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Wednesday, May 6, 2020

NIRMALA JAIN - निर्मला जैन

निर्मला जैन ( Nirmala Jain) का हिंदी आलोचना संसार में विशिष्ट स्थान है। निर्मला जैन का जन्म 1932 में हुआ था। आलोचना की डगर मुश्किल होती है और उस डगर पर अगर कोई स्त्री हो तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। इन्हीं मुश्किलों के बीच से रास्ता बनाते हुए डॉ. निर्मला जैन ने हिंदी आलोचना को मजबूती प्रदान की है। उनका काम ऐसा है कि उनके हिस्से में ज्यादातर नाराजगी ही आती है खासकर तब, जब वह किसी खेमेबाजी में भरोसा न करती हों और अपने ऊपर किसी का दबाव न आने देती हों।

प्रमुख रचनाएँ

'आधुनिक हिंदी काव्य में रूप विधाएं'

'रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र'

'आधुनिक साहित्य: मूल्य और मूल्यांकन'

'आधुनिक साहित्य: रूप और संरचना'

'समाजवादी साहित्य : विकास की समस्याएं' और 'पाश्चात्य साहित्य चिंतन'

सम्मान और पुरस्कार

हरजीमल डालमिया पुरस्कार

तुलसी पुरस्कार

रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार

सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार

साभार: भारत डिस्कवरी प्रस्तुति

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