SETH RAMJI DAS GUD WALA - जगत् सेठ रामजी दास गुड़वाला - एक महान क्रांतिकारी
दिल्ली के अत्यन्त धनाढ़्य व्यक्ति थे जगत् सेठ रामजी दास गुड़वाला। अपने गुड़ के व्यवसाय में इन्होने अकूत सम्पत्ति बनाई थी। ये अन्तिम मुगल सम्राट बहादुरशाह के विशिष्ट दरबारी थे। देश भक्ति से ओत-प्रोत सेठजी ने आर्थिक संकट से जूझ रहे बादशाह की कई बार आर्थिक सहायता की। उन्होनें 1857 के स्वातंत्र्य समर के समय देश को ब्रितानियों के चंगुल से निकालने के लिये अपने सारा धन लगा दिया। सेठजी ने एक गुप्तचर विभाग का निर्माण भी किया जो ब्रितानियों तथा उनके भारतीय पिछलग्गुओं की गतिविधियों की जानकारी लाकर देता था।
जैसे ही मेरठ में क्रांति की चिन्गारी उठी और स्वातन्त्र्य सैनिक दिल्ली पहुँचे बादशाह ने सेठजी से सहायता माँगी। सेठजी ने अपना खजाना क्रांतिकारी सैनिकों के लिये खोल दिया। सैनिकों की रसद आदि के लिये उनके भण्डार हमेशा खुले रहते थे।
अस्त व्यस्त नेतृत्व तथा विश्वासघातियों के कारण दिल्ली पर पुनः ब्रितानियों ने कब्जा कर लिया। ब्रिटिश सेठ गुड़वाला से धन ऐंठना चाहते थे, इसके लिए कुछ ब्रिटिश अधिकारी उनके घर पर पहुँचे। ब्रिटिश अधिकारी ने सेठजी से विनम्रतापूर्वक कहा- घ् सेठ आप तो महान् दानी हैं। युद्ध की स्थिति के कारण हम आर्थिक तंगी में हैं, आप हमें आर्थिक सहायत करें तो ठीक रहे, आपका दिया हुआ धन दिल्लीवासियों के ऊपर खर्च किया जायेगा।'
सेठ गुडवाला ब्रितानियों की चाल को समझ गए। उन्होंने कहा कि "आप लोग ही मेरे देश में अशांति और इस युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। मैं क्रूर आक्रांताओ को धन नहीं दे सकता। आप लोगों ने नगरों को श्मशान बना डाला है। इस तरह के कुत्सित कार्य करने वालों को देने के लिये मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं है।"
ब्रिटिश सेठ रामजी दास का उत्तर सुनकर अपमानित हो उस समय तो चले गये लेकिन दूसरे दिन सुबह-सबेरे ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया। ब्रितानियों ने अपनी क्रूरता दिखाते हुए गड़ढा-खुदवाकर सेठ जी को कमर तक उसमें गाड़ दिया फिर उनके ऊपर शिकारी कुत्ते छोड़ दिए। कुत्तो ने सेठजी को बुरी तरह घायल कर दिया। अत्याचारियों को इतने पर ही संतोष नहीं हुआ तथा घायल सेठजी को चाँदनी चौक में फाँसी पर लटका दिया। इस प्रकार देश का एक और भामाशाह स्वतंत्रता की बलिवेदी पर न्यौछावर हो गया।
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