Pages

Friday, September 16, 2022

DINANATH GUPTA - 1961 में INS Vikrant को इंग्लैड से लाए थे दीनानाथ गुप्ता

 DINANATH GUPTA - 1961 में INS Vikrant को इंग्लैड से लाए थे दीनानाथ गुप्ता

1961 में INS Vikrant को इंग्लैड से लाए थे दीनानाथ गुप्ता,अब नए स्वदेशी विक्रांत को देखने जाएंगे।

सरकार ने नौसेना को स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस विक्रांत समर्पित कर दिया।इसके बीच आइएनएस विक्रांत को लेकर पुरानी यादें भी ताजा हो गईं।देश का पहला आइएनएस विक्रांत भारत लाने वाली टीम में हिसार के दीनानाथ गुप्ता भी शामिल थे।औरों के लिए भले ही आईएनएस विक्रांत केवल युद्धपोत भर हो,लेकिन हरियाणा के हिसार के सेक्टर-14 निवासी बुजुर्ग दीनानाथ गुप्ता के लिए तो यह एक जीवंत योद्धा (सैनिक) है। जिसे लेने के लिए वह वर्ष 1961 में शादी के छह महीने बाद ही इंग्लैंड रवाना हो गए और एक साल बाद लौटे थे।


दीनानाथ गुप्ता जी ने देहरादून में पढ़ाई के दौरान नेवी ज्वाइन की थी। इसके बाद विशाखापट्नम में डेढ़ साल ट्रेनिंग ली।1960 में भारत सरकार ने जहाज खरीदने का फैसला लिया और 1200 नेवी अफसरों व कर्मचारियों का एक दल इंगलैंड भेजा। उनकी टीम आइएनएस विक्रांत को लाने के लिए काफी उत्साहित थी।उन्होंने बताया कि आइएनएस विक्रांत को भारत लाने के लिए नेवी अफसरों ने एक साल इंगलैंड में रहकर स्टेस्टिंग और ट्यूनिंग की ट्रेनिंग ली थी। तब जाकर भारतीय नौसेना पहला जहाज लेकर भारत पहुंची थी।इस जहाज में दो स्क्वार्डन थी अैर इसमें सी हाक और एलीजे एयरक्राप्ट लगे थे।इसी आइएनएस विक्रांत ने गोवा को पुर्तगालियों से आजाद करवाया था।

अब जब उसका पहला स्वदेशी और उन्नत वर्जन देश में ही तैयार हुआ है तो दीनानाथ व पत्नी सरला गुप्ता इसे नजदीक से देखना चाहते हैं।जल्दी ही बेटे-बहू के साथ अपने खर्च से इस जहाज को देखने कोच्चि जाने की तैयारी है।

देश की आजादी के महज पांच साल बाद ही भारतीय नौ सेना ने अपनी समुद्री सीमा की रक्षा के लिए इंग्लैंड से युद्धपोत आईएनएस हरक्युलिस का सौदा किया।इस जहाज को भारत लाने के लिए जो दल इंग्लैंड भेजा गया, उसे वहां इसके संचालन के तरीके से लेकर मरम्मत तक का प्रशिक्षण भी लेना था।उस टीम में हिसार के सेक्टर-14 निवासी दीनानाथ गुप्ता भी थे।दीनानाथ रडार तकनीक के विशेषज्ञ थे।आईएनएस हरक्युलिस का भारत पहुंचने के बाद नाम बदलकर आईएनएस विक्रांत कर दिया गया था।

पत्नी सरला,बेटा राजेश कुमार गुप्ता और बहू राजरानी गुप्ता के साथ रहने वाले दीनानाथ गुप्ता अपनी एलबम में रखी पुरानी तस्वीरों को निहारते हुए अतीत में खो जाते हैं।एलबम में खोए दीनानाथ गुप्ता ने कुछ पुरानी यादें साझा करते हुए बताया कि जहाज जब मुंबई पोर्ट पर पहुंचा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू व सेनाध्यक्ष जनरल केएम करियप्पा स्वागत के लिए खड़े थे।दो स्क्वाड्रन की क्षमता वाले उस जहाज से नौसेना को विशेष लगाव था।कोच्चि बंदरगाह से ही उसका संचालन होता था।

पत्नी सरला गुप्ता बताती हैं कि शादी के छह महीने बाद ही पति के इंग्लैंड चले जाने पर उस वक्त घर में काफी नाराजगी थी। जब वापस आए तो कोच्चि चले गए।पत्नी सरला को भी साथ ले गए।बड़े बेटे का वहां जन्म हुआ था।इसके चलते पूरे परिवार को इस जहाज के साथ ही कोच्चि से विशेष लगाव है।एसबीआई के एसोसिएट ऑफिसर और दीनानाथ गुप्ता के पुत्र राजेश कुमार गुप्ता भी माता-पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए कोच्चि जा रहे हैं।

आईएनएस विक्रांत की चर्चा वापस होते ही दीनानाथ गुप्ता जी के चेहरे पर रौनक छा गई।कहते हैं कि अब देश नौसेना के मामले में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।दीनानाथ गुप्ता ने इस उपलब्धि पर नौसेना को विशेष रूप से बधाई देते हुए कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है।

दीनानाथ गुप्ता का परिवार विभाजन के समय पाकिस्तान के रावलपिंडी से आकर उत्तरप्रदेश के सहारनपुर जिले के गांव गंगोह में रहने लगा।यहीं से दीनानाथ गुप्ता ने दसवीं की।उत्तराखंड के देहरादून से पढ़ाई के दौरान नेवी ज्वाइन की। इसके बाद शादी के बाद पंजाब के जिला फिरोजपुर में रहने लगे।दीनानाथ गुप्ता ने 1963 में चंडीगढ़ यूनिसर्विटी से ग्रेजुएशन किया था।

No comments:

Post a Comment

हमारा वैश्य समाज के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।