WHAT IS AGRAWAL - अग्रवाल क्या चीज है ...
1. जी हमे गोत्र मिला है महान ब्रह्म ऋषियो से ..इसलिये सर्वाधिक सनातन धर्म को मानने वाले दानवीर भी है अनेक तीर्थों मे हमारे समाज द्वारा स्थापित इन्फ्रास्ट्रचर को सहज देखा जा सकता है जो सेवा के छेत्र मे अनुकरणीय है ..
2 - हम प्रभू श्री राम के वंशज है इसलिये छेत्रिय है इसमें हमारा वीरोचित भाव छुपा हुवा है हम सभी परम पराक्रमी है भगवान परशुराम जी भी महाराजा अग्रसेन को युद्ध मे पराजित ना कर सके थे ...
महाभारत के युद्ध मे महाराजा अग्रसेन के युद्ध कौशल को स्वयं भगवान कृष्ण ने देखकर युधिष्ठिर से कहा था ...
कृपा विष्टेन मनसा युद्धछेत्रे गतेन च ..
अग्रसेनम् रयं धन्यो ममात्या येन विजयति: ।।
अर्थ यह है कि हे युधिष्ठिर देखो इस बालक अग्रसेन को कैसै ये अपने शत्रुओ पर भी दयालुता से वार कर रहा है उन्हे रण छोडकर भागने का पूरा अवसर दे रहा है ..इस बालक ने मेरे ह्रदय जीत लिया है ...
हमारे विवाह संस्कारों मे आज भी छत्तर लगाया जाता है यह इस बात का प्रमाण है कि समस्त अग्रवाल जाति जन्म से छत्रिय है
3- छत्रिय कुल मे जन्म लेने के बाद भी महाराजा अग्रसेन ने पशुवध का निषेध किया था और वैश्य कर्म अपनाया था ..
कर्म की प्रधानता होने से ही हमने वैश्य वर्ण स्विकार किया
वैश्य की विशेषता उसकी तेजस्वी बुद्धि और व्यवसायिक कौशल से ही सहज जानी जा सकती है ..
हमारा समाज इसलि ये सर्वश्रेष्ठ भी है क्युकि हममें पाण्डित्य , वीरता , और बुद्धि चातुर्य के तीनो श्रेष्ठतम गुण विद्यमान है
इसलिये कहा गया है किस्मत वाले होते वो लोग
जिनके मित्र अग्रवाल होते है ...
इसलिये हम धर्मवीर , कर्मवीर और रणवीर है ..
पुरे विश्व की सभी जातियों का आकलन कर ले ये तीनो गुण एक साथ अन्यत्र कही उपलब्ध नही है ...
साथ ही साथ अग्रवाल समाज अनन्य राष्ट्र भक्त है ..
राष्ट्रिय अर्थ तंत्र का हम मजबुत आधार स्तम्भ है देश मे हमारी आबादी २५ करोड़ बनियो में केवल अग्रवालो की ५ करोड़ के लगभग है पर देश के खजाने को हम 25% के लगभग सहयोग प्रदान करते है ...
इतना ही नही लाखो परिवारो की आजीविका हमारे संस्थानो पर निर्भर है ...
धर्म के छेत्र मे हम सर्व श्रेष्ठ जजमान समझे जाते है हर ब्राहमण हमा रे आतिथ्य से प्रसन्न होता है संतुष्ट और तृप्त होकर ही जाता है ..
देश की सभ्यता संसकृति और परम्पराओ के हम महान संरक्छक है ..
साथ ही साथ हमने सामाजिक कुरीतियों का परित्याग किया
संसस्कृति के संरक्छण के साथ ही साथ हम आधुनिक सोच रखने वाला समाज है ...
आजादी के आन्दोलन मे और उसके बाद के कालखण्ड मे भी हमा रे समाज के अनेको देशभक्तो ने मा भारती की सेवा मे अपना जीवन समर्पित कर दिया
सेठ जमनालाल बजाज , लोहिया जी , भारतेन्दु हरिश्चन्द्र लाला लाजपत राय हनुभान प्रसाद पोद्दार के सेवा और बलिदान को कौन नही जानता ..
इसलिये आप स्वयं के अग्रवाल होने पर गर्व कर सकते है
पर हमे सिर्फ गर्व करके ही खुश नही होना चाहिये बल्कि अपने गौरव को और बढाने के लिये देश सेवा मे सर्वस्व समर्पण के भाव से सदा सहयोगी होना चाहिये सेवाभावी होना चाहिये
जय अग्रसेन जय हिन्द
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