NAGARSETH MANDIR BIKANER
ये हैं हमारे नगरसेठ का मंदिर। जी जगतपालक भगवान लक्ष्मीनाथ। इसी मंदिर के प्रांगड़ में एकपूरे राज्य की नींव रखी थी इसलिए इन्हें नगरसेठ बोलते हैं। अक्षय तृतीया को विक्रम संवत 1545 में राव बीका ने भगवान लक्ष्मीनाथ को साक्षी मानकर उनके आगे बीकानेर की नींव रखी थी। भगवान लक्ष्मीनाथ नगरसेठ की ही तरह इस पूरे राज्य का भरण पोषण करते हैं। इस मंदिर की अलग ही शान है क्योंकि इसका निर्माण बीकानेर के राजघराने ने स्वयं करवाया था।
राज्य के स्वामी ही जब नगरसेठ हैं तो इस नगर ने भी एक से एक सेठ दिए हैं जिन्होंने बीकानेर का ही नहीं पूरे भारत का नाम रौशन किया। बीकानेर मारवाड़ अंचल में पड़ता है और जब बात तो धर्म और व्यापार की तो उसमें मारवाड़ी व्यापारियों का अग्रणी स्थान रहा है।
1857 के युद्ध में शहीद सेठ अमरचंद बांठिया को ही ले लीजिये जिन्हें अंग्रेजों ने इसलिए फांसी पर लटका दिया था क्योंकि उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी रानीलक्ष्मीबाई की धन देकर मदद की थी। सेठ जी ग्वालियर राजघराने के खजांची थे.. रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे के ग्वालियर पहुंचने पर ग्वालियर का शाही खजाना उनके हवाले कर दिया था। 1857 की क्रांति को जब कुचल दिया गया तब फिर बीकानेर की धरती ने एक भामाशाह को जन्म दिया।
वो थे सेठ नृसिंह अग्रवाल। 1920 में इन्होंने कलकत्ता में पंजाब केसरी लाल लाजपत राय जी की अध्यक्षता में एक सम्मेलन में भाग लिया और उनसे प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पढ़े। वहाँ से वापस लौटते वक़्त उन्हें साबरमती आश्रम में सेठ जमनालाल बजाज जी से मिलने का मौका मिला। सेठ जी जमनालाल बजाज जी की स्वतंत्रता के लिए की जरहिं गतिविधियों और त्याग से इतने प्रभावित हुए की उन्होंने जमनालाल बजाज जी को अपना आदर्श मान लिया। उसके बाद सेठ जी ने अपनी अथाह संपत्ति जमनालाल जी की तरह स्वतंत्रता के लिए लगा दी। तिलक स्वराज्य फण्ड आदि में बहुत दान किया। एकबार तो गांधी जी ने इन्हें कहा कि नृसिंह अब तो तुम एकदम बाबा जी बन गए हो।
आजाद भारत मे सबसे बड़े आंदोलन 'श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन' में सर्वप्रथम शहादत देने वाले और बाबरी मस्जिद के ऊपर चढ़कर भगवा लहराने वाले कोठारी बंधु स्वयं बीकानेर के मारवाड़ी परिवार से थे।
बीकानेर ने एक से एक धन्ना सेठ दिए हैं। भारत के तीसरे सबसे अमीर उद्योगपति राधाकृष्ण दमानी बीकानेर के ही तो हैं। यहाँ जैन श्रेष्ठियों द्वारा बनवाया गया विश्वप्रसिद्ध सेठ भण्डाशाह जी का मंदिर है। सेठ जी इतने धन्ना की, जैन भाण्डाशाह मंदिर की नींव पानी की बजाय घी से रखी गई थी। काम इतना बारीक की देश विदेश से लोग देखने आते हैं इस प्रांगण को। बीकानेर के सेठों की रामपुरिया हवेलियां भी विश्व प्रसिद्ध हैं। बीकाजी और हल्दीराम के अग्रवाल सेठ भी बीकानेर के ही थे। करांची के तट पर भव्य महल मोहता पैलेस और हिंदू जिम खाना बनवाने वाले मोहता परिवार भी बीकानेर के माहेश्वरी वैश्य थे..
नगरसेठ के मंदिर के बाहर बीकानेर के महान संत स्वामी रामसुखादास जी की पंक्तियां भी अंकित है - "हे नाथ! हे नाथ मैं तुम्हें भूलूँ नहीं।
बीकानेर के सेठों पर नगरसेठ लक्ष्मीनाथ और स्वयं महालक्ष्मी की अनन्य कृपा बनी रहे और वो सनातन और भारतवर्ष के प्रति समर्पित रहें।
- प्रखर अग्रवाल
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