रमणिका गुप्ता (जन्म- 1930, सुनाम, पंजाब) हिन्दी की आधुनिक महिला साहित्यकारों में से एक हैं। साहित्य, सियासत और समाज सेवा, इन तीनों ही क्षेत्रों में उन्होंने समान रूप से सक्रिय रहकर प्रसिद्धि प्राप्त की है। उनका कर्मक्षेत्र बिहार और झारखंड रहा है। रमणिका जी की लेखनी में आदिवासी और दलित महिलाओं, बच्चों की चिंता उभर कर सामने आती है।
रचना कार्य
रमणिका गुप्ता के खाते में कई चर्चित पुस्तकें हैं। उनके द्वारा संपादित पुस्तक 'दलित चेतना साहित्य', 'दलित चेतना सोच' और 'दलित सपनों का भारत' में दलितों के प्रति उनका दर्द पढ़ा और महसूस किया जा सकता है।
संपादक
रमणिका जी त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका 'युद्घरत आम आदमी' की संपादक हैं।
स्वयंसेवी
रमणिका गुप्ता विधान परिषद की सदस्य भी रही हैं और कई गैर सरकारी एवं स्वयंसेवी संगठनों से संबद्घ हैं। जीवन के आठ दशक की सीमा रेखा लांघने के बाद भी साहित्यिक गतिविधियों में उनकी सक्रियता से कई लोग प्रेरणा हासिल करते हैं।
साभार: भारत डिस्कवरी
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