VAISHYA GATHA - वैश्य गाथा
धनिकों से नफरत भारतीय संस्कृति में कब रही? क्या धनिकों को बिना राष्ट्र निर्माण संभव है? वामपंथी विचारधारा से प्रभावित नव हिंदुओं में ही यह सोच देखी जा सकती है.. वरना धनिकों को श्रेष्ठी और महाजन अर्थात जनों में महान और श्रेष्ठ कहने की परंपरा रही है..
वैश्य का तो धर्म ही है धनसंचय ...
महाभारत में स्वयं भीष्म पितामह कहते हैं -
वैश्यस्यापि हि यो धर्मस्तं ते वक्ष्यामि शाश्वतम् ।
दानमध्ययनं यज्ञः शौचेन #धनसंचयः ॥
अब वैश्यका जो सनातन धर्म है, वह तुम्हें बता रहा हूँ। दान, अध्ययन, यज्ञ और धनका संग्रह ये वैश्यके कर्म हैं
- महाभारत शान्तिपर्व 60.21
इसी धन संशय से करोड़ों लोगों की आजीविका चलती है सैलरी के रूप में.. इसी टैक्स के पैसे से राज्य के सैनिकों का वेतन दिया जाता है.. सड़क आदि infrastructure का निर्माण होता है.. इसी से सेना के लिए हथियार खरीदे जाते हैं.. विदेशी मुद्रा देश में आती है.. आज संपूर्ण विश्व में भारत का बोलबाला है क्युकी हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं...
देश को ISRO, HAL, Agni Missiles, Air India, Bombay Stock Exchange, आदि सभी महान संस्थाएं और देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यह उद्योगपतियों ने ही बनाई है.. देश के निर्माण के कर्णधार हैं..
क्या श्रीकृष्ण के पिता नंदलाल वैश्य जो 9 लाख गायों के स्वामी बताए गए हैं वो दरिद्र थे? या भगवती सीता के पिता जिन्हे विदेह कहा जाता है? जिनके पास ऋषि भी ब्रह्मज्ञान लेने आते थे वे दरिद्र थे? अगर दरिद्र थे तो रामायणों में वर्णित लाखों हाथी और अरबों का सोना उन्होंने श्रीराम को दहेज में कैसे दिया? युधिष्ठिर जो स्वयं धर्मराज के ही अवतार थे उनके खजाने के बारे में महाभारत में पढ़ेंगे तो आंखें चौंधिया जायेंगी... 🙏🏻
अखंड भारत की कल्पना को साकार करने वाले आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति सूत्र के पहले ही अध्याय में कहा है -
#धनिकःश्रोत्रियोराजानदवैिद्यस्तुपंचमः ॥
पंचयत्रनविद्यतेन तत्रदिवसंवसेत् ॥
अर्थात - धनिक, वेदकाज्ञाता-ब्राह्मण, राजा, नदी, और पांचवां वैद्य ये पांच जहां विद्यमान नर नहीं हैं तहां एकदिनभी वास नहीं करना चाहिये ॥ ❤️
चाणक्य नीति 1.9
लक्ष्मी नारायण की पूजा हमारी संस्कृति है.. दरिद्र नारायण तो गांधी का कॉन्सेप्ट था... ❤️🙏🏻
साभार : प्रखर अग्रवाल
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