❤️ मारवाड़ी सेठों ने किया था कृष्ण जन्मभूमि का पुनरोद्धार ❤️
आज जहाँ शाही ईदगाह के चारों ओर और इसके चारों ओर एक नष्ट मंदिर के अवशेष देखे जा सकते हैं- इन खंडहरों के ऊपर एएसआई द्वारा एक अधिसूचना बोर्ड है जो 'कृष्ण जन्मभूमि' के रूप में पढ़ता है- इसके अलावा, एएसआई बोर्ड का कहना है कि 'यह वह जगह है जहां हिंदुओं का मानना है कि उनके भगवान कृष्ण का जन्मस्थान था- यह विश्वास हजारों साल पहले का है- '
यह स्थान कभी एक शानदार कृष्ण मंदिर था - 1618 में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने तैंतीस लाख की लागत से एक मंदिर बनाया था-
याद रखें, उन दिनों में 1 रुपए में 296 किलोग्राम चावल मिलता था- कोई केवल कल्पना कर सकता है कि उन दिनों के दौरान 33 लाख क्या रहे होंगे- 1670 में, औरंगजेब ने कृष्ण मंदिर को नष्ट कर दिया और इस शाही ईदगाह को अपने खंडहरों के शीर्ष पर बनवाया..
1804 में, मथुरा ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया- ईआईसी ने जमीन की नीलामी की और इसे बनारस के एक अमीर #वैश्य बैंकर '#राजा_पटनीमल_अग्रवाल' ने 45 लाख में खरीदा (जिसमें वर्तमान शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन भी शामिल थी) मुसलमानों ने अदालत में भूमि के स्वामित्व को चुनौती दी लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1935 में राजा पटनीमल अग्रवाल के वंशज के पक्ष में फैसला सुनाया- राजा पटनीमल के वंशजों के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद भी वे कृष्ण मंदिर का निर्माण शुरू नहीं कर पाये थे, स्थानीय मुसलमानों द्वारा लगातार धमकियों के कारण जब भी ऐसी कोई योजना सामने आई उपद्रवों व बाधायें पैदा होती रहीं..
#जुगलकिशोर_बिड़ला जी ने जमीन खरीदी और कृष्णा जन्मभूमि ट्रस्ट का गठन किया। ट्रस्ट की स्थापना से पहले ही यहाँ रहनेवाले कुछ मुसलमानों ने 1945 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक रिट दाखिल कर दी। इसका निर्णय 1953 में आया। इसके बाद ही यहाँ कुछ निर्माण कार्य शुरू हो सका। स्वामी अखंडानंद सरस्वती के सभापतित्व काल में मथुरा के युवक 15 अक्टूबर, 1953 से श्रमदान के रूप में कटरा-केशवदेव के पुनरुद्धार कार्य में जुट गए। बरसों तक वैश्य श्री #बाबूलाल_बजाज और श्री #फूलचंद_खंडेलवाल के नेतृत्व में कार्य चलता रहा। इसके बाद गर्भगृह तथा भव्य भागवत भवन का पुनरुद्धार हुआ, जो फरवरी 1982 में पूरा हुआ। भागवत भवन के निर्माण में बड़ी धनराशि औद्योगिक घराने वैश्य #डालमिया परिवार द्वारा भी दी गई थी।
जन्मभूमि मंदिर परिसर का शिखर मस्जिद से ऊंचा होगा इसकी रूपरेखा नित्यलीलालीन वैश्य #हनुमान_प्रसाद_पोद्दार जी "भाई जी" और स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी ने बनाई थी... भाईजी ने ही कृष्णजन्मभूमि मंदिर परिसर में जजमान बनकर शिलान्यास और पूजन किया था...
1992 में जब वैश्य समाज के हिंदुत्व पुरोधा श्री #अशोक_सिंहल जी के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद गिराई थी तब कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ की मुक्ति की भी शपत राम भक्तों ने ली थी और सिंहल जी ने नारा दिया था - "अयोध्या तो पहली झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।
#जय_श्री_कृष्णा
#जय_श्री_राम
#जय_वैश्य_समाज
जन्मभूमि मंदिर परिसर का शिखर मस्जिद से ऊंचा होगा इसकी रूपरेखा नित्यलीलालीन वैश्य #हनुमान_प्रसाद_पोद्दार जी "भाई जी" और स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी ने बनाई थी... भाईजी ने ही कृष्णजन्मभूमि मंदिर परिसर में जजमान बनकर शिलान्यास और पूजन किया था...
1992 में जब वैश्य समाज के हिंदुत्व पुरोधा श्री #अशोक_सिंहल जी के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद गिराई थी तब कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ की मुक्ति की भी शपत राम भक्तों ने ली थी और सिंहल जी ने नारा दिया था - "अयोध्या तो पहली झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।
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#जय_श्री_राम
#जय_वैश्य_समाज
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