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Monday, May 10, 2021

GANGAPUTRA GURUDAS AGRAWAL - गंगापुत्र गुरुदास अग्रवाल ( स्वामी सानंद)

GANGAPUTRA  GURUDAS AGRAWAL - गंगापुत्र गुरुदास अग्रवाल ( स्वामी सानंद)
 

गंगा की अविरलता के लिए अपने प्राण त्यागने वाले स्वामी सानंद केवल एक संत ही नहीं थे, बल्कि एक विश्व विख्यात प्रोफेसर भी थे। प्रख्यात पर्यावरणविद् और आईआईटी कानपुर के प्रख्यात प्राध्यापक रहे प्रो. जीडी अग्रवाल(स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद) का जन्म 20 जुलाई को उत्तर प्रदेश में हुआ था।

स्वामी ज्ञानस्वरुप सानंद महात्मागांधी चित्रकूट ग्रामोद्योग विश्वविद्यालय(म.प्र.) में मानद प्रोफेसर भी थे। स्वामी सानंद 22 जून 2018 से गंगा एक्ट को लेकर अनशन पर थे। प्रो. जीडी अग्रवाल ने 2009 में भागीरथी नदी पर बांध के निर्माण को रुकवाने के लिए अनशन किया था और उन्होंने इसमें सफलता भी पाई थी। इन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को झुका दिया था।
 
कांधला में हुआ था जन्म
 
प्रो. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव और राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के सलाहकार भी रहे थे। पर्यावरण के क्षेत्र में प्रो. अग्रवाल को अग्रणी स्तर का ज्ञान था।
प्रो. अग्रवाल का जन्म 1932 में मुजफ्फरनगर के गांव कांधला में हुआ था। उन्होंने आईआईटी रुडक़ी, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण किया था और 17 साल तक आईआईटी कानपुर को अपनी सेवाएं दी थी।
 
. अग्रवाल की उपलब्धियां
 
- उत्तर प्रदेश राज्य सिंचाई विभाग में डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम की शुरुआत
- बर्कले में कैलिफोर्निया विवि से पर्यावरण इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि
- मध्य प्रदेश के चित्रकूट में महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विवि में पर्यावरण विज्ञान के मानद प्रोफेसर
- आईआईटी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग और पर्यावरण विभाग में हेड
- 1979-80 में प्रथम सचिव और राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के सलाहकार
- रुड़की विवि में पर्यावरण इंजीनियरिंग के लिए अतिथि प्रोफेसर
- फिलहाल महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के मानद प्राध्यापक (ऑनरेरी प्रोफेसर) थे।
- पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार के लिए नीति बनाने और प्रशासनिक तंत्र को आकार देने वाली विभिन्न सरकारी समितियों के सदस्य रहे
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट नई दिल्ली के अग्रणी संस्थापक
- 2002 में आईआईटी कानपुर में उनके पूर्व छात्रों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया।
- अपने प्रयास से उत्तराखंड में गंगा नदी पर बन रही कई परियोजनाओं के निर्माण को रुकवाया।
- 2011 में एक हिंदू संन्यासी बन गए और उन्हें स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद सरस्वती के नाम से जाना गया।

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