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Thursday, April 25, 2024

JAY AGRAWAL - ANUJ AGRAWAL - GYAN DAIRY - UP'S BIGGEST MILK PRODUCER & SUPPLIER

JAY AGRAWAL - ANUJ AGRAWAL - GYAN DAIRY - UP'S BIGGEST MILK PRODUCER & SUPPLIER

ये इंजीनियर रोज बेचता है 11 लाख लीटर दूध, कर्ज में दबी कंपनी को बना दिया दुधारू गाय, टर्नओवर 1000 करोड़ पार

लखनऊ से 230 किलोमीटर दूर कैमगंज में जन्मे जय अग्रवाल को अगर यूपी का सबसे बड़ा दूधवाला कहा जाए तो गलत नहीं होगा. अमूल और दूसरी बड़ी कंपनियां जहां यूपी में अपनी सेल बढ़ाने को झटपटा रही हैं, जय अग्रवाल की डेयरी रोजाना 11 लाख लीटर और 3 लाख किलो दही बेच देती है. 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर है. खास बात यह है कि दिवालिया होने की कगार पर खड़ी एक कंपनी को खरीदकर जय ने बुलंदियों तक पहुंचा दिया, वह भी तब, जबकि वे इस धंधे के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते थे. जय अग्रवाल ने यह करिश्मा कैसे किया? यह कहानी काफी रोचक है.


जय अग्रवाल ने डीवाई पाटिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से डिग्री हासिल की. इसके बाद 2001 में जय अपने फैमिली बिजनेस से जुड़ गए. उनका परिवार लगभग 40 वर्षों से तंबाकू का बिजनेस करता था, जिसे जय के दादा ने स्थापित किया था. इंजीनियरिंग करते आए जय अग्रवाल अपने कम्फर्ट जोन से निकलना चाहते थे. उन्होंने फोर्ब्स इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि नॉलेज का सही तरीका एक्सपेरिमेंट करना है.

अलग-अलग आइडिया दिमाग में आए, मगर एक आइडिया दिमाग में घर कर गया. 2003 में, जय ने साहस दिखाते हुए पहला प्रयोग किया. 90 के दशक में यूपी में लोकप्रिय डेयरी कंपनी ज्ञान (Gyan Dairy) भारी वित्तीय संकट से गुजर रही थी और उसके मालिक साझेदार की तलाश में थे. जय ने अपने परिवार को इस बिजनेस से जुड़ने की इच्छा बताई और डेयरी बिजनेस में हाथ डालने का निर्णय लिया. ऐसे बिजनेस में उतरने का साहस दिखाया, जिसके बारे में उन्हें कोई ज्ञान, अनुभव या विशेषज्ञता नहीं थी.

एक साल में ही मिला हार का सबक

12 महीने ही बीते थे कि धंधा चौपट हो गया. जय खुद बताते हैं कि तबाह हो गया. इस असफलता के पीछे भारी वित्तीय संकट था. कई ऋणदाताओं और बैंकों ने लगातार पैसा मांगा और दबाव बढ़ता गया. कंपनी टिक नहीं पाई, लेकिन पहली बार बिजनेस जगत में उतरे जय अग्रवाल को काफी कुछ सीखने का मौका मिला. हालांकि यह सीख लेकर वे अपने पारिवारिक तंबाकू के बिजनेस में लौट गए. इसके एक साल बाद जय के छोटे भाई अनुज ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और बिजनेस से जुड़ गए. उसी समय, 2004 में, फैमिली बिजनेस पर लोकल तंबाकू प्लेयर्स ने कम दाम में तंबाकू बेचकर नई समस्या खड़ी कर दी. दोनों भाइयों (जय और अनुज) ने मिलकर कई उत्पादों की सीरीज लॉन्च की और रिटेल नेटवर्क को बड़ा करके इस समस्या से निजात दिलाई.

पहले नाराज हुए, फिर मान गए पापा

उधर, ज्ञान डेयरी की वित्तीय स्थिति लगातार खराब हो रही थी. जब कंपनी अपने उधार चुकता नहीं कर पाई तो दोनों भाइयों ने मिलकर उसे खरीद लिया. दोनों भाई एक बार फिर ज्ञान डेयरी में अपना हाथ आजमाने की तैयारी कर ली, मगर उनके पिता नहीं चाहते थे कि वे डेयरी के धंधे में उतरें. 2003 में हुई दुर्गति को देखते हुए उनके पिता ने जय और अनुज के प्रोजेक्ट के लिए फंड देने से इनकार कर दिया. हालांकि उनके दादा ने अपने पोतों के लिए स्टैंड लिया और उनका साथ दिया. बाद में परिवार के बाकी सदस्यों ने भी इस फैसले का साथ दिया और कहा कि यदि फिर से प्रोजेक्ट फेल हो जाए तो वापस अपने पुराने काम में लौट आएं, और उसके बाद फिर कोई और एक्सपेरिमेंट नहीं करना होगा.

सोचिए, अगर आपको अपने आइडिया पर काम करने के लिए परिवार से इतनी तगड़ी सपोर्ट मिल जाए तो आपका कॉन्फिडेंस किस स्तर का होगा. जबरदस्त कॉन्फिडेंस के साथ जय और अनुज अग्रवाल ने 2007 में एक बार फिर ज्ञान डेयरी को उठाने की कोशिश की. ज्ञान डेयरी ने अपना फोकस मिल्क पाउडर पर शिफ्ट किया और दूसरी कंपनियों को अपना ग्राहक बनाया. इसी काम में ठीक-ठाक पैसा बनाया. बता दें कि एक कंपनी के ग्राहक जब दूसरी कंपनियां होती हैं तो इस बिजनेस मॉडल को B2B कहते हैं. मतलब बिजनेस टू बिजनेस.

2008 की मंदी ने दिया तगड़ा झटका

अभी एक बड़ा झटका आना अभी बाकी था. 2008 में अमेरिकी वित्तीय संस्था लेहमैन ब्रदर्स वाला संकट पूरी दुनिया पर छा गया. आर्थिक मंदी ने कंपनियों पर भी काफी बुरा असर डाला. जय अग्रवाल को तब लगा कि उन्हें B2C मॉडल पर जाना चाहिए. गौरतलब है कि जब कोई कंपनी सीधे खपतकार अथवा कंज्यूमर को उत्पाद पहुंचाती है तो इस बिजनेस मॉडल को B2C अथवा बिजनेस टू कस्टमर कहा जाता है.

सीधे कंज्यूमर तक पहुंचने के नजरिए से कंपनी ने डेयरी वाइटनर (dairy whitener) और घी बनाना शुरू किया. इस काम में काफी पैसा लगा. इन दोनों उत्पादों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए काफी पैसा डाला गया. मगर झटका तब भी लगा जब यह प्लान भी फ्लॉप हो गया. डेयरी वाइटनर को लोगों ने भाव नहीं दिया. दोनों भाइयों ने हालांकि अपने B2B काम को जारी रखा, ताकि पैसा आता रहे.

एक अवसर आया, लेकिन…

दो साल बाद 2011 में देश में डेयरी के दो बड़े ब्रांड लखनऊ में अपना प्लांट लगाने के बारे में सोच रहे थे. अग्रवाल भाइयों को इसमें एक अवसर नजर आया. बड़ी कंपनियों से बात हुई और लिक्विड मिल्क को प्रोसेस करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया. मगर… फिर से, एक बार निराशा हाथ लगी. अनुज कहते हैं, “दोनों कंपनियों ने अंतिम समय पर अपने हाथ खींच लिए.” चूंकि भारी निवेश हो चुका था, तो दोनों भाई इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते थे.

20 वाला दूध 40 रुपये में खरीदा

ऐसी स्थिति में अग्रवाल बंधुओं ने फिर से कंज्यूमर तक पहुंचने का प्लान बनाया. कंपनी के बैनर तले फ्रेश मिल्क पैक लॉन्च किया गया. बाकी डेयरी कंपनियां यूपी के पश्चिमी हिस्से से दूध की खरीद करते थे, मगर ज्ञान डेयरी ने पूर्वी यूपी तक पहुंच बनाई. अनुज अग्रवाल ने बताया कि यह एक वर्जिन एरिया था और बड़ी कंपनियों के लिए ब्लाइंड स्पॉट था. अनुज और जय ने फोर्ब्स इंडिया से बात करते हुए ये बातें बताईं.

पूर्वी यूपी में दोनों भाइयों ने किसानों को प्रति लीटर दूध के लिए 40 रुपये का भाव दिया. तब बाकी डेयरियां केवल 20 रुपये के भाव पर दूध खरीद रही थीं. अनुज अग्रवाल कहते हैं कि पहले तो किसानों ने अच्छा महसूस किया, मगर एक महीने बाद जब पेमेंट का दिन आया तो वे चिंतित नजर आए. उन्होंने हंसते हुए कहा, “पेमेंट के दिन किसानों ने अपने गांव के सभी रास्ते बंद कर दिए. उन्हें लगा कि हम पेमेंट नहीं करेंगे और गांव से भाग जाएंगे.” उस दिन पूरा पैसा दिया गया तो लोग खुश हो गए. यहीं से बिजनेस बढ़ना शुरू हुआ. बाद में ज्ञान डेयरी के पैक में दही भी आने लगा.

हजारों की संख्या में रिटेल स्टोर, 50 से ज्यादा आउटलेट

2015 तक, ज्ञान डेयरी के पास 5,000 किसान थे और कंपनी किसानों को उनके पशुओं के लिए अच्छी क्वालिटी की फीड भी मुहैया करवाने लगी. दूध का कलेक्शन तो बढ़ा ही, साथ ही सेल भी 100 करोड़ पार कर गई. क्वालिटी से किसी तरह का समझौता न हो, इसके लिए जय अग्रवाल ने कलेक्शन केंद्रों पर खुद दूध की टेस्टिंग की. 2018 तक कंपनी की सेल बढ़कर 564.54 करोड़ हो गई. 2020 में ज्ञान के साथ 3,000 गांवों से 1,50,000 किसान जुड़ चुके थे और सेल बढ़कर 901.23 करोड़ गई थी.

नमस्ते इंडिया और अमूल को उत्तर प्रदेश में अपने पैर जमाने में खूब दम लगाना पड़ रहा था, मगर ज्ञान डेयरी ने 20 प्रतिशत मार्केट शेयर पर कब्जा कर लिया था. कोरोना आया तो भी ज्ञान डेयरी ने कदम पीछे नहीं खींचे और लोगों को उनके घर के दरवाजे तक दूध पहुंचाया. किसी भी कंपनी के लिए 1000 करोड़ की सेल के स्तर को पार करना अहम होता है. जय अग्रवाल की कंपनी ज्ञान डेयरी ने 2022 में इस अहम स्तर को पार कर लिया. केवल उत्तर प्रदेश में ही कंपनी के पास 50 से अधिक आउटलेट हैं और 20,000 रिटेल स्टोर हैं. अक्टूबर 2022 में कंपनी ने घोषणा की कि उसने अभिनेत्री करीना कपूर को ब्रांड अंबेसडर बनाया.

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