बनिया का अर्थ, बनिया शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
बनिया (Bania) एक वृहद व्यापारिक समुदाय
(business community) है. इस विशाल समुदाय में कई जातियां और उपजातियां शामिल हैं. इस समुदाय ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई थी.भारत को आजादी दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्ति महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) बनिया समुदाय से थे. यह कहना अदूरदर्शी होगा कि इस समुदाय ने केवल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में योगदान दिया है. आजादी के बाद देश को आगे ले जाने में इस समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इस समुदाय ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है और राष्ट्र निर्माण में जबरदस्त भूमिका निभाई है. लेकिन यहां सबसे अहम सवाल यह है कि बनिया का अर्थ क्या है. क्या बनिया केवल एक जाति है? यह एक वर्ण का प्रतीक है? क्या यह केवल व्यवसायिक समूह को संदर्भित करता है? क्या इस शब्द का कुछ लाक्षणिक अर्थ (figurative meaning) भी है? आइए बनिया शब्द के अर्थ के बारे में विस्तार से जानते हैं-
बनिया का अर्थ
बनिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “वानिक/वाणिज्य” से हुई है, जिसका अर्थ होता है- “व्यापारी”. बनिया जाति पारंपरिक रूप से स्व रोजगार, व्यवसाय, व्यापार एवं उद्योग में लिप्त रही है. यहां यह बता देना जरूरी है कि कई व्यापारी समुदाय बनिए नहीं हैं और विलोमत: कुछ बनिये व्यापारी नहीं हैं. बनिया शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थो में किया जाता है. बनिया शब्द के कम से कम 5 अर्थ हैं-
बनिया व्यावसायिक समुदाय
बनिया व्यापारियों, बैंकरों, साहूकारों और वाणिज्यिक उद्यमों के मालिकों का एक व्यावसायिक समुदाय है.
बनिया एक जाति
बनिया शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द वाणिज्य से माना जाता हैं. बनिया एक भारतीय जाति हैं, जो वाणिज्य और व्यवसाय से सम्बंधित हैं. अर्थात, बनिया शब्द एक विशिष्ट व्यापारी जाति को संदर्भित करता है. आमतौर पर इनकी गिनती ऊंची पिछड़ी जातियों में की जाती है. ऊंची पिछड़ी जातियों में यादव, कुर्मी और कुशवाहा जातियां भी शामिल है. पिछड़ी जातियों में इन जातियों की स्थिति ज्यादा अच्छी है.
बनिया एक वर्ण
हिंदू मान्यताओं के अनुसार समाज को 4 वर्णों में बांटा गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. बनिया समुदाय के लोग अपनी उत्पत्ति सूर्यवंशी महाराजा अग्रसेन से मानते हैं. इस समुदाय के अधिकांश लोग अपने को वर्ण प्रणाली में वैश्य मानते हैं, जिसका मुख्य काम व्यापार करना है. यहां यह बता देना जरूरी है कि अधिकांश बनिया हिंदू और जैन धर्म का पालन करते हैं लेकिन कुछ सिख , इस्लाम, ईसाई और बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गए हैं.
बनिया- व्यापारी और दुकानदार
बनिया शब्द विभिन्न वस्तुओं के व्यापारियों के समुदाय को संदर्भित करता है. बनिया शब्द का एक अर्थ होता है- “व्यापार करने वाला व्यक्ति यानी कि व्यापारी या ट्रेडर”. बनिया अनाज, किराने का सामान और मसालों के व्यापारियों रहे हैं. साधारण बोलचाल की भाषा में बनिया शब्द का प्रयोग फुटकर/खुदरा विक्रेताओं और दुकानदारों के लिए भी किया जाता है जो प्रमुख रूप में अन्तिम उपभोक्ताओं के उनके निजी उपयोग के लिए वस्तुएं व सेवाएं बेचते हैं. जैसे की आटा, चावल, दाल, नमक, मिर्च और विभिन्न प्रकार की रोजमर्रा उपयोग की वस्तुएं.
बनिया एक पेशा
बनिया एक पेशे को भी संदर्भित करता है. विभिन्न जातियों के लोग जो व्यापार से जुड़े हुए हैं उन्हें आम बोलचाल की भाषा में बनिया कह कर संदर्भित किया जाता है. आम तौर पर अलग जातियों के होने के कारण इनमें वैवाहिक संबंध नहीं होता है. यह शब्द भारत में कहीं और की तुलना में बंगाल में व्यापक अर्थ में प्रयोग किया जाता है, जहां बनिया शब्द का प्रयोग सभी साहूकारों और स्वदेशी रूप से विकसित बैंकरों के लिए किया जाता है, चाहे वह किसी भी जाति के हों.
बनिया एक लाक्षणिक अर्थ
लाक्षणिक अर्थ का मतलब होता है कल्पनात्मक विवरण या किसी शब्द के साधारण अर्थ के स्थान पर विशिष्ट प्रभाव देने वाला विवरण. जहां तक बनिया शब्द का प्रश्न है इसका लाक्षणिक अर्थ होता है- व्यापारिक मनोवृत्तिवाला (business minded), कंजूस और स्वार्थी व्यक्ति, तथा कायर और बुजदिल. बनिया समाज के लोग बिजनेस माइंडेड होते हैं यह तो सर्वविदित सच है. बनिया समुदाय के लोग अपने काम से मतलब रखते हैं और इधर-उधर की बातों पर ध्यान नहीं देते. इसीलिए अज्ञानतावश लोग इन्हें स्वार्थी समझ लेते हैं. बनिया समुदाय के लोग बहुत मेहनत करके पैसा कमाते हैं. इसीलिए यह बहुत सोच समझकर पैसे खर्च करते हैं, जिसके कारण लोग इन्हें कंजूस समझ लेते हैं. जहां तक बात रही कायर और बुजदिल बताए जाने की तो इस समुदाय के लोग सीधे-साधे होते हैं जो अनावश्यक फसाद में नहीं पड़ते. जिसके कारण इन पर बुजदिल और कायर होने का ठप्पा लगा दिया जाता है, जो की पूरी तरह से गलत है.
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