Tina Munim Ambani- टीना मुनीम अम्बानी
बाहरी दिखावे से परे टीना के भीतर गज़ब का आत्मविश्वास है जो उन्हें सबसे अलग, सबसे बेहतर बनाता है!
मुंबई। 11 फरवरी 1957 को जन्मीं पूर्व अभिनेत्री टीना मुनीम शादी के बाद टीना अंबानी हो गईं! कभी अभिनेत्री टीना मुनीम की पहचान उनकी फ़िल्मों से थी।1975 में एक अंतर्राष्ट्रीय सौन्दर्य प्रतियोगिता में जीत हासिल करने के बाद देवानंद साहब की नज़र उन पर पड़ी और 'देस-परदेस' फ़िल्म से 1978 में टीना ने फ़िल्म जगत में अपना पहला कदम रखा।
टीना एक ऐसे गुजराती वैश्य परिवार से आती थीं जिसका फ़िल्मों से दूर तक कोई नाता न था और न ही वो खुद फ़िल्मों में दिलचस्पी रखती थीं। मगर देवानंद जैसे महान अभिनेता का प्रस्ताव कोई कैसे ठुकरा सकता था और फिर उनका फ़िल्मी सफ़र बड़े सुन्दर मकाम हासिल करता 1987 तक चलता रहा जब तक कि वो कॉलेज अटेंड करने कैलिफ़ोर्निया नहीं चली गयीं। इस बीच उन्होंने 30-35 फ़िल्मों में काम किया जिनमें संजय दत्त के साथ 'रॉकी' सुपर हिट रही।
बासु चटर्जी के साथ उन्होंने दो फ़िल्में दीं- 'बातों-बातों में',और 'मनपसंद'। हालांकि वे खुद 'अधिकार' को अभिनय की दृष्टि से सबसे बेहतरीन फ़िल्म मानती हैं। 1991 में जब टीना 31 वर्ष की थीं तब उन्होंने अनिल अंबानी से विवाह किया। टीना के फ़िल्मी जीवन में बेशक उनके सम्बन्ध अभिनेताओं से जोड़े गए,ख़ास तौर पर राजेश खन्ना के साथ। पर विवाह के पश्चात टीना अंबानी परिवार की बेहतरीन बहु, अच्छी पत्नी और मां साबित हुईं हैं।
टीना बार बार अपने साक्षात्कारों में ये कहती रही हैं कि उनके पति अनिल ने उन्हें आज तक किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं किया और ऐसा कुछ भी नहीं उनके जीवन में जो वे पाना चाहती हों और पा न सकी हों। परियों की कथा सी है टीना की कहानी....सब कुछ सुनहरा...चमचमाता...चमत्कारी !
टीना-अनिल के दो बेटे हैं जय अनमोल अंबानी और जय अंशुल अंबानी।
टीना मुंबई की चमक-धमक से दूर रहना पसंद करती हैं, शोभा डे की पत्रिका “हेल्लो” के अप्रेल 2012 के संस्करण में टीना फिर लम्बे अंतराल के बाद कवर पेज पर दिखीं। इसी पत्रिका के लिए दिए एक साक्षात्कार में टीना ने शोभा डे को बताया कि आम सोशलाइट औरतों की तरह वे ब्रांडेड कपड़ों, ब्यूटी पार्लरों में अपना अपना वक्त ज़ाया नहीं करतीं,वे जब ज़रुरत पड़े कमर्शियल फ्लाइट का इस्तेमाल करती हैं, पति के चार्टर्ड प्लेन के होते हुए भी। बाहरी दिखावे से परे टीना के भीतर गज़ब का आत्मविश्वास है जो उन्हें सबसे अलग, सबसे बेहतर बनाता है।
साभार: दैनिक जागरण
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