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Friday, September 27, 2024

VANTIKA AGRAWAL - WORLD CHESS CHAMPION

VANTIKA AGRAWAL - WORLD CHESS CHAMPION


भारतीय ग्रैंडमास्टर गुकेश डी ने टोरंटो में वर्ल्ड कैंडिडेट खिताब जीतकर शतरंज की दुनिया में बदलाव की शुरुआत की। भारत की मेंस और विमिंस टीमों ने बुडापेस्ट में 45वें ओलिंपियाड में गोल्ड मेडल जीता। विजेता टीम में शामिल वंतिका अग्रवाल ने इसे चेस के खेल का टर्निंग पॉइंट बताया।

वंतिका अग्रवाल

महज 17 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने इस साल अप्रैल में जब टोरंटो में वर्ल्ड कैंडिडेट खिताब को जीता था तभी चेस के महान प्लेयर्स में शुमार गैरी कास्परोव ने चेस की दुनिया में होने जा रहे बदलाव की घोषणा कर दी थी। उन्होंने तब सोशल मीडिया में कहा था, 'टोरंटो में आया भारतीय भूकंप शतरंज की दुनिया में टेक्टोनिक प्लेटों के शिफ्ट होने की परिणति है।' आज उनकी कही बात सही हो चुकी है। चेस के खेल के केंद्र का स्थानांतरण हो चुका है। भारत शतरंज के खेल का सिकंदर बन चुका है। भारत की मेंस और विमिंस टीमों ने हंगरी के बुडापेस्ट में आयोजित 45वें ओलिंपियाड में गोल्ड मेडल जीतने की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय टीमों की इस जीत ने भारत में ही इजाद हुए इस खेल और इसके खिलाड़ियों को नई जिंदगी, नई ऊर्जा दी है। विमिंस टीम की अहम सदस्य रही वंतिका अग्रवाल ने भी माना कि अब आने वाले कुछ समय में चेस के खेल में निश्चित तौर पर भारत का दबदबा कायम रहेगा, जिससे देश में इस खेल की तस्वीर बदल जाएगी। ओलिंपियाड में गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम की 21 साल की अहम सदस्य वंतिका गुरुवार को NBT के दफ्तर पहुंचीं और एडिटोरियल टीम से कई पहलुओं पर खुल कर बात की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:

साबित होगा टर्निंग पॉइंट
ओलिंपियाड में चेस बोर्ड-4 पर अजेय रही वंतिका ने अपने नौ में से छह मुकाबले जीते जबकि तीन बाजी ड्रॉ पर छूटी। वंतिका की जीत की खास बात यह रही थी कि उन्होंने पांच बाजी काले मोहरों से खेली और उनमें से चार में जीत हासिल की। वंतिका ने कहा कि उन्होंने पहले भी कई खिताब जीते हैं, लेकिन कभी इतनी तारीफ, इतनी पहचान नहीं मिली।

उन्होंने कहा, 'चेस मैं बचपन से खेल रही हूं। देश-विदेश कई जगह कई खिताब भी मैंने जीते। लेकिन कोई पहचानता नहीं था। कॉलोनी के लोग भी नहीं। तो थोड़ी तकलीफ होती थी। जब अन्य खेलों के प्लेयर्स की खबरें पढ़ती थी या उन्हें टीवी पर खेलते देखती थी तो लगता था कि मुझे भी कोई और गेम खेलना चाहिए था। हाल ही में पेरिस ओलंपिक देखते हुए भी मेरे मन में ऐसे ख्याल आए। लेकिन अब लग रहा है तस्वीर बदलने वाली है। यह ओलिंपियाड का खिताब भारत के चेस इतिहास का टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है।'

हार के बाद वापसी अहम थी
भारतीय विमिंस टीम ने अपने लगातार सात मैच जीते थे, लेकिन आठवें मैच में टीम उसे हार का सामना करना पड़ा था। इस मुकाबले में वंतिका का मुकाबला सबसे अहम हो गया था। वंतिका को जीत की दरकार थी। वह मुकाबले में एक समय हावी भी थीं, लेकिन फिर आखिर में उन्हें ड्रॉ पर मजबूर होना पड़ा, जिससे टीम को हार का मुंह देखना पड़ा।

वंतिका ने कहा, 'वह मेरे लिए बहुत बुरा दिन था। मैं हार जाती तो ज्यादा दुख नहीं होता, लेकिन यहां मामला टीम का था, देश का था। मेरी वजह से मेरी टीम को हार झेलनी पड़ी थी। मैं पूरी रात सो नहीं पाई थी। मेरी मां ने भी मुझे बहुत समझाया। लेकिन जब अमेरिका के खिलाफ हमने जीत हासिल की तब जाकर मुझे राहत महसूस हुई।'

सभी के बारे में जानते हैं प्रधानमंत्री
बुडापेस्ट से खिताब जीतने के बाद स्वदेश लौटे भारतीय प्लेयर्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का भी मौका मिला, जिसे वंतिका ने अपनी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बताया। इस शनिवार को 22 साल की होने जा रही वंतिका ने कहा, 'मैं हैरान थी। प्रधानमंत्री हम सभी के नाम जानते थे। हम कैसा खेले, हमने किसे हराया। वो यह भी जानते थे कि मेरा जन्मदिन कब है।' वंतिका ने कहा कि हमें पहले पुरस्कार राशि हासिल करने लिए अप्लाई करना पड़ता था। मगर अब ऐसा नहीं है। चीजें काफी बदली हैं।

शानदार थी हमारी बॉन्डिंग
भारतीय विमिंस टीम में वंतिका के अलावा 38 साल की अनुभवी प्लेयर तानिया सचदेवा, 33 साल की डी हरिका, 23 साल की आर वैशाली और 18 साल की दिव्या देशमुख थीं। वंतिका में बताया कि टीम में भले ही कुछ प्लेयर्स के बीच उम्र का फासला बहुत था, लेकिन सभी के बीच बॉन्डिंग शानदार था क्योंकि चेस में उम्र मायने नहीं रखता। नोएडा निवासी वंतिका ने कहा, 'हम सब में एक चीज कॉमन थी और वह चेस था। हम सब यहां गोल्ड जीतने आए थे। इस वजह से बाकी खिलाड़ियों के साथ उम्र का फर्क महसूस नहीं हुआ।'

वंतिका ने बताया कि टीम में दिव्या सबसे छोटी थी और सबसे ज्यादा चंचल भी। वह हमेशा हंसी-मजाक करती रहती हैं। जबकि, आर वैशाली थोड़ी गंभीर हैं। वह ज्यादातर चेस के बारे में बात करती हैं और खेल के बारे में ही सोचती हैं। तानिया भी खेल के साथ मजाक-मस्ती करती हैं। हरिका के साथ भी उनकी अच्छी बॉन्डिंग थी।

मां हैं असली ताकत
वंतिका की सफलता के पीछे बहुत बड़ा हाथ उनकी मां संगीता अग्रवाल का रहा है, जिन्होंने वंतिका को चेस खिलाने के लिए अपना चार्टड अकाउंटेंट (सीए) का काम भी छोड़ दिया। संगीता ने बताया कि उन्होंने लोगों के ताने भी सुने, लेकिन वंतिका के खेल के साथ समझौता नहीं किया।

टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए वंतिका को देश और दुनिया के किसी भी कोने में ले जाने के हर वक्त तैयार संगीता ने बताया कि कोविड के दौर के तुरंत बाद वह विदेश में टूर्नामेंट में भाग लेने से कभी हिचकिचाई नहीं। तब लगातार 80 दिनों तक वंतिका को लेकर विदेशी टूर्नामेंट्स में गईं।

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