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Thursday, April 25, 2024

अग्रवाल,ओसवाल और माहेश्वरी समाज का भौगोलिक विस्तार

अग्रवाल,ओसवाल और माहेश्वरी समाज का भौगोलिक विस्तार

*मारवाड़ी कलकत्ता कैसे आये ? कृष्ण कुमार बिड़ला की आत्मकथा "ब्रशेज विद़ हिस्ट्री" में इसकी कहानी प्रकाशित की गई है :*

‘16वीं सदी तक व्यापारिक समुदाय राजस्थान तक ही सीमित थे । अकबर के प्रमुख सेनापति और अंबेर (आमेर) के राजा मानसिंह ने जब दूरदराज के इलाकों को जीतना शुरू किया, तो उनके साथ ही व्यापारिक समुदाय के लोग भी अपनी जन्मभूमि से बाहर निकले । फिर समय के साथ-साथ पूरे देश में फैल गए ।

*राजा मानसिंह शेखावटी के रहने वाले थे । उसी इलाके के, जहां का बिड़ला परिवार है । मानसिंह को 1594 में बंगाल का गवर्नर बनाया गया । इस पद पर वह अनेक वर्षों तक आसीन रहे । इसका अर्थ यह हुआ कि मारवाड़ी बंगाल में करीब 400 वर्षों से रह रहे हैं ।*

यहां मारवाड़ी शब्द सभी राजस्थानी बनियों के लिए इस्तेमाल होता है - चाहे वे मारवाड़ के हों, मेवाड़ के या फिर शेखावटी के ।

*के.के.बिड़ला का कहना है कि उत्तर भारत में तीन मुख्य व्यापारिक समुदाय हैं - अग्रवाल, ओसवाल और माहेश्वरी । ये तीनों ही जातियां क्षत्रिय वंशज हैं । अग्रवाल, माहेश्वरी और ओसवाल ये तीनों आज भारत की सबसे धनाढ्य जातियां हैं और आज भारतीय अर्थव्यस्था की रीढ़ की हड्डी हैं । अधिकांश बड़े औद्योगिक घराने इन्हीं तीनों जातियों द्वारा स्थापित हैं । इनमें माहेश्वरी समुदाय सबसे छोटा है और बिड़ला परिवार इसी समुदाय के अंतर्गत आता है ।*

*बिड़ला बताते हैं कि माहेश्वरी मूल रूप से क्षत्रिय हैं, जिन्होंने वैश्य बनना पसंद किया । माहेश्वरी मूल रूप से राजस्थान के खंडेला के निवासी हैं.. जिन 72 क्षत्रिय उमरावों ने भगवान महेश और माता पार्वती के आदेश पर क्षत्रिय वर्ण त्याग करके वैश्य वर्ण स्वीकार किया, वो भगवान महेश के ही नाम से माहेश्वरी कहलाये.*

*वर्तमान में डी-मार्ट के दम्मानी, बांगड़ सीमेंट के बांगड़, फ्यूचर ग्रुप्स के बियानी, प्रसिद्ध मीडिया समूह इंडिया टुडे ग्रुप के बिड़ला । रामलला के लिए अपनी आहूति देने वाले दोनों कोठारी बंधु भी माहेश्वरी समाज के ही थे ।*

*अग्रवाल समाज इक्षवाकु वंश में जन्मे महाराज अग्रसेन के वंशज माने जाते हैं । महाराज अग्रसेन हरियाणा के अग्रोहा क्षेत्र के शासक थे । जाति भास्कर, भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा रचित "अग्रवाल जाति की उत्पत्ति" और अग्रभागवत के अनुसार महाराज अग्रसेन ने पशु बलि के विरोध में क्षत्रिय धर्म का त्याग कर वैश्य धर्म स्वीकार किया था ।*

*जैन विदिशा के अनुसार जैन धर्म गुरु लोहचार्य अग्रोहा आये थे । उनके सान्निध्य में तत्कालीन राजा दिवाकर और काफी प्रजा जैन हो गयी थी । आज अग्रवालों की 14% जनसंख्या जैन है और बाकी सनातन धर्मी ।*

*आजादी की लड़ाई में अग्रवाल समाज का अतुलनीय योगदान रहा है । गरम दल लाल-बाल-पाल तिकड़ी के लाला लाजपत राय, 1857 की क्रांति के भामाशाह रामजीदास गुड़वाला, हरियाणा के हांसी के लाला हुकुमचंद जैन, गीता प्रेस के संस्थापक हनुमानप्रसादजी पोद्दार या महात्मा गाँधी के पंचम पुत्र माने जाने वाले जमनालाल बजाज अग्रवाल समाज से ही आते हैं ।*

ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स में भी फ्लिपकार्ट स्नैपडील से लेकर ओयो ओला तक के फाउंडर अग्रवाल समाज से आते हैं ।

*ओसवाल समाज राजस्थान के जोधपुर के समीप स्थित क्षेत्र ओसियां से निकला है. जैन ग्रंथों के अनुसार महाराज उत्पल देव, जो सोलंकी क्षत्रिय थे - उनके शासन काल के दौरान एक जैनाचार्य ओसियां पधारे थे । उनके सान्निध्य में ओसियां के क्षत्रिय राजपूतों ने जैन धर्म स्वीकार किया, जिनकी गिनती कालांतर में व्यापार करने की वजह से वैश्य वर्ण में होने लगी ।*

*महाराणा प्रताप के प्रधानमंत्री भामाशाह स्वयं ओसवाल समाज से आते थे । जिन्होंने महाराणा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर युद्ध किया और अपनी सर्व संपति भी राज्य हित में समर्पित कर दी थी । बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज BSE के जनक प्रेमचंद रॉयचंद और ISRO के जनक विक्रम साराभाई ओसवाल समाज के रत्न हैं ।*

*"द मारवाड़ी हेरिटेज" और "इंडस्ट्रियल एंटरप्रन्योरशिप ऑफ शेखावटी मारवाड़ीस" के लेखक डी. के. टकनेत ने लिखा है कि कर्नल टॉड ने राजस्थान से निकली 128 व्यापारिक जातियों की चर्चा की है, लेकिन भारतीय व्यापार में मुख्य भूमिका निभाने में अग्रवाल, माहेश्वरी और ओस़वाल ही आगे आ पाये ।

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