#BANIA ATTACKS ZAMINDAR
घटना सिंध में 1934 की है जब एक बनिया महानुभाव अपने उधार लेन देन का हिसाब चुकता करने मुस्लिम जमींदार के पास गये।
मुस्लिम जमींदार ने कहा या तो उसका बही खाता जला दो या फिर उसके आंगन में बंधी गाय को तलवार से काट दो।
अब हिंदू मन और चेतन, अघन्या मां स्वरूपिणी गौ की हत्या तो दूर उनके ऐसे अवस्था की कल्पना भी कैसे करे।
बहुत कहा लेकिन जमींदार नही माना अंत में बनिया जी ने तलवार उठायी और गोमाता की तरफ दिखाते हुये, उस मुस्लिम जमींदार के शरीर के आरपार कर दिया।
उन्होनें वही किया जो वेद निहित है शास्त्र सम्मत है।
गौ हत्या की कल्पना करने वाले और हत्यारे का संहार किया जाये।
यदि नो गां हंसि यद्यश्वम् यदि पूरुषं
तं त्वा सीसेन विध्यामो यथा नो सो अवीरहा
अर्थववेद 1।16
हमारे पुरखे धर्मरक्षा के लिए ना हथियार उठाने से चूके ना मस्तक कटाने से। सनातन के मानबिन्दुओं गौ, गंगा और गायत्री पर आंच नही आने दी।
इसी कड़ी में गीता प्रेस के संस्थापक स्वर्गीय श्री जयदयाल गोयनका और संचालकों को कैसे भूल सकते हैं जिनकी वजह से गीता, रामायण, उपनिषदों, पुराणों, आदि के भाष्य व अन्य धर्मावलंबी पुस्तकें कम कीमत उपलब्ध है और सर्वसाधारण के लिए सुलभ है। जिन्होंने आज हिंदू सिद्धांत घर घर तक पहुंचाया है।
No comments:
Post a Comment
हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।