GARG GOTRA KULDEVI - गर्ग गोत्र की कुलदेवी केसर माता
भारत में प्रत्येक हिन्दू परिवार में उनकी कुलदेवी माता होती है। तीज त्यौहार और विवाह के शुभ अवसर पर कुलदेवी माता की पूजा की जाती है। परिवार में नया सदस्य आने पर शक्ति की जात लगाई जाती है।माता के देवस्थान पर जा कर बच्चों के बाल उतारे जाते हैं।
अग्रवाल जाति की विभिन्न गोत्र की अलग- अलग शक्ति कुलदेवी माताजी हैं।
अग्रवाल जाति की गर्ग गोत्र में कुलदेवी केशरशक्ति माताजी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से अग्रवाल भाई-बंधु अपनी कुलदेवी माताजी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें तो मैं अपना यह प्रयास सफल मानूँगी।
।।बोलो जय शक्ति केशर माताजी की।।
केशर माताजी की प्रचलित कथा :-
राजस्थान में एक स्थान है, मनोहपुर। बहुत समय पहले वहां के दीवान थे- प्रकाश चंद्र गर्ग। पहले के समय में राजाओं के मध्य युद्ध आम बात हुआ करती थी। ऐसी ही युद्ध की संकट की घड़ी में दीवान प्रकाश चंद्र गर्ग अपने प्राण बचाते हुए म्हार कलां नामक छोटे गांव में पहुंच गए। उसी समय देवगढ़ के राजकुमार अपने विवाह के काफिले सहित उधर से लौट रहे थे। दीवानजी ने उनसे भेंट की और अपनी रक्षा करने की विनती की व शरण मांगी।राजकुमार ने क्षत्रिय धर्म निभाते हुए शरण में आये दीवानजी को शरण में लिया और उनके प्राणों की रक्षा करने का वचन दिया।
अचानक ही मनोहरपुर की सेना ने देवगढ़ के राजकुमार की सेना पर हमला कर दिया। राजकुमार के काफिले में ज्यादा सैनिक नहीं थे। युद्ध कुछ दिनों तक चलता रहा। लड़ते-लड़ते राजकुमार वीरगति को प्राप्त हुए। उसके पश्चात् रानी केशर कुंवर ने अपने पति के वचन की रक्षा हेतु तलवार उठाई और घोड़े पर सवार हो युद्ध किया। अंत में विजय रानी केशर कुंवर की हुई। तत्पश्चात् रानी ने अपने पति के शव के साथ शक्ति होने का निर्णय लिया।उन्होंने जौहर व्रत धारण किया और पति का सिर अपनी गोद में रख चिता में प्रवेश किया। दीवानजी ने रानी केशर कुंवर के सामने हाथ जोड़ कर कहा -"माता! मेरे लिए क्या आदेश है?" तब केशर कुंवर ने दीवानजी को कुल वृद्धि का आशीर्वाद दिया। दीवानजी ने शक्ति माताजी से कहा कि मेरे वंशज आपकी पूजा-आराधना करेंगे। मेरे वंशज दुनिया के किसी भी कोने में हों, प्रथम जात -जड़ुला आपके इसी स्थान पर आकर उतारेंगे। वैवाहिक कार्य में सबसे पहले आपका आव्हान किया जायेगा।
मान्यता है कि रानी केशर कुंवर के साथ पांच अन्य रानियां भी शक्ति हुई थी। उनके नाम इस तरह हैं :-
1.सोनी देवी (भांजा बहु)
2.परमी देवी
3. गुलाब बाई
4.मनेऊ बाई
5.छमु बाई
6. सुनी बाई
तब से गर्ग गोत्री दीवानजी के वंशज शारदीय नवरात्रि में नवमी के दिन महारकलां में आकर केशर माताजी के मन्दिर में रातिजगा करते हैं ,मेहँदी के थापे लगाते हैं। माता से अपने परिवार की कुशल मंगल के लिए मन्नत मांगते हैं व आशीर्वाद लेते हैं।अगले दिन दशहरे पर जड़ुले वाले बालकों के बाल उतारे जाते हैं। बाल माताजी के स्थानक पर उतारने के पश्चात् बाल भांजा बहु के स्थानक जो पास में ही है, वहां चढ़ाये जाते हैं। फिर माताजी को घुघरी और कसार का भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है। माता केशर देवी के स्थानक पर आकर जो कोई भी पूरी आस्था व श्रद्धा से मनौती मानता है, माता उसे अवश्य पूरा करती है।
केशर माता की स्तुति
सुन मेरी माता म्हार वासिनी, कोई तेरा पार न पाया है।
पान सुपारी ध्वजा नारियल तेरी भेंट चढ़ाया है।।
केसरिया बाना तेरे अंग बिराजे,
केसर तिलक लगाया है।। सुन मेरी....
नंगे - नंगे पावों तेरे दर पर आया है।
आसोज शुक्ल नवमी रात जगाया है,
फिर दशमी को जड़ुला उतरवाया है।।सुन मेरी....
ऊँचे ऊँचे पर्वतों बीच बन्यो देवरो थारो,
धुप दिप नैवेद्य आरती कसार घुघरी का भोग लगाया है।
जो कोई म्हार वासिनी की आरती नित्य गावे,
मन इच्छा फल पाया है।। सुन मेरी माता....
केशर माताजी की आरती
ॐ जय केसर माता, मैया जय केसर माता।
अपने भक्तजनों की दूर करे विपदा।। ॐजय केसर माता
अवनि अनंतर ज्योति अखण्डित,मण्डित चहुकुंकुमा।
दुर्जन दलन खड्ग की,विधुतसम प्रतिमा।।ॐजय केसर माता
भरकत मणि मंदिर अति मन्जुल,शोभा लखि न परे।
ललित ध्वजा चहुँ ओरे,कंचन कलश धरे।।ॐ जय केसर माता
घण्टा घनन घड़ावल बाजत, शंख मृदंग धुरे।
भक्त आरती गावे,वेद ध्वनि उचरे।।ॐ जय केसर माता
सप्त मातृ का करें आरती,सुरगण ध्यान धरे।
विविध प्रकार के व्यंजन,श्रीफल भेंट धरे।।ॐ जय केसर माता
संकट विकट विदारिणी,नाशनी हो कुमति।
सेवक जन निज मुख से मृदुल करण सुमति।।ॐ जय केसर माता
अमल कमल दल लोचनी,मोचनी त्रम तापा।
दास आयो शरण आपकी,लाज रखो माता।।ॐ जय केसर माता
श्री मातेश्वरीजी की आरती जो कोई नर गावे।
सकल सिद्धि नव निद्धि,मनवांछित फल पावे।।ॐ जय केसर माता
कुलदेवी केशर माता तक पहुंचने का रास्ता
जय श्री खुराल केशर माताजी
गर्ग गोत्री अग्रवाल समाज की कुलदेवी केशर माताजी राजस्थान के म्हार कलां में विराजित हैं।बस द्वारा उन तक कैसे पहुंचें, आइये देखते हैं :-
1.दिल्ली से जाना हो तो अजित गढ़( राजस्थान) वाले शाहपुरा तक आइये। दिल्ली से शाहपुरा की दूरी 200 km है। शाहपुरा से अजीतगढ़ तक का सफर 24 km है। अजीतगढ़ से म्हार कलां की दूरी 4 km है।
2.जयपुर से म्हार कलां जाना हो तो पहले चोमू आइये। जयपुर से चोमू की दूरी 31km है। चोमू से सामोद 6km दूरी पर है। सामोद से म्हार कलां 4km है।
3. रींगस से जाना हो तो रींगस और श्री माधोपुर आइये। दोनों के बीच की दूरी12km है।श्री माधोपुर से अजीतगढ़ की दूरी 35km है। अजीतगढ़ से म्हार कलां सिर्फ 4 km है।
4. सीकर से महारकलां रींगस हो कर पहुंचा जा सकता है।रींगस से श्री माधोपुर ,फिर अजीतगढ़ और म्हार कलां।
9977629894
ReplyDelete