THE GREAT #VAISHYA COMMUNITY - महान वैश्य समाज, कुछ बाते
मेरे प्यारे सभी वैश्य भाइयो और बहनों आप सभी को नमस्कार और राम राम. मेरे दिल में हिन्दू समाज की सभी जातियों, वर्णों की लिए सम्मान हैं सभी जातिया सामान हैं कोई छोटी बड़ी नहीं हैं. पर कभी भी कोई भी व्यक्ति हमारे समाज के लिए कुछ गलत कह देता हैं दुःख होता हैं. आज एक व्यक्ति विशेष ने समाज के लिए गलत कहा तो बहुत दुःख पहुंचा. वह व्यक्ति समाज की सम्मानित और पूजनीय जाति से हैं.
मै आज आप सभी को वैश्य समाज के बाए में कुछ जानकारी देना चाह रहा हूं, जिनके बारे में आप लोग अनजान हैं.
हमारा वैश्य समाज आदिकाल से देश के सबसे सभ्य, देशभक्त, धार्मिक समाज में सबसे ऊपर रहा हैं. हम लोग भगवान् विष्णु और माता आदि शक्ति लक्ष्मी के वंशज हैं. हम भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र हैं. माता लक्ष्मी हमारी समस्त वैश्य समाज की कुलदेवी हैं हमारे आदि गुरु भगवान् शिव हैं.भगवान् राम, श्री कृष्ण, बलराम जी, कार्तिकेय, राजा हरिश्चंद्र हमारे पूर्वज हैं.
हमारी अधिकतर जातिया किसी ना किसी राजवंश से हैं. स्वामी कार्तिकेय, सहस्त्रबाहु, बलराम जी, अक्रूर जी, भगवान् राम, श्री कृष्ण इन सभी के वंश में हमारी जातिया हैं. अधिकतर जातीयो के पूर्वज पहले कभी क्षत्रिय थे, लेकिन आज वैश्य धर्म का पालन कर रहे हैं. हम लोग जनसँख्या में करीब २५ करोड़ हैं. कारीब ३७५ जातीया वैश्य वर्ण में आती हैं.
हम लोगो को सेठ, लाला, महाजन, शाहजी, साहू ऐसे ही नहीं कहा जाता हैं. ये सब सम्मान जनक और आदर देने वाली उपाधिया हैं. कुछ बात है हम में जो हस्ती मिटती नहीं हैं हमारी.
एक वैश्य वर्ण के लोग ही ऐसे हैं जो कि देश के हर कोने में हैं और हर तरह के काम में छाये हुए हैं. और पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. हमारे समाज ने कभी किसी दुसरे को सताया नहीं हैं. व्यापार, उद्योग में हम लोग छाये हुए हैं. आज भी बनिए की जुबान का उदाहरण दिया जाता हैं. बनिए की जबान पत्थर की लाकर होती हैं. देश का थोक व्यापार, मंडिया, शेयर बाज़ार हम लोगो के हाथ में हैं. उद्योग धंधे, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, सिनेमा हॉल, मॉल, ८५ प्रतिशत हम लोगो के हैं. ट्रांसपोर्ट का काम, ईंट भट्टो का काम अधिकतर हम लोगो के हाथ में था. ये तो जमींदारा समाप्त हो गया नहीं तो ७० प्रतिशत खेती बाड़ी भी हम लोगो के पास थी. डाक्टर, CA, IIT, IIM के टोपर, IAS, IPS, सेना इन सब में सबसे आगे हम हैं. हम लोगो ने अपने संस्थानों, मंदिरों, उद्योगों, स्कूलों, में बिना किसी भेद भाव के हिन्दुओ की सभी जातियों को सबसे ज्यादा रोजगार दिया हैं. वैश्य समाज भारत का सबसे बड़ा रोजगार दाता है. फिर भी ये सभी जातिया आज के दिन में वैश्य समाज से घृणा करती हैं और गालिया देती हैं. हमारे कारखानों में काम करके आदमी निकलता हैं और सबसे पहले लाला को ही गाली देता हैं.
वैश्य समुदाय ने ही इस देश को कभी अपनी मेहनत के बल पर सोने की चिड़िया बनाया था. आदि काल से वैश्य समुदाय पूरी दुनिया से व्यापर करता रहा हैं. यंहा से पानी के जहाजो में इलाइची, काली मिर्च, दाल चीनी, मसाले, रेशम,, सूती, आयुर्वेदिक दवाये भरकर पूरी दुनिया में जाते थे थे. और उधर से हीरे जवाहरात व सोना भरकर लाते थे. पूरी दुनिया में, राजदरबारो में भारत के वैश्य समुदाय का सम्मान था. भारत के सम्बन्ध वैश्य व्यापारियों के कारण पूरी दुनिया से थे. और ये आजकल के लोग हमें गाली दते है.
शिक्षा के क्षेत्र में हम सबसे आगे हैं. जब भी कोई परिणाम आता हैं. चाहे वह IAS, IPS, JEE, NEET, IIM, IIT, CBSE, किसी का हो हम सबसे उपर रहते हैं.
हमें अपने समाज को हर स्थान पर बढ़ावा देना होगा. रोजगार देना होगा. जैसा की जैन वैश्य समुदाय ने किया हैं अपने मंदिरों में, तीर्थो में, अपने घर में पूजा पाठ में, केवल जैन वैश्य पुरोहितो को नियुक्त किया हैं. इसी तरह से हमें अपने बनाए हुए तीर्थो में, मंदिरों में, पूजा पाठ में, विवाह शादी में, वैश्य पुरोहितो की नियुक्ति करनी होगी.
अपने वैश्य समाज की ९९ प्रतिशत जातीया हमेशा सनातनी रही हैं. एक्का दुक्का जातियों को छोड़कर कभी वैश्य समाज ने धर्मपरिवर्तन नहीं किया हैं. जैन समुदाय एक ऐसा समुदाय हैं जो की पूरी तरह से वैश्य हैं. और सनातनी और जैन वैश्य समाज में रोटी बेटी का सम्बन्ध हैं. वैश्य समाज ने हमेशा देश हित और धर्म हित में कार्य किया हैं. वैश्य समाज के बनाए मंदिर, स्कूल कालेज, अस्पताल, धर्मशाला, देश के हर कोने में, हर नगर कस्बे गाव में मिल जायेगे. देश को सबसे ज्यादा टैक्स का योगदान वैश्य समाज देता हैं.
हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, अमित शाह जी, पीयूष गोयल जी, ॐ बिरला जी ये सभी वैश्य समाज से सम्बंधित हैं.
वैश्य समाज में बड़े बड़ी बलिदानी और क्रांतिकारी हुए हैं उनके बारे में अलग पोस्ट में वर्णन करूँगा.
निम्निलिखित राजवंश वैश्य समाज से सम्बंधित हैं.
१. चन्द्रगुप्त मौर्य
बिन्दुसार
अशोक
२. गुप्त राजवंश
श्री गुप्त - अग्रवाल वंशीय धारण गोत्र
घटोत्कच गुप्त
चन्द्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
चन्द्रगुप्त विकारामादित्य
स्कंदगुप्त
कुमारगुप्त
नरसिंह गुप्त बाला दित्य
३. परवर्ती गुप्त राजवंश
४. वर्धन राजवंश
राज्यवर्धन
हर्षवर्धन
५. नागवंश
६. बंगाल का पाल वंश
बंगाल का सेन वंश
७. चालुक्य वंश
८. चोल वंश
९. तैलंग वंश
१० . हेमू विक्रमादित्य
११. शशिगुप्त कश्मीर
१२. शशांक गुप्त
13. यशोधर्मन
१४. कृष्ण जी के पिता नन्द राय जी
१५. राधा जी के पिता वृषभान जी
मैं नीचे कुछ वैश्य जातियों का वर्णन कर रहा हूं जो की किसी ना किसी सम्राट या राजा के वंश से हैं.
१ अग्रवाल - महाराजा अग्रसेन.
२. वार्ष्णेय - यदु वृशनी वंशी श्री अक्रूर जी( श्री कृष्ण जी के चचेरे भाई) के वंश में
३. कलवार जायसवाल - रजा सहस्रबाहु, बलराम जी
४. रस्तौगी - राजा हरिश्चंद्र के वंश में
५. ओसवाल- महाराजा उपकेश
६. गहोई-
७. माहुरी - मौर्य वंश
८. महेश्वरी- भगवन शिव
९- खंडेलवाल - रजा खंडेल सेन
१०- विजयवर्गीय - रजा बीजा
११- तेली - चालुक्य, चोल, तैलंग वंश
१२- पुरवार पोरवाल - पुरु वंश
13. श्रीमाल -
१४. महाजन - कुरु वंश
१५. लोहाना - भगवान् राम
१६. आर्य वैश्य
भाइयो, मेरा आप सभी से हाथ जोड़कर निवेदन हैं की अपने संस्थानों, मंदिरों, तीर्थो में ज्यादा से ज्यादा अपने समाज के गरीब लोगो को काम दे. अपने स्कूल, कालेजो में ज्यादा से ज्यादा अपने समाज के गरीब लोगो को प्रवेश दिलाये. हर स्थान पर अपने समाज के गरीब लोगो को बढ़ावा दे. आपस में एकता रखे. एक बने, नेक बने. धन्यवाद, जय श्रे राम, वन्देमातरम
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