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Tuesday, September 10, 2024

सूर्यवंशी अग्रवाल (Suryavanshi Agrawal)

सूर्यवंशी अग्रवाल (Suryavanshi Agrawal) क्यों कहलाते हैं अग्रवाल?


अग्रवाल का संबंध वैश्य समुदाय से है. यह भारत के लगभग हर हिस्से में पाए जाते हैं. इनके व्यवसाय के कारण इन्हें बनिया के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं अग्रवालों का संबंध सूर्यवंशी क्षत्रियों से हैं? कैसे? आइए विस्तार से जानते हैं सूर्यवंशी अग्रवाल के बारे में-

सूर्यवंशी अग्रवाल

अग्रवाल का अर्थ होता है- महाराजा अग्रसेन के वंशज. मान्यताओं के अनुसार अग्रवाल समाज की उत्पत्ति सूर्यवंश के पौराणिक महाराजा अग्रसेन से हुई है. महाराजा अग्रसेन को अग्रवाल समाज का पितृपुरुष या पितामह या कुलपुरुष माना जाता है. एक किंवदंती के अनुसार, महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा थे, जिनका जन्म महाभारत काल में, द्वापर युग के अंतिम चरण में हुआ था. इस बात का उल्लेख प्रसिद्ध भारतीय हिंदी लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र (जो स्वयं एक अग्रवाल थे) ने अपनी 1871 की पुस्तक “अग्रवालों की उत्पत्ति” में किया है, जो महालक्ष्मी व्रत कथा पांडुलिपि में दिए गए एक विवरण पर आधारित है. इसमें कहा गया है कि अग्रसेन प्रतापनगर के राजा बल्लभ के सबसे बड़े पुत्र थे. महाराज अग्रसेन भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज थे.

इस समुदाय के लोग दावा करते हैं कि अग्रवाल समाज के कुल पुरुष महाराजा अग्रसेन सूर्यवंशी क्षत्रीय भगवान राम के वंशज थे. महाराजा अग्रसेन का जन्म भगवान राम के पुत्र कुश की 35वीं पीढ़ी में हुआ था. इस बात का ऐतिहासिक और पौराणिक ग्रंथों में विस्तृत उल्लेख और साक्ष्य है. महा प्रतापी इक्ष्वाकु कुल में महाराजा माधांता, महाराजा दिलीप, भगीरथ, कुकुत्स्य, महाराजा मास्र्त, महाराजा रघु, मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान श्रीराम आदि का जन्म हुआ. इसी कुल में महाराजा अग्रसेन का जन्म हुआ. इस प्रकार से महाराजा अग्रसेन और उनके वंशज (अग्रवाल) भी सूर्यवंशी क्षत्रिय हुए. महाराजा अग्रसेन को उत्तर भारत में अग्रोहा नाम के व्यापारियों के राज्य की स्थापना का श्रेय दिया जाता है. महाराज अग्रसेन को उनकी करुणा के लिए जाना जाता है. उन्होंने यज्ञों में जानवरों को मारने से इंकार कर दिया था. देवी महालक्ष्मी के सुझाव पर उन्होंने क्षत्रिय परंपरा को त्याग दिया और वैश्य परंपरा को चुना. माता महालक्ष्मी ने उन्हें और उनके वंशजों के लिए समृद्धि प्रदान करने का आशीर्वाद दिया. अग्रवाल समाज के लोग माता महालक्ष्मी को अपना कुलदेवी मानते हैं। इस प्रकार से अग्रेयवंशी क्षत्रिय क्षत्रियों ने आजीविका के लिये तलवार छोड़ तराजू पकड़ पकड़ लिया और कालांतर में अग्रवाल के नाम से प्रसिद्ध हुए. भारत के आर्थिक और सामाजिक उन्नति में इस समुदाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है. उत्तर मध्य और पश्चिमी भारत के कई राज्यों में इनकी अच्छी खासी आबादी है. भारत के अलावा दुनिया के आर्थिक शक्ति वाले देशों जैसे अमेरिका इंग्लैंड आदि में भी इनकी उपस्थिति है. बिजनेस और उद्यमिता के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रसिद्ध इस समाज का अन्य क्षेत्रों जैसे शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, धार्मिक कार्यों, राजनीति, समाज सेवा के क्षेत्र में भी सराहनीय योगदान रहा है.

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