RACHIT AGRAWAL A GEAT ACHIEVER - रचित अग्रवाल को मिला सबसे बड़ा पैकेज
कोटा का रचित:2 करोड़ की स्कॉलरशिप पर यूएस में पढ़ा, अब वहीं की कंपनी में ~6 करोड़ का पैकेज
काेटा में ही हुई स्कूलिंग व काेचिंग, फिर यूएस में इंजीनियरिंग डिग्री की।
काेटा के एक युवा काे यूएस की मल्टीनेशनल कंपनी ने 6 कराेड़ से ज्यादा का सालाना पैकेज ऑफर किया है। राजस्थान में किसी युवा काे शुरुआत में ही इतना बड़ा पैकेज पहली बार मिला है।
शहर के शक्तिनगर निवासी रचित अग्रवाल ने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से कंप्यूटर साइंस में डिग्री की। डिग्री हाेने के साथ ही अलग-अलग कंपनियाें में आवेदन किए। इस बीच एक बड़ी कंपनी ने उन्हें जाॅब ऑफर किया। निगाेशिएशन के बाद सालाना 8 लाख यूएस डॉलर (6 कराेड़ से ज्यादा) का पैकेज तय हुआ। वे कंपनी के मुख्यालय पहुंच चुके हैं और अगले महीने कंपनी ज्वॉइन करेंगे। पिता राजेश अग्रवाल व्यवसायी हैं। उनका कोटा में फूड पैकेजिंग का काम है। रचित ने ‘भास्कर’ काे बताया कि 4 साल पहले एक टेस्ट में मेरिट बेस पर स्कॉलरशिप के साथ आर्लिंग्टन में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में एडमिशन हुआ था। कंप्यूटर साइंस में 4 साल की डिग्री मई में पूरी की। निगेशिएशन के बाद उन्हें ऑफर लेटर मिल चुका है। कंपनी में वे सॉफ्टवेयर कोडिंग टीम का हिस्सा हाेंगे। कंपनी की पाॅलिसी की वजह से कंपनी का नाम सार्वजनिक करने से इन्हाेंने इनकार किया है।
कोडिंग कम्पीटिशन जीते, स्टार्ट अप शुरू किया
रचित ने स्कूली शिक्षा कोटा के एक प्राइवेट स्कूल से पूरी की। कोचिंग में इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी करते हुए फोकस यूएस में एडमिशन पर लिया। उन्हाेंने स्कॉलेस्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (सेट) दिया, जाे एक स्टेंडर्ड एग्जाम है। यह यूएस के कॉलेज एडमिशन के लिए होता है। इस एग्जाम में मेरिट के आधार पर कई विकल्प मिले। बेहतर स्कॉलरशिप मिलने के चलते यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास ज्वॉइन की। उनकी स्कॉलरशिप वैल्यू करीब 2 करोड़ थी, जिसके लिए चारों साल न्यूनतम मार्क्स मेंटेन करने थे। उन्हाेंने कंप्यूटर साइंस के साथ इकोनॉमिक्स और दर्शन शास्त्र में स्नातक किया। पढ़ाई के दौरान कई कोडिंग प्रतियोगिताएं जीतीं, कई पाठ्यक्रमों में फर्स्ट रैंकर रहे। तीन स्टार्ट अप शुरू किए, उनमें से 2 के लिए धन जुटाया और प्रमुख क्रिप्टो कंपनियों में कुल मिलाकर 5 इंटर्नशिप की। उन्होंने बताया कि उनका कोर्स मई में पूरा हो चुका था। तब से निगोशिएशन चल रहा था। अब उन्हें लेटर मिल गया है।
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