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Monday, April 21, 2025

बनिया समुदाय: व्यापार के DNA वाले लोग!

बनिया समुदाय: व्यापार के DNA वाले लोग!

अगर बिज़नेस की दुनिया को क्रिकेट का खेल मान लिया जाए, तो बनिए जन्मजात पैट कमिंस हैं जो अपनी विरोधी टीम के खिलाड़ी को डोमेस्टिक खेलने भेज सकते हैं। उनकी रगो में खून कम, एक्सेल शीट के फॉर्मूले ज्यादा रेंगते हैं। उनके लिए ‘Profit’ कोई टॉपिक नहीं, बल्कि बचपन से सुनी नानी दादी की कहानी है।

1. खून में दौड़ता कैलकुलेटर
जहाँ बाकी बच्चों को A, B, C, D सिखाया जाता है, वहीं बनिया के बच्चे 'अकाउंटिंग' सीखते हैं। जेब से खर्च करने से पहले ROI (Return on Investment) चेक कर लेते हैं।

2. DNA में डीलिंग
बनिए के बच्चे चैस भी खेलते हैं, तो सामने वाले के घोड़े को ढाई के बदले डेढ़ चाल चलवाकर डिस्काउंट मांगते हैं _ये बचपन की negotiation skills आगे चलकर मल्टीमिलियन बिज़नेस डील्स में तब्दील हो जाती हैं। वैसे बनिए के बच्चों की राष्ट्रीय गेम मनॉपली हैं।

3. स्मार्ट सेविंग की कला
बनिया समुदाय के लोग बचत करने में इतने माहिर होते हैं कि अगर सरकार उन्हें बजट संभालने का मौका दे दे, तो निर्मला ताई का बजेट हलवा सोने चांदी से लदा हुआ मिले। देश का कर्ज़ चुटकियों में खत्म हो जाए। पुरानी नई संसद भवन पर सोने की परत लग जाए। (थोड़ा ज्यादा हो गया, लेकिन कोई नहीं, चलने दो) शादी में भी लहंगे से ज्यादा गहनों पर ध्यान रहता है— "लहंगा बाद में भी मिल जाएगा, पहले सोना खरीद लो!"

4. ‘रिस्क’ से ‘इश्क’ करते हैं
बाकी लोग बिज़नेस में रिस्क लेते हैं, बनिए को रिस्क’ से ‘इश्क’ हैं। "बिटकॉइन में पैसे लगाने हैं?"— आई शपथ, दे उठाक। उनके हर फैसले के पीछे सात पुश्तों का अनुभव होता है। (माझी मराठी जेठालालसारखी आहे, मला माफ करा.)

5. नफा-नुकसान का गणित
अगर कोई बनिया आपको फ्री में भी कुछ दे रहा हो, तो समझ जाइए, कहीं न कहीं वो मुनाफा कमा रहा है। उनके लिए फ्री का मतलब ‘Future Return Expected’ होता है।

6. रिश्ते भी मुनाफे की तरह निभाते हैं
बनिया कभी भी किसी रिश्ते को सिर्फ इमोशन से नहीं निभाते, उसमें भी "मुनाफे" का तड़का होता!" रिश्ते निभाने के लिए भी एक लॉन्ग-टर्म प्लानिंग होती है। भाव टु भाव कोई चीज नहीं मिलेगी। क्योंकि भाव भगवान छे

7. हर चीज़ पर व्यापारिक नजरिया
कहीं भी जाएं, हर जगह बिज़नेस का एंगल ढूंढ ही लेंगे। ताजमहल देखकर भी सोच सकते हैं— "अकबर ने ये किराए पर दिया होता तो महीने का कितना बैठता?!’"

बनिए की सफलता का राज़ यही है— मेहनत, सूझबूझ, अनुभव, और बचपन से इंस्टॉल किए गए बिज़नेस के तगड़े सॉफ्टवेयर। उनका सिद्धांत एकदम क्रिस्टल क्लियर है— "बिज़नेस में कोई इमोशन नहीं, और इमोशन्स में भी तगड़ा बिज़नेस!"

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