चतुर बनिया…..
अकबर और बीरबल के बीच विवाद खड़ा हुआ…….अकबर का कहना था कि मुल्ला ही सबसे चतुर है…. जबकि बीरबल का कहना था कि मारवाड़ी को चतुराई में कोई मात नहीं कर सकता…….. अकबर ने कहा साबित करो….
बीरबल ने मुल्ला नसरुद्दीन को बुलाया और कहा कि बादशाह को आपकी दाढ़ी-मूंछ चाहिए……. बदले में जो भी कीमत मांगो… चुका देंगे…. आगे कहा गया कि यदि उसने दाढ़ी-मूंछ कटवाने से इनकार किया तो उसकी गर्दन उड़ा दी जाएगी…..
मुल्ला ने पहले तो बड़ी दलीलें दीं और गिड़गिड़ाए कि दाढ़ी-मूंछ न काटी जाए, महाराज…. मैं मुल्ला हूं, धर्मगुरु हूं, दाढ़ी-मूंछ कट गई तो मेरे धंधे को बड़ा नुकसान पहुंचेगा…… दाढ़ी-मूंछ कट गई तो कौन मुझे मुल्ला समझेगा….?
इस पर ही तो मेरा सारा कारोबार ही टिका है…….
बीरबल ने कहा कि फिर गर्दन कटवाने के लिए तैयार हो जा…….
मुल्ला ने भी सोचा कि दाढ़ी-मूंछ की बजाय गर्दन कटवाना तो महंगा सौदा है…. इससे तो दाढ़ी-मूंछ ही कटवा लो, फिर उग आएगी….. दो-चार महीने कहीं छिप जाएंगे हिमालय की गुफा में…. घबड़ाहट के मारे उसने कोई कीमत भी मांगना उचित नहीं समझा, कि जान बची लाखों पाए…… जल्दी से उसने दाढ़ी कटवाई और भाग गया जंगल की तरफ….
बीरबल ने फिर धन्नालाल मारवाड़ी को बुलवाया…… दाढ़ी-मूंछ कटवाने की बात सुन कर पहले तो वह कांप उठा, परंतु फिर सम्हल कर उसने कहा: हुजूर, हम मारवाड़ी नमकहराम नहीं होते….. आपके लिए दाढ़ी-मूंछ तो क्या, गर्दन कटवा सकते हैं…..
बीरबल ने पूछा: क्या कीमत लोगे…? मारवाड़ी ने कहा: एक लाख अशर्फियां….
सुनते ही अकबर तो गुस्से से उबल पड़ा…. एक दाढ़ी-मूंछ की इतनी कीमत…? मारवाड़ी ने कहा: हुजूर, पिता की मृत्यु पर पिंडदान और सारे गांव को भोज करवाना पड़ता है… मूंछ-दाढ़ी के इन बालों की खातिर…. मां के मरने पर बड़ा दान-पुण्य करना पड़ा…. मूंछ-दाढ़ी की खातिर…. दाढ़ी की इज्जत के लिए क्या नहीं किया…. हुजूर, शादी करनी पड़ी….. नहीं तो लोग कहते थे कि क्या नामर्द हो….? आज बच्चों की कतार लगी है, उनका खाना-पीना, भोजन-खर्चा, हर तरह का उपद्रव सह रहा हूं…. मूंछ-दाढ़ी की खातिर…… फिर बच्चों की शादी, पोते-पोती, इन पर खर्च करना पड़ा….. मूंछ-दाढ़ी की खातिर….. और अभी पत्नी की जिद्द के कारण हमारी शादी की पचासवीं सालगिरह पर खर्च हुआ….. मूंछ-दाढ़ी की खातिर….
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अकबर कुछ ना कह पाया और कीमत चुका दी…. अगले दिन अकबर ने नाई को मारवाड़ी के घर दाढ़ी-मूंछ कटवाने के लिए भेजा, तो मारवाड़ी ने उसे भगा दिया और कहा: खबरदार अगर बादशाह सलामत की दाढ़ी को हाथ लगाया….. नाई ने अकबर से शिकायत की तो अकबर का गुस्सा आसमान छूने लगा…. तुरंत मारवाड़ी को बुलाया गया…. बीरबल ने पूछा कि जब दाढ़ी बिक चुकी है तो अब उसे कटवाने क्यों नहीं देता…… मारवाड़ी ने कहा: हुजूर, अब यह दाढ़ी-मूंछ मेरी कहां है…… यह तो बादशाह सलामत की धरोहर है….. इसको अब कोई नाई छूने की मजाल नहीं कर सकता……. किसी की क्या मजाल, गर्दन उड़ा दूंगा….. यह मेरी नहीं, बादशाह की इज्जत का सवाल है…… इसे मुंड़वाना तो खुद बादशाह की दाढ़ी-मूंछ मुंडवाने के बराबर होगा….. यह मैं जीते-जी नहीं होने दूंगा……. आप चाहे मेरी गर्दन कटवा दें, पर इस कीमती धरोहर की रक्षा करना अब मेरा और मेरे परिवार का फर्ज है…….
अकबर हैरान…. और बीरबल मुस्कुराता रहा….. महीने भर बाद अकबर के नाम मारवाड़ी का पत्र आया, जिसमें उसने दरखास्त की थी कि दाढ़ी-मूंछ की रक्षा करने तथा इसकी साफ-सफाई रखने पर महीने में सौ अशर्फियां मिलती रहें…….
लष्मीकांत वर्शनय
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