GREAT REVOLUTIONARY RAJKUMARI GUPTA - महान क्रान्तिकारी राजकुमारी गुप्ता
9 अगस्त काकोरी कांड बरसीं और काकोरी कांड में राजकुमारी गुप्ता का योगदान
भारत की आजादी को 75 वर्ष पूरा होन पर भारत आजादी का अमृत महोस्व मना रहा है।ये महोत्सव उन सेनानियों को याद किए बिना मनाया ही नहीं जा कता है जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए जीवन समर्पति किया।इनमें से कई ऐसे सेनानी हैं जिनका नाम आज तक हमने नहीं सुना लेकिन उन सभी ने भारत को आजादी दिलाने में बहुत योगदान दिया है।भारत को आजादी दिलाने में जितना योगदान पुरुषों का रहा उतना ही महिलाओं की भी था।इन सभी महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।इन्हीं महिला स्वतंत्रता संनानियों में एक नाम है राजकुमारी गुप्ता का जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपना अतुलनीय योगदान दिया। राजकुमारी गुप्ता को मुख्य रूप से काकोरी षड्यंत्र के लिए जाना जाता है।राजकुमारी गुप्ता चंद्रशेखर आजाद के साथ जुड़ गई।भारत को आजादी दिलाने के लिए उन्होंने कई बार जेल की सजा काटी।असहयोग आंदोलन के अचानक बंद होने पर उन्होंने सशस्त्र क्रांति की ओर अपना रास्त कर लिया एक बार पकड़े जाने पर उन्होंने कहा कि "हम ऊपर से गांधीवादी है और नीचे से क्रांतिवादी"।
राजकुमारी गुप्ता का जन्म 1902 में कानपुर के बांदा जिले में सेठ परिवार में हुआ था।उनेक पिता एक किराना की दुकान चलाते थे।वह 13 वर्ष की जब उनकी शादी कर दी गई।उनकी शादी भी एक क्रांतिकारी सेठ से ही हुई थी।जिसका नाम मदन मोहन गुप्ता था।वह एक क्रांतिकारी तो थे लेकिन उनकी कांग्रेस में भी सक्रिय भूमिका थी।अंग्रेजों के खिलाफ अवाज उठाने वाले सभी क्रांतिकारियों से राजकुमारी गुप्ता बहुत प्रभावित थी। मुख्य तौर पर जो अंग्रेजो के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करना चाहते हैं।देश प्रेम के चलते वह भी इस मुहिम का हिस्सा बनीं।
काकोरी कांड में सेठानी राजकुमारी गुप्ता का योगदान
राजकुमारी गुप्ता के पति एक क्रांतिकारी थे।उन्होंने और उनके पति ने इलाहाबाद में गांधी जी और चंद्रशेखर आजाद के साथ काफि अच्छी जान पहचान थी।1924 में आचानक से असहयोग आंदोलने के बंद होने के बाद राजकुमारी गुप्ता ने मान लिया की भारत को आजादी केवल सशस्त्र क्रांति के द्वारा ही हराया जा सकता है और इस के बाद से वह क्रांतिकारी विचारों की ओर ज्यादा आक्रषित हुई।चंद्रशेखर आजाद से घंनिष्ठ रूप से जुड़े होने के कारण वह अक्स ही उनकी सहायता किया करती थी।अपने पति और ससुराल की जानकारी से अलग वह गुप्त तौर पर क्रांतिकारीयों को जरूरत की सभी सामग्री और संदेश पहुंचाया करती थी।इस तरह से बाद में वह इलाहबाद में चंद्रशेखर आज़ाद के गुट के लोगों से जुड़ी।बाद में इस गुट का नेतृत्व भगत सिंह द्वारा किया गया।
काकोरी ट्रेन डकैती में राजकुमारी गुप्ता ने मुख्य भूमिका निभाई है।उन्होंने इस डकैती में क्रांतिकारियों को आग्नेयास्त्र पहुंचाने का काम किया था।राजकुमारी की क्रांतिकारी लड़ाई के लिए उन्हें तीन बार जेल भी जाना पड़ा जिसमें उन्होंने 1930, 1932 और 1942 में जेल की सजा काटी।
एक बार राजकुमारी जी को अंग्रेजी पुलिस ने अपने कपड़ों में हथियारों को छिपाए हुए पकड़ लिया था।जिसके बाद सारा जीवन उन्हें जेल में बिताना पड़ा और बताया जाता है कि जेल में ही राजकुमारी गुप्ता जी का देहांत हो गया था।
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