Pages

Saturday, June 20, 2020

अखिल भारतीय मारवाड़ी अग्रवाल जातीय कोष का इतिहास

अखिल भारतीय मारवाड़ी अग्रवाल जातीय कोष का इतिहास

अखिल भारतीय अग्रवाल जाती कोष कोरोना काल में 50 लाख रुपये से जरूरतमंदों को सहायता करने के कारण चर्चा में है। आइये जानते हैं इस महान संस्था का इतिहास।

स्वतंत्रता की चिंगारी जंगल की आग की तरह फैल रही थी, लाखों क्रांतिकारी शहीद हुए थे और हज़ारों परिवार निराश्रित हुए। ऐसे कठिन समय में पूरे देश के दानवीर, उद्योगपति, व्यापारी, राजनेता और समाज के शुभचिंतक जो किसी महान उद्देस्य के लिए जन्मे थे वो मुम्बई में अखिल भारतीय मारवाड़ी महासभा के दूसरे अधिवेशन में आये। इस अधिवेशन को महात्मा गांधी संबोधित कर रहे थे और इसकी अध्यक्षता हैदराबद के रामलाल गनेड़ीवाल कर रहे थे। उस समय महात्मा गांधी की सलाह पर, जमनालाल बजाज, सेठ रामनारायण रुइया, ताराचंद घनश्यामदास पोद्दार, खेमराज कृष्णदास आदि अग्रवाल समाज के अग्रणी लोगों ने क्रांतिकारियों की मदद के लिए अग्रवाल जातीय कोष की स्थापना की थी।

मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, भारत पर अंग्रेजों का शासन हो गया था। भारतीयों का हर प्रकार के अन्याय का सामना करना पड़ रहा था। हर तरफ निराशा थी, बाल विवाह, पर्दा प्रथा आदि कुरीतियां बढ़ रहीं थीं। अखिल भारतीय मारवाड़ी अग्रवाल जातीय कोष का मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारियों को हर तरह की आर्थिक और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था। इसका दूसरा उद्देश्य नई पीढ़ी को शिक्षा उपलब्ध करवाना।

सन् 1919 में अग्रवाल जातीय कोष की स्थापना हुई और उसी समय समाज के विकास के लिए निधि की भी स्थापना की गयी। पहले ही दिन में 6 लाख से भी ज्यादा का धन अग्रवाल समाज के दानवीरों ने दान किया था।

1923 में इस ट्रस्ट का पंजीकरण सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत हुआ । राजपुताना शिक्षा मंडल की स्थापना अग्रवाल जातीय कोष की तरफ से हुई। इस संस्था ने पूरे राजस्थान में गुरुकुल, स्कूल और कॉलेज की स्थापना की।

विधवाओं, स्वतंत्रता सेनानियों और समाज के अन्य जरूरतमंद लोगों को वित्तीय और चिकित्सा सहायता दी जा रही थी। इस उद्देश्य के लिए, शिक्षा सहायता समिति, चिकित्सा और अन्य सहायता समिति और गुप्त दान समिति जैसी कुछ उप समितियों का गठन किया गया था। विशेष रूप से सहायता राजस्थान से शुरू हुई और पूरे भारत में विस्तारित हुई।

राम मनोहर लोहिया और सत्यकेतु विद्यालंकार जैसी विभूतियाँ भी इस संस्था की लाभार्थी रहीं।

1932 में गरीब लोगों को सस्ते घर दिलवाने के उद्देश्य से दादर में 6 इमारतों में 136 प्लाट बनाये गए। इस सोसाइटी का नाम दिया गया अग्रवाल नगर जो की जरूरतमंदों को सस्ते घर उपलब्ध करवाती थी।

1950-51 तक सभी स्वतंत्रता संग्राम से सामाजिक कार्य आराम से होते रहे फिर उसके बाद इस संस्था ने जरूरत मंदो की मदद करने को अपना मूल उद्देश्य बना लिया।

साभार: ~ प्रखर अग्रवाल

No comments:

Post a Comment

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।