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Thursday, February 10, 2022

JAISHALMER FORTE JAIN TEMPLE - जैसलमेर दुर्ग के जैन मंदिर

JAISHALMER FORTE JAIN TEMPLE - जैसलमेर दुर्ग के जैन मंदिर


जैसलमेर दुर्ग में कई प्राचीन जैन मंदिर बने हुए हैं। जिसमे से पार्श्वनाथ प्रभु, एवम संभवनाथ जी का मंदिर सबसे प्राचीन है। श्री पार्श्वनाथ जी का मुख्य मंदिर जैसलमेर के महारावल लक्ष्मण के राजत्वकाल में खरतरगच्छाधीश जिन राजसुरि के उपदेश से बनवाया गया था। इस मंदिर की प्रतिष्ठा 1402 ईसवी में सागर चंद्र सुरि जी के कर कमलों द्वारा करवाई गई थी। इस मंदिर का निर्माण ओसवाल वंश रांका गोत्रीय सेठ श्री जयसिंह जी ने करवाया था। उस समय इस मंदिर का नाम उस समय के महारावल लक्ष्मण के नाम से लक्ष्मण विहार था, परंतु बाद में श्री पार्श्वनाथ जी के नाम से विख्यात हुआ। इस मंदिर में कुल 1253 प्रतिमाएं हैं।

इस मंदिर के पास संभवनाथ जी का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1437 में महारावल लक्ष्मण के काल में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण श्री जिन भद्र सुरि जी के उपदेश से चोपड़ा गोत्रिय ओसवाल सेठ शिवरता, महिराज, लोला और लाखण नाम के चार भाईयो ने मिलकर कराया था। इस मंदिर में कुल 533 प्रतिमाएं हैं।

इस मंदिर के सामने शीतल नाथ जी का मंदिर है। शीतलनाथ जी की प्रतिमा अष्ट धातु की है। इस मंदिर का निर्माण 1480 में महारावल देवकरण के राज्यकाल में हुआ था। इस मंदिर का निचला हिस्सा संखलेचा गोत्रिय सेठ खेता ने करवाया था। ऊपरी भाग पिता ने अपनी बेटी वीरा के नाम पर करवाया था। बेटी ने अपने आभूषणों से प्रतिमा पर स्वर्ण परत चढ़वाया था। इसके अतिरिक्त चंद्र प्रभु स्वामी और ऋषभ देव जी के मंदिर भी बने हुए हैं।
ये मंदिर एक किले नुमा संरचना के अंदर है। मुख्य द्वार बेहद ही छोटा होना इस बात की प्रमाण है कि प्राचीन काल में शत्रुओ के आक्रमण से बचने एवम सुरक्षा की दृष्टि से मंदिरो एवम मकानों के मुख्य दरवाजे छोटे छोटे बनाए जाते थे।

लगभग छः सौ साल पुराने इन मंदिरों की स्थापत्य कला एवम इनमे स्थापित प्राचीन प्रतिमाएं देखते ही बनती है। इन मंदिरों में कुल 6600 प्रतिमाओं की पूजा प्रतिदिन होती है। मंदिरो के तोरण, गर्भगृह, शिखर और प्रदक्षिणाओ में बनी जैन एवम अन्य प्रतिमाएं शिल्पियों के श्रम और साधना के साथ साथ उच्च कोटि की कला का स्वरूप प्रस्तुत करती है। मूर्तियों की भाव भंगिमा देखते ही बनती है। मूर्तिकला के उच्च शिखर को प्राप्त इन प्रतिमाओं की तुलना कोणार्क, किराडू, खजुराहो से की जाती है।

SABHAR : ओम प्रकाश सोनी दंतेवाड़ा
संदर्भ — 1.सुनहरा नगर जैसलमेर नंदकिशोर शर्मा
2 जैसलमेर की सांस्कृतिक धरोहर डा रघुवीर सिंह भाटी
3 जैसलमेर राज्य का इतिहास मांगीलाल व्यास मयंक

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