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Friday, September 15, 2023

PAYAL GUPTA - OCEAN GLOB RACER

#PAYAL GUPTA - OCEAN GLOB RACER

देहरादून,उत्तराखंड की पायल गुप्ता समुद्र पर 27000 मिल की दूरी ओशन ग्लोब रेस(ओसीआर) से पूरी करेंगी।उनके साथ उनकी टीम मेडेन फैक्टर की 12 अन्य सदस्य भी होगी।भारतीय नौसेना ने 50 साल बाद ओशन ग्लोब रेस में हिस्सा लिया है,पायल गुप्ता सदियों पुराने तरीके से दुनिया घूमेंगी।पायल गुप्ता ने समुद्र की गहराईयां पढ़ने में महारत हासिल है।उनके नाम पर कई रेकॉर्ड दर्ज हैं और भारतीय नौसेना में इतिहास भी लिखा है।अब भारतीय नौसेना की लेफ्टिनेंट कमांडर पायल ओशन ग्लोब रेस के लिए ब्रिटेन के साउथेम्प्टन से रवाना हुईं।




देहरादून की पायल गुप्ता 'सॉल्ट इन माई वेन्स'-नौका मेडन की सभी महिला चालक दल का हिस्सा है।इतना ही नहीं चालक दल किसी भी आधुनिक नेविगेशन तकनीक की सहायता के बिना नौकायन कर रहा है।जैसा कि नाविक सदियों पहले किया करते थे।टीम अपनी यात्रा में ग्रहों और सितारों की स्थिति का उपयोग करके पोत की स्थिति की गणना करने के लिए सेक्सटेंट और खगोलीय नेविगेशन का उपयोग कर रही है।जहाज पर कोई जीपीएस,कोई उपग्रह सहायता और कोई कंप्यूटर नहीं है।रेस 10 सितम्बर को साउथम्प्टेन से शुरू होगी।रेस में हिस्सा लेने वाली सभी नौकाएं 1988 से पहले की तकनीक से निर्मित है।
 
यह रेस कुल पांच चरणों में पूरी होगी-
पहले चरण-10 सितंबर 6650 समुद्री मील
दूसरा चरण-5 नवंबर 6650 मील
तीसरा चरण-14 जनवरी 8370 मील
चौथा चरण-5 मार्च 5430 मील
समापन-10 अप्रैल

पायल गुप्ता इस काम के लिए नई नहीं हैं।वह दुनिया भर में यात्रा करने वाली भारत की पहली महिला चालक दल का हिस्सा थीं।यह उपलब्धि उन्हें मई 2018 में हासिल की हुई थी।उस यात्रा की तरह, ओशन ग्लोब रेस में आठ महीने की यात्रा की आवश्यकता होती है।यह दौड़ गोल्डन ग्लोब रेस की तरह है।पायल गुप्ता ने 2014 में भारतीय नौसेना की पांच अन्य महिला सदस्यों संग स्वदेशी निर्मित पल नौका तारिणी के जरिए 254 दिनों में 40000 समुद्री मील की दूरी तय कर दुनिया का चक्कर लगाने का रिकॉर्ड भी कायम किया था।पायल ने इस रेस के लिए विदेश में अपने दल के साथ विभिन्न चरणों की तैयारी कर ली है।
 
ओशन ग्लोब रेस मूल व्हिटब्रेड राउंड द वर्ल्ड रेस को फिर से बनाने का एक प्रयास है।प्रतियोगिता में 300 नाविकों के साथ 14 नौकाएं हैं।दुनिया भर में 27,000 मील की यात्रा में अप्रैल 2024 में साउथेम्प्टन में वापस समाप्त होने से पहले नौकाओं को दक्षिणी महासागर और केप टाउन, ऑकलैंड और पुंटा डेल एस्टे में स्टॉपओवर के साथ तीन ग्रेट कैप को पार करते हुए देखा जाएगा।पायल गुप्ता नौसेना में एक शिक्षा अधिकारी हैं, लेकिन पानी के साथ उनकी पहली यात्रा के कारण उन्हें आईएन एस मंडोवी में तैनात किया गया, जहां उन्होंने नाविका सागर परिक्रमा अभियान के लिए प्रशिक्षण लिया।

यह दौड़ अलग है क्योंकि पायल गुप्ता पचास वर्षों में इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली पहली भारतीय हैं।'दिसंबर में नौसेना से सेवानिवृत्त होने के कारण पायल गुप्ता समुद्री नौकायन को एक अंतिम मौका देना चाहती थीं।पायल कहती हैं कि नौकायन एक प्रकार की स्वतंत्रता है पायल बताती हैं'मैं खुद को कंप्यूटर के सामने बैठकर कॉर्पोरेट नौकरी करते हुए नहीं देखती।

पायल ने कहा कि उन्होंने कहा, "मैंने नौकायान को बहुत याद किया और यही कारण है कि मैं समुद्र में वापस आई।मैं तीन साल तक समुद्र से दूर थी और मैंने सोचा कि मुझे वापस जाना चाहिए और अपने कौशल का थोड़ा और उपयोग करना चाहिए।उन कौशलों की कड़ी परीक्षा ली जा रही है क्योंकि पायल को दुनिया की परिक्रमा करनी है।वर्ष 2018 में पायल को राष्ट्रपति द्वारा तेनज़िंग नोरगे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

SABHAR: NARSINGH ZEMS

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