABHAR - प्रखर अग्रवाल
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