CHANDUBHAI VIRANI - BALAJI WAFERS
बाप ने जमीन बेचकर व्यापार करने के लिए 20 हजार दिए, बेटे ने लगाई 2400 करोड़ की कंपनी
आज हम आपको बालाची वेफर्स की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं *. चंदूभाई हिरानी ने बालाजी वेफर्स की स्थापना की थी । आज बालाची wafers हल्दीराम जैसे बड़े ब्रांडों को टक्कर दे रहे हैं । लेकिन 9 वीं पास वाले चंदूभाई हिरानी ने इतनी बड़ी कंपनी कैसे शुरू की?
गुजरात में जामनगर सूखा प्रभावित क्षेत्र है । इसी क्षेत्र में कालवाड़ तालुका के धुंधोराजी का जन्म 2000 के आबादी वाले गांव में हुआ था । परिवार के साथ खेत में काम कर रहे थे इस गांव के पोपटराव विरानी.
साथ ही 1972 में भयानक सूखा था । खेती करना बहुत मुश्किल था । पोपटभाई ने जमीन बेचकर जमीन बेच दी और अपने बेटे को व्यापार करने के लिए आये 20 हजार रुपये दिए ।
इनके बच्चे राजकोट व्यापार करने आये थे । उन्होंने कृषि से संबंधित कुछ व्यवसाय करने का फैसला किया था । बस ऐसे ही उनके लिए उर्वरक और उपकरण खरीदे । लेकिन फिर जब वे इन उपकरणों को बेचते हैं तो उन्हें एहसास हुआ कि ये उपकरण नकली थे ।
वीरानी भाई ये सुनकर चौंक गए । धोखाधड़ी की वजह से इन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा था । फिर उन्होंने कॉलेज कैंटीन शुरू करने का फैसला किया । चंदूभाई उस समय 14 साल के थे । उस समय वे कैंटीन में काम करते थे ।
लेकिन उन्होंने कैंटीन भी बंद कर दिया । 1974 में, उन्होंने एक थियेटर में कैंटीन में काम करना शुरू किया था । कैंटीन में काम करते समय टिकट खिड़की पर बेचते थे ये बच्चे फिल्म के मालिक गोविंदभाई अपने मेहनती स्वभाव से खुश थे ।
1976 में उन्होंने विरानी भाइयों को कॉन्ट्रैक्टुअल तरीके से कैंटीन चलाने की अनुमति दी । शुरू में स्थानीय व्यापारियों से वेफर खरीदे और बेचने लगे । लेकिन इसमें ज्यादा फायदा नहीं हुआ ।
उनकी पत्नियां व्यापार में मदद करने के लिए वहां थी । वे चूल्हे पर सैंडविच बनाते थे । 1982 में उन्होंने एक तवा खरीदा और वेफर बनाना शुरू कर दिया । यह उनका टर्निंग पॉइंट था ।
उन्हें इससे काफी फायदा होता दिख रहा है । फिर उन्होंने इन वेफर्स को स्टोर में भी बेचना शुरू कर दिया । तभी तो इन वेफर्स का नाम बालाजी रखा है । लेकिन कुछ दुकानदार उन्हें भिखारी समझते थे ।
लेकिन उन्होंने इन सब पर ध्यान नहीं दिया । तब उनके पास 200 ग्राहक थे । मांग बढ़ने के बाद वेफर बनाने की मशीनें खरीदीं । लेकिन उन्हें अभी भी कम मुनाफा मिल रहा था । 1989 में बैंक से 3.60 लाख का लोन लिया और 1000 वर्ग एक मीटर की जगह खरीदी ।
तीन साल में उनके कारोबार का टर्नओवर 3 करोड़ रुपये था । उसके बाद उन्होंने एक ऐसी मशीन खरीदी जो प्रति घंटे 1000 किलो वेफर पैदा करती है । लेकिन यह मशीन गिर गई । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी । 2003 में उन्होंने 1200 किलो वेफर पैदा करने वाली मशीन खरीदी ।
गुजरात में 2000 से 2006 तक 90 % बाजार पर कब्जा कर लिया था । नमकीन में भी आगे था । आज बालाजी वेफर्स प्रतिदिन 4 लाख किलो वेफर्स पैदा करते हैं और प्रतिदिन 4 लाख किलो नमकीन तैयार करते हैं । तो ये थी बालाजी वेफर्स की सफलता की कहानी