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Thursday, April 25, 2024

महाराज अग्रसेन का वंश, अग्रवाल समाज और रामजन्मभूमि आंदोलन

महाराज अग्रसेन का वंश, अग्रवाल समाज और रामजन्मभूमि आंदोलन

#अग्रोपाख्यान ग्रन्थ के अनुसार महाराज इक्ष्वाकु के परम शुद्ध कुल में #मान्धाता, #दिलीप, #भगीरथ, #रघु, #राम आदि अनेक राजा हुए। उसी कुल में राजा वल्लभसेन हुए। उन्होंने प्रतापपुर में शासन किया। वल्लभसेन के प्रतापी पुत्र महाराज अग्रसेन ने राज्य का विस्तार किया तथा आग्रेय गणराज्य की स्थापना की।

पं रामकुमार दाधीच जी द्वारा रचित #श्रीमहालक्ष्मीचरितमानस में भी #अग्रवाल कुल के प्रवर्तक महाराज अग्रसेन के पिता प्रतापपुर नरेश #वल्लभसेन को भगवान् राम का वंशज माना गया है। श्रीमहालक्ष्मीचरितमानस की कथावस्तु 9 सोपानों में विभक्त है। प्रथम सोपान आदिकाण्ड की कथावस्तु के अनुसार #विदर्भ देश की राजकुमारी #भगवती नित्य रामायणपाठ करती थी। #रामायणपाठ के प्रभाव से उसके ह्रदय में यह अभिलाषा जगी कि मेरा विवाह भगवान #राम के वंशज से ही हो –

राजकुमारी भगवती नामा। गुणशालिनी तारुण्य ललामा ।।
अरुणिम किरण मनहुं सविता की। सरस उक्ति अथवा कविता की ।।

शरच्चन्द्र की चन्द्रिका स्वर्गंगोद्भव पद्म।
रूपोदधिमथनोद्भवा सुधा मधुरतासद्म ।।

सहज सौम्य करुणामयी धीरोदात्त स्वभाव।
नित रामायणपाठ से मन में उपजा भाव ।।

#सूर्यवंशमणि राम के कुल में करूँ विवाह।
जननी को संकल्प यह कहा सहित उत्साह ।।

राजकुमारी भगवती को स्वप्न में एक राजकुमार दिखाई पड़ा। उसने राजकुमार का चित्र बनाकर अपनी माँ को दिखाया। यह वृत्तान्त सुनकर विदर्भनरेश ने मंत्री को चित्र दिखाकर सारी बात बताई। मंत्री ने कहा – यह चित्र सूर्यकुलभूषण भगवान् राम के वंशज #वल्लभसेन का है –

मंत्री बोला चित्रगत है प्रतापपुरभूप।
सूर्यवंशमणि वल्लभभट गुणराशि अनूप ।।

क्षत्रियवर्ण सूर्यकुलख्याता। तहँ नृप हुए प्रथित बहु ताता ।।
इक्ष्वाकू दिलीप रघु दशरथ। श्री भगवान राम सब समरथ ।।
महिमा अमित न जाय बखानी। सूर प्रजावत्सल भट दानी ।।

परम्परा में राम की राजा वल्लभसेन।
हुआ प्रजावत्सल यह राखे प्रजा सुखेन ।।

विदर्भनरेश ने राजकुमारी भगवती का विवाह राजा वल्लभसेन से कर दिया। राजा वल्लभसेन और रानी भगवती के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में अग्रसेन का जन्म हुआ। उनके गुण और कर्म वैश्यवर्ण के अनुरूप थे। इसलिये उनके #आग्रेय गण ने राष्ट्र के आर्थिक विकास में महनीय योगदान दिया। आग्रेय गण की राजधानी अग्रोहा की गणना भारत के श्रेष्ठ नगरों में होती थी। अग्रभागवत के अनुसार महाराज अग्रसेन के राष्ट्रध्वज पर सूर्यभगवान अंकित थे ये भी उनके सूर्यवंशी होने को दर्शाता है।

शिखरे राजभवने महोचछायध्वजोत्कटे।
अलक्ष्यत ध्वजं पीतवर्णं भानुसुलक्षणं ।। अग्रभागवत 10:31

#राम_जन्मभूमि_आंदोलन_और_अग्रवाल समाज

रामजन्मभूमि आंदोलन में अग्रवाल समाज ने अग्रणी भूमिका निभाई। अग्रवाल समाज के वीर सपूत श्री #अशोक_सिंहल जीवन भर विश्व हिन्दू परिषद् के माध्यम से रामजन्मभूमि के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने परम पूज्य शंकराचार्यों, नाथ सम्प्रदाय, व अनेकों साधु-संतों, महात्माओं का आशीर्वाद लेकर रामजन्मभूमि आंदोलन खड़ा किया। रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज में वो चोटिल भी हुए थे।

हिन्दू हृदय सम्राट ब्रह्मलीन श्री अशोक सिंहल भगवान् राम के वंशज थे। उनका जन्म अग्रोहानरेश महाराज अग्रसेन की कुलपरम्परा में हुआ था। बाबरी मस्जिद तोड़ने की बात नेशनल मीडिया पर सबसे पहले कबूल करने वाले #शिव_सेना के #जय_भगवान_गोयल भी अग्रवाल समाज से आते हैं। #राम_लला विराजमान को मुख्य पार्टी बनवाने का केस लड़ने वाले श्री #देवकीनंदन_अग्रवाल थे। रामलला के लिए माहेश्वरी वैश्य #कोठारी_बंधुओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया। इस तरह अनेकों अग्रवालों ने श्री राम का वंशज होना चरितार्थ किया।

अग्रवाल भगवान् राम के पुत्र #कुश के वंशज हैं। महाराज अग्रसेन को समाजवाद का प्रथम पुरुष कहा जाता है। उन्होंने अपने राज्य में बसने वाले हर नए शख्स के लिए नियम बनाया था की उन्हें आग्रेय गणराज्य के प्रत्येक घर से एक रुपये और एक ईंट मिले। जिससे नवंतुक परिवार के पास पर्याप्त धन हो नया व्यापार शरू करने के लिए। महाराज अग्रसेन के वंशजों ने भी वैश्यवर्ण के गुण-कर्म अपनाकर राष्ट्र का आर्थिक उत्कर्ष किया। महाराज अग्रसेन के ही संस्कारों के कारण अग्रवाल समाज में शुद्ध शाकाहार और दान की परंपरा पड़ी। अग्रवाल समाज में लाला लाजपत राय, जमनालाल बजाज, भारतेंदु हरिश्चन्द्र, हनुमान प्रसाद पोद्दार, सर गंगाराम, राम मनोहर लोहिया, भारत रत्न डॉ भगवान दास जैसी कई महान विभूतियों हुईं जिन्होंने राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

जय महाराज अग्रसेन जय कुलदेवी महालक्ष्मी जय

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