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Sunday, October 4, 2020

आशुतोष वर्णवाल, फाउंडर, buddy4study

आशुतोष वर्णवाल, फाउंडर, buddy4study

सफलता:ताकि किसी मेधावी छात्र की पढाई के आड़े न आ सके गरीबी, गया के आशुतोष ने बना डाला स्टार्टअप 
 
आशुतोष वर्णवाल, फाउंडर, buddy4study 

आशुतोष ने buddy4study स्टार्टअप से 80 हजार छात्रों को दिलवाया 95 करोड़ का स्काॅलरशिप 
गया के फतेहपुर के लोधवे का है मूल, पिता ने चाय बेचकर पहुंचाया इस मुकाम पर 

घर में इतने पैसे नहीं थे कि हम चारों भाइयों की पढाई सीबीएसई स्कूल में हो पाती। सिर्फ मेरा नामांकन सरस्वती विद्या मंदिर, सिंदरी में कराया गया। 2002 में आईआईटी जेईई क्वालीफाई करके मरीन इंजीनियरिंग किया। 2010 में जब में एमबीए कर रहा था, तब पहली बार, शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति मिलती है, की जानकारी मिली। अगर मुझे पहले इसकी जानकारी होती, तब मेरे बड़े भाइयों सहित अन्य जरूरतमंदों को भी आर्थिक मदद मिलती और वे पढ़ पातें। बस तभी से यह विचार मेरे मन में बैठ गया कि एक ऐसे सिस्टम बनाना हैं, जहां कोई भी मेधावी छात्र की पढाई पैसे के अभाव में न रूके। यह कहना है buddy4study स्टार्टअप के फाउंडर आशुतोष वर्णवाल का। 

पैसे की कमी के चलते नहीं पढ़ पाएं भाई 

आशुतोष ने बताया, गया के फतेहपुर के लोधवे में उनके पिता रहते थे, जहां से वे रोजगार के लिए पलायन कर 1970 में धनबाद चले गए। वहां पहले चाय व बाद में किराना की दुकान खोली। पिता ताराचंद प्रसाद वर्णवाल पांचवीं तक और मां शकुंतला देवी छठी तक पढ़ी हैं। बड़े दो भाइयों को पैसे की कमी से ज्यादा नहीं पढ़ा सके। उन्हें सीबीएसई स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। 1999 में 10वीं और 2001 में 12वीं की परीक्षा में टाॅप किया। 

ब्रिटिश कंपनी की छोड़ी नौकरी 

2006 में ब्रिटिश पेट्रोलियम कंपनी में मरीन इंजीनियर बना। लगा, समाज के उनलोगों के लिए कुछ करूं, जो जानकारी के अभाव में मुकाम नहीं पाते। 2010 में नौकरी छोड़ कर कैट कर एमबीए के लिए आईएमटी गाजियाबाद में दाखिला लिया। यहीं 2011 में अपने काम की शुरूआत की। 

20 राज्यों के छात्र को लाभ
  
बाद में उनके इस स्टार्टअप से को-फाउंडर के रूप में राज किशोर जुड़े। उनकी कंपनी से 20 राज्यों के छात्रों को लाभ मिल रहा है। बिहार, यूपी, झारखंड, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा, आसाम, दिल्ली, मणिपुर, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य हैं। 35 लाख 33 हजार 135 में 85 हजार छात्रों को स्कॉलरशिप मिल चुकी है। इन छात्रों में 95 करोड़ की राशि बंटी है। इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन, एग्रीकल्चर, हार्टीकल्चर सहित अन्य पाठ्यक्रमों के लिए स्काॅलरशिप उपलब्ध कराया जाता है। उसके इस मुहिम में दैनिक भास्कर सहित 200 हैं देशी-विदेशी मीडिया पार्टनर हैं। 

कम्पनी के काम की प्रक्रिया 

संस्थान व कम्पनी अपनी जरूरत के आधार पर buddy4study से सम्पर्क करती है। buddy4study योग्यता के आधार पर आवेदन मंगाकर, उसे शॉर्ट आउट करते है। चयनित छात्र को स्कॉलरशिप मिलती है। एक तरह से छात्र व संस्थान के बीच कम्पनी मध्यस्थ है। इसे आउट सोर्सिंग कह सकते हैं। संस्थाओं को अतिरिक्त कर्मी के वेतन व आवेदन प्रक्रिया में खर्च न कर, एक निर्धारित राशि कम्पनी को देती है। टेक्नोलॉजी के आधार पर छात्रों की एक्टिविटी की ट्रेकिंग भी होती है। 

समाज को कुछ देने की है लालसा 

एक बहुत ही अच्छे मुकाम पर हूं। दस साल हो गए हैं, इसे शुरू किए। अब अन्य आंत्रप्रेन्योर को मेंटरिंग करना शुरू कर दिया है। 10 साल में एक अच्छी कंपनी बनाकर देश की सेवा की, अब अगले 5 साल में आशा एवं विश्वास के साथ 100 अच्छे स्टार्टअप द्वारा सोसाइटी की सेवा करूं।

साभार: दैनिक भास्कर 

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