सीता राम गोयल
जन्म 16 October 1921
पंजाब, ब्रितानी भारत
मृत्यु 3 दिसम्बर 2003
व्यवसाय इतिहासकार, प्काशक
उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय
अवधि/काल २०वीं शताब्दी
विधा इतिहास, राजनीति, तुलनात्मक धर्म
विषय हिन्दू धर्म, धार्मिक परम्पराएँ, ईसाई धर्म, इस्लाम, साम्यवाद, भारतीय राजनीति, ब्रितानी साम्राज्यवाद
उल्लेखनीय कार्यs How I Became a Hindu (मैं किस प्रकार हिन्दू बना)
The Story of Islamic Imperialism in India
History of Hindu–Christian Encounters, AD 304 to 1996
Catholic Ashrams
Hindu Temples: What Happened to Them
सीता राम गोयल (१९२१ - २००३) भारत के बीसवीं शती के प्रमुख इतिहाकार, लेखक, उपन्यासकार और प्रकाशक थे। उन्होने हिन्दी और अंग्रेजी भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन किया। विख्यात ऋषि और दार्शनिक राम स्वरूप उनके गुरु और सहयोगी थे। १९४० के दशक में उनका झुकाव मार्क्सवाद की तरफ था किन्तु बाद में वे घोर साम्यवाद-विरोधी हो गये। बाद में वे इसाईयत, इस्लाम एवं भारतीय इतिहास एवं राजनीति के प्रमुख व्याख्याता (कमेंटेटर) बनकर उभरे।
जीवन परिचय
श्री सीता राम गोयल का जन्म हरियाणा के एक रुढ़िवादी हिन्दू परिवार में हुआ था। किन्तु उनका बचपन कोलकाता में बीता। वे पहले गाँधीजी से प्रभावित थे। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने हरिजन आश्रम के लिए काम किया। छात्रों के बीच अध्ययन केंद्र भी चलाया। बीस वर्ष के होते-होते वे मार्क्सवाद के प्रभाव में आए। उन्होंने 1944 में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. किया। मेधावी छात्र के रूप में उन्हें कई पुरस्कार भी मिले।
1957 में सीताराम जी दिल्ली आ गए। कुछ समय तक जयप्रकाश नारायण के सहयोगी का भी काम किया। मार्क्सवाद और कम्युनिज्म की आलोचना से बढ़ते-बढ़ते गोयल इतिहास की ओर प्रवृत्त हुए। यह स्वभाविक था। यहाँ बौद्धिक क्षेत्र में मार्क्सवादी प्रहार इतिहास की मार्क्सवादी कीमियागिरी के माध्यम से ही हो रहा था। भारतीय मार्क्सवाद में सोवियत संघ व चीन का गुण-गान, इस्लाम का महिमामंडन तथा हिंदुत्व के प्रति शत्रुता – यही तीन तत्व सदैव केंद्रीय रहे। अतएव मार्क्सवादियों से उलझने वाले के लिए भी इन विषयों में उतरना लाजिमी हो जाता है। उसे हिंदुत्व के पक्ष में खड़ा होना ही पड़ता है। सीताराम जी ने भी कम्युनिज्म की घातक भूमिका, भारतीय इतिहास के इस्लामी युग, हिंदुत्व पर हो रहे इस्लामी तथा ईसाई मिशनरी हमलों के बारे में अथक रूप से लिखा। इस के लिए ही उन्होंने ‘वॉयस ऑफ इंडिया’ (हिंदी में ‘भारत-भारती’) नामक प्रकाशन संस्था कायम की जो आज भी चल रही है। 1951 से 1998 तक गोयल ने स्वयं तीस से भी अधिक पुस्तकें तथा सैकड़ों लेख लिखे। बेल्जियन विद्वान कोएनराड एल्स्ट ने नोट किया है, गोयल की बातों का या उनकी पुस्तकों में दिए तथ्यों का आज तक कोई खंडन नहीं कर सका है। उसके प्रति एक सचेत मौन रखने की नीति रही। इसीलिए उनके लेखन से हमारे आम शिक्षित जन काफी-कुछ अनजान से ही हैं।
सामाजिक कार्य
अपने विद्यार्थी जीवन में वे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे और अपने गाँव के एक हरिजन आश्रम के लिये काम करते थे। आर्य समाज, हरिजन एवं भारत का स्वतंत्रता संग्राम के लिये उनके जुड़ाव के कारण तथा महात्मा गांधी का समर्थन करने के कारण गाँव के कई लोगों से उनका बिगाड़ हो गया था।
ग्रन्थ
हिन्दू समाजः संकटों के घेरे में
सप्तशील उनका एक उपन्यास है।
en:Hindu Society under Siege (1981, revised 1992) ISBN 81-85990-67-0
en:The Story of Islamic Imperialism in India (1982; second revised edition 1994) ISBN 81-85990-23-9
en:How I Became a Hindu (1982, enlarged 1993) ISBN 81-85990-05-0
en:Defence of Hindu Society (1983, revised 1987) ISBN 81-85990-24-7
The Emerging National Vision (1983)
en:Understanding Islam through Hadis (1983) ISBN 0-682-49948-X
History of Heroic Hindu Resistance to Early Muslim Invaders (1984; 2001) ISBN 81-85990-18-2
en:Perversion of India's Political Parlance (1984) ISBN 81-85990-25-5
Saikyularizm, Râshtradroha kâ Dûsrâ Nâm (Hindi: "Secularism, another name for treason", 1985)
Papacy, Its Doctrine and History (1986)
en:The Calcutta Quran Petition by Chandmal Chopra and Sita Ram Goel (1986, enlarged 1987 and again 1999) ISBN 81-85990-58-1
en:Muslim Separatism - Causes and Consequences (1987) ISBN 81-85990-26-3
en:Catholic Ashrams, Adapting and Adopting Hindu Dharma, edited by S.R. Goel (1988, enlarged 1994 with new subtitle: Sannyasins or Swindlers?) ISBN 81-85990-15-8
en:History of Hindu-Christian Encounters (1989, enlarged 1996) ISBN 81-85990-35-2
en:Hindu Temples - What Happened to Them (1990 vol.1 ISBN 81-85990-49-2; 1991 vol.2 ISBN 81-85990-03-4, enlarged 1993)
Genesis and Growth of Nehruism (1993)
Jesus Christ: An Artifice for Aggression (1994)
Time for Stock-Taking (1997), (critical of the RSS and BJP)
Preface to the reprint of Mathilda Joslyn Gage: Woman, Church and State (1997, ca. 1880), (feminist critique of Christianity)
Vindicated by Time: The Niyogi Committee Report (edited by S.R. Goel, 1998), a reprint of the official report on the missionaries' methods of subversion and conversion (1955)
en:Freedom of expression - Secular Theocracy Versus Liberal Democracy (1998, edited by Sita Ram Goel) ISBN 81-85990-55-7
सीताराम गोयल आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद के महान नायक है । वामपंथ , गांधीवाद , नेहरूवाद , इस्लाम की ऐसी समीक्षा की जो दुनिया के किसी लेखक के ग्रंथो में नहीं मिलती , ऐसा डेविड फ्रौली और कोएनरोड़ भी मानते है । नमन है भारत के इस महान सपूत को ।
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