ROHAN AGRAWAL A SUPER TRAVELLER
देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने पैदल निकल पड़े रोहन अग्रवालदेश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए महाराष्ट्र के कामठी नागपुर निवासी रोहन अग्रवाल 20 वर्ष निकले हैं। अब तक 17 राज्यों की पैदल और लिफ्ट लेकर यात्रा कर चुके हैं।
भारत देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए महाराष्ट्र के कामठी नागपुर निवासी रोहन अग्रवाल 20 वर्ष निकले हैं। अब तक 17 राज्यों की पैदल और लिफ्ट लेकर यात्रा कर लोगों को प्लास्टिक का उपयोग कम करने अथवा बंद करने की बात समझाने की कोशिश कर चुके हैं।
रोहन अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के प्रथम चरण में जब लाकडाउन लगा तो वे काफी डर गए थे। इस दौरान वे तीन महीने तक घर से ही नहीं निकले। इस अवधि में उन्होंने विभिन्ना धर्म के गुरुओं, आराध्य एवं महापुरुषों के बारे में अध्ययन किया।
सभी के जीवन में उन्हें एक ही चीज देखने को मिली कि मानवता की सेवा के लिए देश-दुनिया का भ्रमण कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। इसके बाद उन्होंने भी ठान लिया कि भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने पूरे देश का भ्रमण कर लोगों को जागरूक करेंगे।
25 अगस्त 2020 को उन्होंने वाराणसी से अपनी यात्रा प्रारंभ की। उस समय वे 18 वर्ष के थे और बीकाम सेकेंड ईयर के छात्र थे। अब 17 राज्य घूम चुके हैं। कोरोना संक्रमण काल में भ्रमण कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोरोना से डर नहीं लगता। उनके पिता जूस बेचते हैं। माता और एक छोटी बहन है।
धमतरी में वे 21 जनवरी की रात पहुंचे। रात्रि विश्राम के बाद 22 जनवरी की सुबह कांग्रेस नेता आनंद पवार, युकां नेता गौतम वाधवानी, तुषार जैस, रेहान विरानी ने उनका स्वागत किया। अब तक वे उत्तर प्रदेश,राजस्थान,हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना का भ्रमण कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ होते हुए ओडिशा जाएंगे। प्रतिदिन 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
पैदल चलने के अलावा बीच-बीच में किसी से लिफ्ट ले लेते हैं, लेकिन बस, ट्रेन और फ्लाइट में सफर नहीं करते। जहां पर शाम होती है ,वहां के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, पुलिस स्टेशन, सामुदायिक भवन में रात गुजार लेते हैं। जगह नहीं मिलती तो किसी के घर के बरामदे में भी सो जाते हैं।
डाकू ने पकड़ा, लेकिन बाद में खाना खिलाया और 1000 रुपये दिए
रोहन अग्रवाल ने बताया कि यात्रा के दौरान वे उत्तरप्रदेश के चंबल घाटी के बीहड़ इलाकों से होकर गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें एक डाकू ने पकड़ लिया। उसने बंदूक टिकाकर उसके बैग की तलाशी ली और पैसे मांगें। नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी। तभी उन्हें बौद्ध धर्म में कहा गया है कि अपनी बात लोगों को समझाने की कोशिश करनी चाहिए। तब उसने डाकू से कहा कि फांसी देने वालों की भी अंतिम इच्छा पूछी जाती है।
आप मेरी बात पांच मिनट सून लीजिए। डाकू ने गुस्से में कहा कि बोलो क्या बोलना है। इसके बाद उसने डाकू को अपने यात्रा का उद्देश्य बताया। इसके बाद डाकू प्रभावित हो गया। डाकू ने उसे खाना खिलाया और 1000 रुपये नकद दिए। साथ उस खतरनाक इलाके से सुरक्षित स्थान तक भी पहुंचाया।
2500 लेकर निकले थे, साइबेरिया तक जाने की इच्छा
वाराणसी से 2500 रुपये लेकर भारत भ्रमण में निकले हैं। रास्ते में लोग उनकी मदद कर देते हैं। छत्तीसगढ़ होते हुए ओडिशा जाएंगे। इसके बाद देश के पूर्वोत्तर राज्यों का भ्रमण कर लोगों को प्लास्टिक के प्रति जागरूक करेंगे।
भारत भ्रमण पूरा होने के बाद बांग्लादेश, म्यामांर जैसे देशों की यात्रा करेंगे। उनकी इच्छा साइबेरिया तक जाने की है। परिवार वालों की इच्छा नहीं थी कि वह इतनी कम उम्र में भारत भ्रमण पर निकले। डेढ़ साल में दो बार अपने घर भी जा चुका है।
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