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Saturday, June 20, 2020

RANAKPUR JAIN MANDIR - रणकपुर जैन मंदिर

रणकपुर जैन मंदिर



राजस्थान राज्य के पाली जिले में अरावली पर्वत की घाटियों के मध्य स्थित रणकपुर में ऋषभदेव का चतुर्मुखी जैन मंदिर है। चारों ओर जंगलों से घिरे इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।

राजस्थान में अनेकों प्रसिद्ध भव्य स्मारक तथा भवन हैं। इनमें माउंट आबू तथा दिलवाड़ा के विख्यात जैन मंदिर भी शामिल हैं। रणकपुर मंदिर उदयपुर से 96 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है।

मंदिर इमारत

यह परिसर लगभग ४०,००० वर्ग फीट में फैला है। करीब ६०० वर्ष पूर्व १४४६ विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो ५० वर्षों से अधिक समय तक चला। इसके निर्माण में करीब ९९ लाख रुपए का खर्च आया था। मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी चार विशाल मूर्तियाँ हैं। करीब ७२ इंच ऊँची ये मूतियाँ चार अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे चतुर्मुख मंदिर कहा जाता है। इसके अलावा मंदिर में ७६ छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, चार बड़े प्रार्थना कक्ष तथा चार बड़े पूजन स्थल हैं। ये मनुष्य को जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं।

मंदिर के सैकड़ों खम्बे इसकी प्रमुख विशेषता हैं। इनकी संख्या करीब १४४४ है। जिस तरफ भी दृष्टि जाती है छोटे-बड़े आकारों के खम्भे दिखाई देते हैं, परंतु ये खम्भे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के 'दर्शन' में बाधा नहीं पहुँचती है। इन खम्भों पर सुंदर नक्काशी की गई है।

मंदिर की छतपर की गई उत्कृष्ट नक्काशी

मंदिर के निर्माताओं ने जहाँ कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है, वहीं भविष्य में किसी संकट का अनुमान लगाते हुए कई तहखाने भी बनाए हैं। इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ये तहखाने मंदिर के निर्माताओं की निर्माण संबंधी दूरदर्शिता का परिचय देते हैं। मंदिर के उत्तर में रायन पेड़ स्थित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिह्न भी हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं।

साभार: विकिपीडिया 

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